बिहार चुनाव : राजनीतिक शॉपिंग के लिए 2 से 3 घंटे में तैयार हो रहे कुर्ता-पायजामा, कार्यकर्ता भी कर रहे नेताजी बनने का शौक पूरा
मनोज पाठक की रिपोर्ट
पटना। विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में शहरों से लेकर कस्बों और गांवों में भी चुनावी रंग अब धीरे-धीरे चढ़ने लग गया है। शहर के चौराहों से लेकर गांवों के चौपालों तक में चुनावी चर्चा का दौर जारी है। लोग चौपालों में बैठकर सरकार बना रहे और गिरा रहे हैं। इस बीच, राजनीतिक शॉपिंग भी जोरों पर है। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी 'नेता जी' बनने की शौक पाले इस चुनावी मौसम में पायजामा और कुर्ता, बंडी की खरीदारी कर रहे हैं।
ऐसे में राजधानी से कस्बों तक में खादी की दुकानों और टेलरों के दुकानों में नेताओं की खूब भीड़ लग रही है। सभी राजनीतिक दल के नेता अब ना केवल खादी के कुर्ता और पायजामा के कपड़े खरीद रहे हैं बल्कि ये फैशनेबल नेता कपड़ों के रंगों का भी बारीकी से चयन कर रहे हैं।
क्षेत्रीय नेता अपने-अपने दल के प्रमुख नेताओं की स्टाइल का ना केवल वस्त्र पहनने की चाहत रखते हैं, बल्कि वो ऐसे स्टाइल के कपड़े भी खरीद रहे हैं। भाजपा के कार्यकर्ता जहां नरेन्द्र मोदी के स्टाइल में कुर्ता बनवा या खरीद रहे हैं जबकि कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता की पसंद राहुल गांधी के स्टाइल के पायजामा और कुर्ता बना हुआ है।
पटना के वीरचंद पटेल पथ के पास खादी कपड़ा दुकानों ने टेलरों की संख्या बढ़ा दी है। कोरोना काल की मंदी के बाद इसे उबरने के लिए दुकानदार और टेलर भी किसी ग्राहक को वापस नहीं लौटने दे रहे हैं। इन दुकानों पर दिन के प्रारंभ होते ही ग्राहकों की भीड़ लग रही है। इन दुकानों में देर रात तक सिलाई का कार्य चल रहा है। एक आम कारीगर भी प्रतिदिन 7 से 8 जोड़ा कुर्ता-पायजामा बना रहे हैं।
करीब 10 वर्षों से दर्जी का काम कर रहे मकसूद आलम कहते हैं कि चुनाव की घोषणा के बाद से ही कुर्ता-पायजामा सिलवाने वालों की संख्या बढ़ गई है। वे कहते हैं कि नेता अपने-अपने खास स्टाइल के कुर्ता-पायजामा सिलवा रहे हैं।
उन्होंने कहा, "कई नेता तो दो से तीन घंटे में कुर्ता और पायजामा सिलवाने की गुहार लगा रहे हैं। हमलोग भी इन्हें निराश नहीं कर रहे हैं। साधारण कुर्ता-पायजामा के लिए 400 से 500 रुपए में तैयार हो रहा है।"
वे कहते हैं कि कई दुकानदारों के यहां चौबीस घंटे कार्य हो रहा है। टेलरों के लिए तो यह चुनाव वारदान साबित हुआ है।
हाईकोर्ट के पास टेलर दुकान चलाने वाले मोहम्मद खालिद कहते है, "यह चुनाव तो वरदान साबित हुआ है। कोरोना काल में तो भूखमरी की स्थिति बन गई थी। इस चुनाव से बाहर से भी ग्राहक आ रहे हैं।"
इधर, महिला राजनीति कार्यकर्ता भी सूती साड़ी खरीद रही हैं। इस चुनाव में महिलाओं की पसंद कॉटन, कोटा चेक, तांत की साड़ियां पहली पसंद बनी हुई हैं।
एक खादी कपड़ों के दुकानदार बताते हैं कि खादी के कई प्रकार बाजार में उपलब्ध हैं लोग चरखा खादी, मटका खादी, हैंडलूम खादी, अकबरपुरी खादी और मसलीन खादी काफी पसंद कर रहे हैं। आजकल लोग सफेद खादी के बजाय गहरे रंग के खादी ज्यादा पसंद कर रहे हैं।