राजनीतिक ब्लैकमेलर असदुद्दीन ओवैसी के लिए फाइनेंसर बनी भाजपा यूपी चुनाव में कैसे उठाएगी लाभ?
मो. जाहिद की टिप्पणी
जनज्वार ब्यूरो। ओवैसी के गृहराज्य तेलंगाना में कुल 119 सीट है और वहाँ ओवैसी की एमआईएम (MIM) कुल आठ सीटों पर चुनाव लड़ती है। क्योंकि इसलिए कि मुस्लिम वोटों का इन 119 सीटों पर बंटवारा ना हो और उनके पसंद की सरकार तेलंगाना में बन जाए।
काँग्रेस, समाजवादी पार्टी और अन्य सेकुलर पार्टियों को पानी पी-पीकर कोसने वाले ओवैसी (OWAISI) को तेलंगाना में इन सेकुलर पार्टी से भी गयी गुजरी चन्द्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस अच्छी लगती है। क्योंकि इसलिए कि टीआरएस हैदराबाद में 'दारुस्सलाम' के वित्तीय साम्राज्य की रक्षा करे।
इसके बावजूद कि 2014 के बाद मुसलमानों के खिलाफ बने 10 से अधिक कानूनों को संसद में के चन्द्रशेखर राव की टीआरएस ने समर्थन दिया था। फिर भी ओवैसी ना तो वहाँ उनका विरोध करते हैं और ना टीआरएस (TRS) के खिलाफ उम्मीदवार उतारते हैं। क्योंकि वहाँ उनको हिस्सेदारी नहीं चाहिए, वहाँ उनको, उनके परिवार को, उनके वित्तीय संस्थान और उनके छोटे भाई की गुंडागर्दी को सुरक्षा चाहिए।
बाकी जहाँ जहाँ चुनाव होगा, वह हिस्सेदारी माँगेंगे और दूसरी पार्टी के समर्थकों को उनके ट्रोलर्स सपा या काँग्रेस का दरी बिछाने वाले कहेंगे। जबकि हकीकत यह है कि तेलंगाना में आज कांग्रेस (CONGRESS) की सरकार बन जाए तो ओवैसी का खानदान कल से कांग्रेस की वहाँ दरी बिछाने लगेगा। जैसे आज खुद ओवैसी और उनका पूरा खानदान तेलंगाना में केसीआर की दरी बिछाता है और उनकी औकात नहीं कि केसीआर के खिलाफ तेलंगाना में नौवां उम्मीदवार उतार दें।
उत्तर प्रदेश में जहाँ जुमा-जुमा 4 ठो उनके सोशल मीडिया (MEDIA) ट्रोल हैं वहाँ 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर रहे हैं। क्योंकि इसलिए कि हर चुनाव में एकजुट होकर एकतरफा पड़ने वाला मुसलमान वोट बिखरकर अपनी ताकत खो दे और इनकी फाइनेन्सर भाजपा जीत जाए।
दरअसल पिछले 4 साल से देखिए तो भाजपा (BJP) संकुचन के दौर से गुजर रही है और उसकी यदि कहीं जीत मिली भी है तो बहुत मार्जिनल जीत है। जैसे आसाम में काँग्रेस को भाजपा से अधिक वोट मिले पर 100-500-1000 वोटों से भाजपा के विधायक जीते। यही बिहार में हुआ, वहाँ भाजपा गठबंधन का राजद गठबंधन से वोट का प्रतिशत •75% अर्थात मात्र 54000 वोट अधिक था।
इसी तरह मध्यप्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा में भी हुआ, ओवैसी उत्तर प्रदेश (UTTAR PRADESH) की ऐसी ही संभावना में वोट प्रतिशत का अंतर भाजपा के पक्ष में कराने के लिए 100 उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर रहे हैं। उनको अपने राज्य में तो खुद की सुरक्षा करती सरकार चाहिए पर और राज्यों में उनको भाजपा की सरकार अपनी कयादत और भागीदारी की कीमत पर चुन ली जाए तो भी चलेगी।
यह खेल है, योगी जी का बयान उसी खेल को चर्चा में लाने के लिए है वर्ना जो योगी जी मायावती (MAYAWATI) पर दो शब्द खर्च नहीं करते वह ओवैसी पर क्युँ कर रहे हैं? अपने गृह प्रदेश की मात्र 8 सीटों पर चुनाव लड़ने वाले को बड़ा नेता बता रहे हैं।
दरअसल ओवैसी ज़मीन पर काम ना करके एक राजनैतिक ब्लैकमेलर की तरह सेकुलर पार्टी को ब्लैकमेल कर रहे हैं कि मुझसे गठबंधन करो नहीं तो मैं मुस्लिम (MUSLIM) वोट बिखेर दूंगा। सेकुलर पार्टी उनके साथ गठबंधन करके भाजपा के इस आरोप को लगाने का मौका नहीं देना चाहती कि वह इस्लामिक स्टेट की सोच वालों के साथ खड़े हैं।
मुसलमान सब समझ रहा है, उसको कयादत भागीदारी के चोचले में फंसाकर भाजपा को मदद करते ओवैसी की असलियत पता है। और वह इससे भी वाकिफ है कि शेष सेकुलर पार्टियाँ भी मुसलमानों को भागीदारी देती ही रही हैं। जिसे ओवैसी भागीदारी नहीं मानते, क्योंकि इसलिए कि जो ओवैसी का समर्थक नहीं वह इनकी नजर में मुसलमान नहीं मुनाफिक है।