Manish Gupta Case : मनीष गुप्ता केस में जब एक FIR में खेल हो गया तो महज चुनावी लॉलीपाप न साबित हो CM का मागें स्वीकारना
(अधूरी एफआईआर और परिवार से मिले सीएम योगी)
Kanpur/Gorakhpur (जनज्वार) : उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित एक होटल में देर रात पुलिस की दबिश के बाद पिटाई से कानपुर के मनीष गुप्ता की मौत हो गई थी। व्यापारी की इस मौत के बाद सोशल मीडिया से लगाकर हर कहीं आक्रोश है। इस मामले में राजनीति भी तेज हुइ। पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मृतक के परिजनों से मिले।
मुख्यमंत्री से मिलने के बाद मृतक की पत्नी मीनाक्षी ने बताया कि, उन्होंने बोला कि जॉब भी मिल जाएगी। उन्होंने खुद अपनी ओर से कहा कि आपका केस यहां ट्रांसफर कर देते हैं। एक अच्छी टीम तैनात कर देते हैं, जिससे आपका कार्य बहुत अच्छे से हो पाए। वो ये बात खुद ही समझ रहे हैं कि मैं गोरखपुर जाकर ये कार्य नहीं कर सकती। साथ ही मामले में सीबीआई से जांच की मांग पर भी हामी भर दी है।
हाथरस के पीड़ित अभी भी कर रहे वादे का इंतजार
योगी आदित्यनाथ द्वारा मांगे मान लेने का लॉलीपाप मिलने के बाद मृतक की पत्नी हो सकता है संतुष्ट हो। लेकिन हाथरस गैंगरेप मामले में भी इसी सरकार में पीड़िता पर पुलिस उत्पीड़न होते देश दुनिया ने देखा। कार्रवाई क्या हुई ये जानकारी भी है। मृतक परिवार को 25 लाख रूपयों के अलावा एक सरकारी घर और परिवार के सदस्य को नौकरी का आश्वासन दिया गया था। हालांकि, रूपये तो मिले लेकिन परिवार नौकरी और मकान अब भी पाने को प्रयासरत है।
एक FIR भी ठीक से नहीं लिखी गई
इससे पहले यह भी याद रखना होगा की मनीष गुप्ता की जहां हत्या हुई मतलब गोरखपुर में वहां की पुलिस (Gorakhpur Police) भी योगी आदित्यनाथ की पुलिस है। खुद उनका गृहनगर है। तब ऐसे में उनकी पुलिस उनसे ही खेल कर रही। और खेल नहीं कर रही तो यह एफआईआर की कॉपी देखिए जिसमें दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ जो मुकदमा पंजीकृत किया गया है उनमें पुलिस का कोई माईबाप नहीं है। जब गए थे सभी साथ में थे, अब तीन अज्ञात हैं।
योगी चाहते तो तुरत होती कार्रवाई
योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री हैं। अब तक उनके कार्यकाल में कितनों को न्याय मिल सका है। उनके ही कार्यकाल में उनके ही गृहनगर की पुलिस ने इतना बड़ा कांड अंजाम दे दिया और एक FIR भी ठीक तरह नहीं लिखी गई। योगी इसपर कड़ा एक्शन ले सकते थे, वो भी तत्काल। लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान वह सिर्फ अपने नौकरशाहों के बताए रास्तों से ज्यादा चलते नहीं दिखते।
भाजपा के सक्रिय सदस्य थे मनीष गुप्ता
भेदभाव तो योगीराज में ही संभव है। अभी चुनाव का समय है। योगी आदित्यनाथ ने अगर कुछ मान भी लिया है तो उसे गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। तब जब मृतक मनीष गुप्ता भाजपा के सक्रिय कार्यकर्ता थे। मनीष कुछ समय पहले ही पार्टी से जुड़े थे। तब खुद योगी की पुलिस ने उनके अपने ही कार्यकर्ता के साथ इतनी निर्ममता और बेरहमी की। बहुत नाइंसाफी है।