Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा, हम नहीं रोकते तो सुदर्शन टीवी पर दिखाया जाता रहता UPSC जेहाद ?

Janjwar Desk
23 Sept 2020 8:49 PM IST
Hijab Row : शैक्षणिक संस्थान तय कर सकते हैं ड्रेस, हिजाब बैन को चुनौती देने पर बोला सुप्रीम कोर्ट
x

Hijab Row : शैक्षणिक संस्थान तय कर सकते हैं ड्रेस, हिजाब बैन को चुनौती देने पर बोला सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, कार्यक्रम अभी तक समाप्त हो गया होता, अगर कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया होता...

नई दिल्ली। केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि प्रथमदृष्टया ऐसा लगता है कि सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम 'यूपीएससी जेहाद' ने प्रोग्राम कोड का उल्लंघन किया है और इसी वजह से चैनल को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और बताने के लिए कहा गया है कि उसके खिलाफ क्यों न कोई कार्रवाई की जाए। केंद्र की ओर से पेश सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति डी.वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को कहा कि सुदर्शन टीवी को 28 सितंबर तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है और सुझाव देते हुए कहा कि कोर्ट को मामले की सुनवाई स्थगित कर देनी चाहिए।

इसपर, पीठ ने कहा कि अगर उसने मामले में हस्तक्षेप नहीं किया होता और रोक नहीं लगाई होती तो, सभी 10 एपिसोड टेलीकास्ट कर दिए जाते।

न्यायमूर्ति चद्रचूड़ ने कहा, "कार्यक्रम अभी तक समाप्त हो गया होता, अगर कोर्ट ने हस्तक्षेप नहीं किया होता।"

मेहता ने इसपर कहा कि यह अच्छा होगा अगर अदालत का हस्तक्षेप मामले में अंतिम उपाय हो।

न्यायमूर्ति ने कहा कि इसके साथ ही सुनवाई को भी समाप्त करने की जरूरत होती है, सभी अच्छी चीजों का भी अंत होता है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 सितंबर को सुदर्शन टीवी के मुसलमानों के सिविल सेवा में चुने जाने को लेकर दिखाए जा रहे कार्यक्रम पर सख़्त एतराज़ जताते हुए बचे हुए एपिसोड दिखाने पर रोक लगा दी थी.

सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की खंडपीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि इस चैनल की ओर से किए जा रहे दावे घातक हैं और इनसे यूपीएसी की परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लग रहा है और ये देश का नुक़सान करता है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "एक ऐंकर आकर कहता है कि एक विशेष समुदाय यूपीएससी में घुसपैठ कर रहा है. क्या इससे ज़्यादा घातक कोई बात हो सकती है. ऐसे आरोपों से देश की स्थिरता पर असर पड़ता है और यूपीएससी परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लांछन लगता है."

उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति जो यूपीएससी के लिए आवेदन करता है वो समान चयन प्रक्रिया से गुज़रकर आता है और ये इशारा करना कि एक समुदाय सिविल सेवाओं में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहा है, ये देश को बड़ा नुक़सान पहुँचाता है. सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को मामले की फिर से सुनवाई करेगा.

Next Story

विविध