'जो दिल्ली में काम के नहीं थे, उन्हें गवर्नर बना दिया..', गडकरी ने शरद जोशी की कविता से बयां की सियासत की कहानी
सार्वजनिक जीवन में साफगोई से बात करने वाले नितिन गडकरी को सामने आकर क्यों देनी पड़ी सफाई?
जनज्वार। भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यन स्वामी के अलावा नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ही एकमात्र ऐसे केंद्रीय मंत्री हैं जो हंसी मजाक में कभी-कभी अपनी बात रख देते हैं। इससे अक्सर वह चर्चाओं में रहते हैं। इसलिए उन्हें सत्ता ही नहीं विपक्ष में भी पसंद किया जाता है। गडकरी का एकक नया वीडियो इन दिनों काफी वायरल हो रहा है जिसमें वह गुदगुदाते हुए शब्दों में सियासतदानों को संदेश दे रहे हैं।
दरअसल वीडियो राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) का है जिसमें चर्चा का विषय था- 'संसदीय प्रणाली एवं जन अपेक्षाएं'। इस दौरान जब बोलने के लिए गडकरी का नंबर आया तो उन्होंने वो संदेश दिया कि जिससे हर नाराज व असंतुष्ट नेता खुश हो जाए। गडकरी ने भाजपा समेत सभी दलों के नेताओं को संदेश दिया कि राजनीति में जिसे जो पद, काम या मकाम मिले, वह उसमें खुश रहने की कोशिश करे।
गडकरी ने क्रिकेट का किस्सा सुनाते हुए कहा कि एक बार मैंने सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) से कहा कि आओ..मेरे पास खड़े हो जाओ। मैंने देखा कि सचिन मेरे से कंधे तक ही हैं। मैंने कहा कि आप इतने छक्के मारते हो पर हाथ में तो ताकत ही नहीं है। इस पर सचिन ने कहा, नितिन जी क्रिकेट स्किल का खेल है। मैंने सुनील गावस्कर को भी देखा है कि उनकी हाइट तो जोशी जी (पास बैठे राजस्थान विधानसभा अध्यक्षा सीपी जोशी) से भी कम ही है।
गडकरी ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज के 6-6 फुट के बॉलर जो दूर से दौड़कर आते थे और सुनील छक्का मारते ते। मैंने उनसे भी पूछा तो उन्होंने कहा कि नितिन.. यह खेल स्किल का है। गडकरी ने आगे कहा कि राजनीति भी एक स्किल है। इस पर सभी नेता अपनी मेज थपथपाते हुए हंस पड़े।
गडकरी ने कहा, समस्याएं सबके सामने है। पार्टी में समस्या है, पार्टी के बाहर समस्या है। चुनाव क्षेत्र में समस्या है, परिवार में समस्या है, आजू-बाजू में समस्या है..किसी को आगे ले जाओ तो वह कहता है कि इसे हटा दो, उसे टिकट दे दो। समस्या किसके सामने नहीं है?
गडकरी ने आगे कहा कि एक बार किसी ने पूछा कि तुमसे कौन-कौन सुखी है। किसी ने हाथ खड़ा नहीं किया क्योंकि एमएलए थे वे इसलिए दुखी थे कि वे मंत्री नहीं बन पाए। इस पर सभी विधायक ठहाका मारकर हंसने लगे तो गडकरी बोले मैं आपके लिए नहीं कह रहा हूं। उन्होंने आगे कहा मंत्री इसलिए दुखी थे कि उन्हें अच्छा विभाग नहीं मिला। जिन्हें अच्छा विभाग मिला वे इसलिए दुखी थे कि वे मुख्यमंत्री नहीं बन पाए और जो मुख्यमंत्री नहीं बन पाए, वो इसलिए टेंशन में थे कि कब चले जाएं इसका कोई भरोसा नहीं। इस पर फिर सारे विधायक मेज थपथपाते हुए हंस पड़े।
गडकरी ने प्रसिद्ध कवि व लेखक शरद जोशी (Sharad Joshi) का भी जिक्र किया और कहा कि उन्होंने एक सुंदर कविता लिखी थी- जो राज्य में काम के नहीं थे, उनको दिल्ली भेजा। जो दिल्ली में काम के नहीं थे, उन्हें गवर्नर बना दिया। जो गवर्नर नहीं बन पाए उनको एंबेसेडर बना दिया।
गडकरी यहीं नहीं रुके उन्होंने हसंते हुए आगे कहा कि सभी पार्टियों में यह चलता है। जब मैं भाजपा का अध्यक्ष (BJP President) था तो कोई आदमी ऐसा नहीं मिला जो दुखी न हो। मैंने कहा कि दुख और समाधान मानने पर होता है। मैं बहुत सुखी हूं। इस पर सभी हंसने लगे।
गडकरी ने कहा, मैं अपने हिसाब से काम करते रहता हूं। कभी खुद शेफ का काम करता हूं, कभी सोशल वर्क करता हूं। एक मुझसे एक पत्रकार ने पूछा कि आप बहुत खुश हो, आपको कोई दुख या दर्द नहीं है। तो मैंने उससे कहा कि जो भविष्य कि चिंता करता है वह दुखी होता है। जो मिला अपनी औकात और हैसियत से मुझे बहुत ज्यादा मिला है, उसके ऊपर खुशी जताना है। आप जिस पर हो, उस पर खुश रहो और वनडे की तरह खेलते रहो।
गडकरी ने कहा कि मेरा आपसे यही कहना है कि जीवन में बहुत संघर्ष है। राजनीति में तनाव, सीमाएं, विवाद सब हैं पर इन सब समस्याओं को मात देकर यशस्वी लीडर होना यही तो आपकी परीक्षा है।