दुनिया भारत को देखकर शाबासी दे रही क्योंकि गुजरात से लेकर भैंसाकुंड तक गरीबी नहीं गरीब हटाए जा रहे
अबतक यूपी में भाजपा के 13 मंत्रियों-विधायकों ने छोड़ी पार्टी
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार ब्यूरो, लखनऊ। कल ही पूरे देश ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खुद की नाकामियां छुपाने के लिए अपनाया गया बेशर्मी भरा कदम देखा है। कोविड महामारी के प्रबंधन में फेल सरकार ने जलती हुई लासों को छुपाने के लिए भैंसा कुंड को मोटी टीन की चादर से ढ़कवा दिया, जिसके बाद कल रात सभी जिलों के डीएम व सीएमओ को आदेश दिया गया है कि यदि कोई अस्पताल संक्रमितों को भर्ती नहीं करेगा तो उसके खिलाफ महामारी एक्ट का मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
लखनऊ प्रशासन की आबरू बचाए रखने की जद्दोजहद का हिस्सा है ये टीन की मोटी चादर, जिससे जलती हुई चिताओं की उठती लपटों से लगातार झुलस रही सरकार को बचाया जा सके। 2022 का चुनाव दूर नहीं सरकार पंचायत चुनाव के लिए लाशों पर राजनीति कर रही है। लखनऊ के बैकुंठ धाम में 14 अप्रैल को 72 संक्रमितों के शव जलाए गए। जो सरकारी आंकड़ों में दिखाए गए सिर्फ 14। वहीं गुलाला घाट में 33 संक्रमितों के शव जलाए गए, यानि 14 अप्रैल को लखनऊ में कुल 105 संक्रमितों के शव जलाए गए, मगर सरकारी आंकड़ों में दिखाए गए 68।
सरकार को लगता है कि आंकड़े छिपाने से जिम्मेदारी छिप जाएगी, जो मुश्किल है। वाकई दुनिया भारत को देख रही होगी। अभी एक महीना पहले बंगलुरू में आरएसएस के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी ने बताया था कि इस कोरोना काल मे राम मंदिर निधि समर्पण अभियान में दो महीने पहले तक देश के अलग अलग 5 लाख 45 हजार 737 स्थानों पर जाकर 12 करोड़ 47 लाख 21 हजार परिवारों से आरएसएस कार्यकर्ताओं ने संपर्क किया। इस अभियान में लगभग 20 लाख कार्यकर्ता लगे जिन्होंने दिन रात मेहनत की।
इस चंदा अभियान से कुछ दिन पहले पता चला कि खुद भैय्याजी जोशी कोरोना पॉजिटव हो गए। वाकई दुनिया बहुत शाबासी भी दे रही है कि देश मे इन्होंने बहुत बढ़िया ढंग से कोरोना फैलाया है। अभी भी कोई कमी नही की जा रही। रोज के दो लाख मामले निकल रहे हैं और हरिद्वार कुम्भ को समय से पूर्व समाप्त नही किया जा रहा। गुजरात की तरह यूपी भी भाजपा शासित राज्य है। तो जलती चिताओं के "फूल" भी आपको बता ही देंगे की वोट किसको दिया। वह तो फोटो वीडियो भेजने वालों की किस्मत अच्छी है कि बाबाजी खुद इसी महामारी से पीड़ित हैं और अस्पताल में हैं, नहीं तो अब तक वीडियो बनाने वाला देशद्रोह में अंदर हो चुका होता।
लेकिन यह सब बातें छोटी मोटी हैं। कलयुग के रामराज्य में पीड़ित पर ट्रक चढ़ जाना, गाड़ी पलट जाना, रेप, दंगे और हत्या के आरोपी पर से मुकदमा वापस ले लेना तो ऐसे ही है जैसे गुजरात में किसी गुजराती का बैंक से लोन लेकर देश से ही चंपत हो जाना। हम एक ऐसे देश के नागरिक हैं, जहां विदेशी राष्ट्रपति से गरीबी छुपाने के लिए गरीबी नहीं हटाई जाती बल्कि गरीब हटाए जाते हैं। ट्रंप की भारत यात्रा के समय गुजरात की दीवार सभी को याद होगी, बात गुजरात की है तो सहज ही अनुमान लगा सकते हैं की उन गरीबों का वोट किसको मिला होगा। उसके बाद से उन गरीबों की कोई खोजखबर मीडिया तो खैर क्या ही लेता, हम आप भी भूल गए।