धरती के स्वर्ग लक्षद्वीप को नरक बनाने की कोशिश, तानाशाह की भूमिका में हिंदूराज कायम करते प्रफुल्ल खोड़ा पटेल
सोशल मीडिया पर ट्रेंड हो रहा है सेव लक्षद्वीप कैंपेन, पानी के अंदर भी लोगों ने लक्षद्वीप को बचाने के लिए किया आंदोलन
थम्पन थाॅमस और संदीप पाण्डेय का विश्लेषण
जनज्वार। धरती पर स्वर्ग की क्या कल्पना हो सकती है? जहां लोग आपस में मिलकर रहते हों। कोई किसी से झगड़ा न करता हो। कोई अपराध न होता हो। आर्थिक विषमता ज्यादा न हो। लोगों को शराब या नशे की बुरी लत न हो। सभी लोगों को शिक्षा व स्वास्थ्य की सुविधाएं समान रूप से उपलब्ध हों। लोगों का पर्यावरण के साथ तालमेल हो ताकि लोगों के जीने के तरीका में प्राकृतिक संसाधनों कर क्षरण या दोहन न हो। विकास का तरीका सतत हो। लोग कोविड जैसी बीमारी के प्रकोप से बचे रहें। यह कोई काल्पनिक जगह की बात नहीं हो रही। धरती और भारत में एक ऐसी जगह थी, जब तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने यहां हस्तक्षेप नहीं किया और अपने गुजरात के एक भूतपूर्व गृहमंत्री प्रफुल्ल खोदा पटेल को यहां प्रशासक बना कर नहीं भेजा।
भारत के लिए सामाजिक, राजनीतिक व सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण लक्षद्वीप अरब महासागर में स्थित एक केन्द्र शासित प्रदेश है। इसकी जैव विविधता व पारिस्थितिकी इसकी विशेषता है। लोग शांतिप्रिय हैं व सामाजिक सौहार्द्र पसंद हैं। 93 प्रतिशत आबादी आदिवासी मुस्लिम हैं जिन्हें अनुसूचित अधिकार मिले हुए हैं। इन्हें अपनी संस्कृति, विविधता व विशेषता बनाए रखने का सांविधिनिक संरक्षण प्राप्त है।
दुर्भाग्य से वर्तमान केन्द्र सरकार भारत में हिन्दू राष्ट्र स्थापित करने के अपने प्रयास में ब्राह्मणवादी सोच के तहत सभी अल्पसंख्यकों व आदिवासियों को समाप्त करना चाहती है। जब से प्रफुल्ल खोदा पटेल यहां प्रशासक बन कर आए हैं वे ताकत के बल पर यहां सब कुछ तहस नहस कर देना चाहते हैं। अभी तक जो प्रशासक आए थे, वे भारत सरकार के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी होते रहे हैं जो स्थानीय लोगों व जिला पंचायत के जन प्रतिनिधियों के साथ मिलकर यहां का प्रशासन चलाते रहे हैं। लक्षद्वीप को राज्य का दर्जा नहीं है और यहां का प्रशासक राज्यपाल या उप राज्यपाल की भूमिका में भी नहीं हो सकता। वर्तमान प्रशासक प्रफुल्ल खोदा पटेल एक राजनीतिक व्यक्ति हैं और शासक व तानाशाह की भूमिका में यहां भाजपा का वर्चस्व कायम करना चाहते हैं।
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वे खुद बता चुके हैं कि वे लक्षद्वीप को पड़ोसी मालदीव जैसा पर्यटन की दृष्टि से आकर्षक जगह बनाना चाहते हैं। लक्षद्वीप की 70,000 की आबादी मुनाफाखोर पर्यटन व्यापारियों व उद्योगपतियों, (जिनके लिए शराब व जुए के केन्द्र खोले जाएंगे) के हवस का शिकार बन खत्म हो जाएगी। यहां की विशेषता मूंगा अरब सागर में डूब समाप्त हो जाएंगे।
लक्षद्वीप में एक साल से कोविड का कोई भी मामला नहीं था क्योंकि कोच्चि, केरल से लक्षद्वीप आने वाले सभी लोगों को पहले अलग-थलग रखने की व्यवस्था थी, लेकिन वर्तमान प्रशासक ने यह व्यवस्था खत्म कर दी और लक्षद्वीप पर कोविड के हजारों मरीज संक्रमित हो गए।
विकास के नाम पर लोगों को अपनी जमीन से बेदखल किया जा रहा है। पर्यटन के विकास के नाम पर पारम्परिक मछली मारने के व्यवसाय को बर्बाद कर दिया। खाड़ी में सोलर पैनल लगा कर लक्षद्वीप की वनस्पति व जीव जगत समेत परिस्थितिकी को हानि पहुंचेगी।
जहां कोई अपराध का इतिहास न हो, जहां की जेलें खाली हों, वहां पर समाज विरोधी गतिविधियों की रोकथाम विनियमन लागू कर प्रशासन का विरोध करने वालों को जेल भेजने की तैयारी है। शराब पर लगी पाबंदी को हटा दिया गया है।
यह आश्चर्य की बात है कि प्रफुल्ल खोदा पटेल, अमित शाह व नरेन्द्र मोदी तीनों गुजरात से हैं, जो महात्मा गांधी का गृह राज्य होने के कारण, जहां आजादी के समय से ही शराब पर रोक लगी हुई है। यह बात दूसरी है कि जो चाहे उसे मिल भी जाती है। मई 2017 में गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल का बेटा अपनी पत्नी और बेटी के साथ एक हवाई यात्रा करने जब अहमदाबाद हवाई अड्डे पहुंचा तो वह शराब के नशे में इतना धुत था कि हवाई जहाज वाली कम्पनी ने उसे हवाई जहाज में ले जाने से मना कर दिया। किसी ने यह नहीं पूछा कि गुजरात में शराब पर प्रतिबंध होते हुए उसे शराब कहां से मिली?
उत्तर प्रदेश में 2020 और 2021 की तालाबंदी में जो दुकानें सबसे पहले खोली गईं, वे शराब की दुकानें थीं। 2020 में शराब की दुकानें खुलते ही तालाबंदी शिथिल पड़ गई। शराब और नशे का सेवन करने वालों को कोविड का रोग पकड़ने की सम्भावना ज्यादा होती है। फिर भी एक महंत की सरकार ने शराब पर पाबंदी हटाने में कोई संकोच नहीं किया, बल्कि योगी आदित्यनाथ शराब के पैसे से गौशालाओं का संचालन भी करवा रहे हैं। हरियाणा में भी तालाबंदी के दौरान सबसे पहले शराब की ही दुकानें खुलीं। यह सोचने वाली बात है कि भाजपा के नेताओं को शराब से इतना प्रेम क्यों है?
चूंकि लक्षद्वीप की आबादी ज्यादा मुस्लिम है इसलिए मांसाहारी खाने का प्रचलन है, मगर प्रफुल्ल खोदा पटेल ने एक पशु संरक्षण विनियमन लागू किया है जिसके तहत गौ-हत्या पर प्रतिबंध लगा दिया है। पशुपालन विभाग के साथ-साथ मुर्गी फार्म, मवेशी फार्म भी बंद कर दिए गए हैं। जेल के अंदर गौ-भैंस मांस रखने व बेचने पर जुर्माना लगेगा। छात्रों द्वारा विद्यालयों में मांसाहारी भोजन का सेवन करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
गौरतलब है कि भाजपा की ही सरकारों ने गोवा व पूर्वोत्तर के राज्यों में जहां आबादी गौ-मांस का सेवन करती है वहां गौ-हत्या पर प्रतिबंध नहीं लगाया है, किंतु एक छोटी सी आदिवासी आबादी के साथ वह मनमानी कर रही है। यदि ऐसा कोई निर्णय लिया भी जाना था तो इसपर लोगों के साथ विचार विमर्श होना चाहिए था। परम्परा के नाम पर मंदिरों में पशुओं की बलि को न रोकर मुस्लिम आबादी को गौ-भैंस मांस का सेवन करने से रोकना भाजपा-राष्ट्रीय 'संवेदनहीन' संघ का पशु प्रेम नहीं है, बल्कि तुच्छ राजनीति है।
प्रफुल्ल पटेल ने 15-20 वर्षों से संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। शैक्षणिक संस्थान बंद कर शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों की छुट्टी कर दी गई है। नई नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। पंचायत चुनाव में खड़े होने के लिए दो बच्चों से कम का मानक लागू कर दिया है। लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 का बजट स्थानीय मजदूरों के हितों के खिलाफ है। इलाज के लिए हवाई एम्बुलेंस सेवा से स्थानीय नागरिक वंचित हो गए हैं। ये सारे निर्णय मनमाने तरीके से लिए गए हैं जो भाजपा सरकारों का काम करने का अब चिर-परिचित तरीका हो गया है।
लक्षद्वीप के प्रशासक की लक्षद्वीप को मालदीव जैसा पर्यटक स्थल बनाने की कोशिश यहां की परिथितिकी व सतत विकास की प्रक्रिया के विपरीत है। वे लोगों के अंदर भय पैदा कर यहां के लोकतंत्र व परम्परा को वे चुनौती दे रहे हैं। प्रशासक न्यायमूर्ति आर. रवीन्द्रन समिति की सतत विकास पर आख्या का उल्लंघन कर रहे हैं। यह देश के संविधान और उसकी प्रस्तावना में उल्लिखित उद्देश्यों का भी उल्लंघन है। यह लक्षद्वीप के लोगों में अलगाव की भावना लाकर भारत के संघीय ढांचे की भावना के लिए भी खतरा है।
यहां के लोगों को बर्बाद कर उनकी जमीनें औने-पौने दामों पर निजी कम्पनियों को दे दी जाएंगी। लक्षद्वीप के समाज का चरित्र समाजादी है जहां न ज्यादा अमीरी है न ज्यादा गरीबी, जीवन स्तर एक जैसा है, शिक्षा व स्वास्थ्य के मानक बेहतर हैं, जनसंख्या वृद्धि पर स्वानुशासन पूर्वक नियंत्रण है, अधिकांश लोग एक धर्म को मानने वाले हैं, एक दूसरे को जानते हैं व यहां सामाजिक सौहार्द्र है। मछली मारना और नारियल उत्पादन आजीविका के स्रोत हैं। जैव विविधता व पारिस्थितिकी की स्थिति अच्छी है।
अभी तक लक्षद्वीप के 34 प्रशासक भारत सरकार के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी रहे हैं, लेकिन किसी ने भी राज्यपाल या तानाशाह बनने की कोशिश नहीं की। वर्तमान प्रशासक स्थानीय लोगों की इच्छा के खिलाफ लक्षद्वीप को मालदीव बनाना चाहता है। यह संविधान विरोधी है। लक्षद्वीप में सामान्य जीवन बहाल करने के लिए इस प्रशासक का हटाया जाना जरूरी है। लक्षद्वीप के औरत, आदमी, बच्चे, जवान सभी लक्षद्वीप को बचाने के लिए एक साथ आ गए हैं।