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राजनीति

राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद विपक्ष में उप राष्ट्रपति को लेकर हुई फूट, ममता बनर्जी ने कहा हमसे पूछा ही नहीं

Janjwar Desk
22 July 2022 5:10 AM GMT
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गणतंत्र दिवस परेड से पश्चिम बंगाल की प्रस्तावित झांकी रिजेक्ट

Vice President Election : विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति पद की प्रत्याशी चयन में तवज्जो न मिलने से टीएमसी नाराज है। टीएमसी ने 6 अगस्त को मतदान के दौरान अनुपस्थि​त रहने का फैसला लिया है।

Vice President Election : देश के नये राष्ट्रपति का चुनाव NDA प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू जीत गई हैं। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति चुनाव ( Vice president election ) को लेकर सियासी मगजमारी तेज हो गई है। भाजपा ( BJP ) ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ( Jagdeep Dhankhar ) को उपराष्ट्रपति पद के लिए सामने रखा है। विपक्ष की ओर से कांग्रेस की दिग्गज नेता मार्गरेट अल्वा को उम्मीदवार बनाया गया है। इस बात को लेकर टीएमसी ( TMC ) नाराज है और उसने उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान के दौरान अनुपस्थि​त रहने का फैसला लिया है।

टीएमसी ( TMC ) के इस रुख के बाद उपराष्ट्रपति चुनावों को लेकर विपक्षी दलों के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गया है। तृणमूल कांग्रेस के रुख से स्पष्ट हो गया है कि वह विपक्ष की तरफ से लिए जाने वाले तमाम फैसलों में खुद को केंद्र में रखे जाने के पक्ष में है। ऐसा न होने पर टीएमसी विपक्षी खेमे में खड़ा होने के बदले एकला चलो की राह पर चलना ही पसंद करेगी।

नेतृत्व के मुद्दे पर टीएमसी-कांग्रेस आमने सामने

सियासी जानकारों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस की नाराजगी की वजह कांग्रेस नेता मार्गरेट अल्वा को उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषित किया जाना है। टीएमसी की नाराजगी भी जायज है। विपक्षी खेमे का प्रमुख चेहरा होने के बावजूद उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष की बैठक में तृणमूल को अंतिम समय में सूचना दी गई। रिजल्ट यह सामने आया कि उसका कोई प्रतिनिधि उसमें शामिल नहीं हो सका। जब विपक्ष ने माग्रेट अल्वा का नाम तय कर लिया तो शरद पवार ने ममता ( Mamata banerjee ) से बात की लेकिन तब ममता ने कुछ नहीं कहा, पर टीएमसी संकेत दिए हैं कि वो खुद की उपेक्षा बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है।

शरद पवार के ने कहते ही पड़ गए थे विपक्षी खेमे में फूट के बीज

बात यह है कि सीएम ममता बनर्जी ( Mamata banerjee ) की नाराजगी उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी खेमे से मार्गरेट अल्वा की घोषणा से पहले यानि राष्ट्रपति चुनाव से ही शुरू हो गई थी। ममता की तरफ से शरद पवार को उम्मीदवारी का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन पवार के इनकार के बाद यशवंत सिन्हा का नाम आया। यह नाम तृणमूल की तरफ से नहीं बल्कि माकपा की तरफ से सुझाया गया। तब पवार के कहने पर ममता भी मान गईं थीं। बाद में तृणमूल कांग्रेस ने यह जताने की कोशिश भी की कि यशवंत सिन्हा उनकी की पसंद हैं जबकि हकीकत में ऐसा नहीं था।

फिर, राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा की उम्मीदवारी से बाहर यह संदेश गया कि ममता बनर्जी विपक्षी राजनीति के केंद्र में हैं। वह ऐसा चाहती भी हैं। इसलिए वह पवार को आगे कर रही थी लेकिन सच यह है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों उम्मीदवार तय करने में तृणमूल की नहीं चली। यही उसकी नाराजगी की असल वजह है।

ऐसी स्थिति में उपराष्ट्रपति चुनाव में भी एनडीए की जीत तय है। ऐसा इसलिए कि प्रत्यक्ष रूप से तृणमूल कांग्रेस के इस फैसले से चुनाव पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। विपक्ष बार-बार एकजुट होने की बात करता है लेकिन जमीनी हालात एकदम उलट हैं। खुद कई मौकों पर विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास में जुटने वाली तृणमूल कांग्रेस अब खुद ही विपक्ष के साथ खड़ी नहीं है। कारण भले ही जो हो लेकिन इसका सीधा संदेश विपक्षी एकता के खिलाफ है।

गुरुवार को टीएमसी की बैठक के बाद राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि उपराष्ट्रपति उम्मीदवार को नामित करने से पहले हमारी सहमति नहीं ली गई थी। ममता बनर्जी ने सभी सांसदों के सलाह से फैसला किया है कि टीएमसी एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का समर्थन नहीं करेगी। आज की बैठक में शामिल हुए 85 प्रतिशत सांसदों ने कहा कि जिस तरह विपक्ष ने टीएमसी से चर्चा किए बिना अपना उम्मीदवार तय किया है इसलिए हम विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार को वोट नहीं देंगे।

ममता देना चाहती है कि मोदी को चुनौती

दरअसल, टीएमसी भाजपा के लिए एक विश्वसनीय चुनौती के रूप में अपनी पहचान स्थापित करना चाहती है। इस मुहिम में टीएमसी कांग्रेस को भी साथ लाना चाहती है लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है। ममता बनर्जी ने दिल्ली के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित किया है और इसके लिए उन्हें एक यूनाइटेड विपक्ष की जरूरत है, जिस मुहिम को अंजाम तक पहुंचाना आसान काम नहीं है।

मोदी और दीदी में कोई अंतर नहीं

दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस द्वारा मतदान में अनुपस्थित रहने की कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आलोचना की है। उन्होंने कहा कि इससे साबित हो गया है कि मोदी और दीदी दोनों एक ही हैं। उन्होंने कहा कि दीदी मोदी की दलाली कर रही हैं। माकपा ने भी तृणमूल कांग्रेस के निर्णय की आलोचना करते हुए कहा कि इससे तृणमूल और भाजपा की साठगांठ खुलकर सामने आ गई है।

Vice President Election : बता दें कि छह अगस्त को उप राष्ट्रपति का चुनाव होना है। राजग ने जगदीप धनखड़ और विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त रूप से कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मार्गरेट अल्वा को उम्मीदवार बनाया है।

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