UP Election 2022 : अनुप्रिया-निषाद को ज्यादा टिकट देकर गठबंधन में बनाए रखने की कवायद, मंत्रियों-विधायकों के भागने से बैकफुट पर BJP
UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां पीक पर है। तमाम राजनीतिक पार्टियां पूरी तरह से कमर कस कर मैदान में उतर चुकी हैं। वहीं योगी आदित्यनाथ ( Yogi Adityanath ) के अगुवाई में उतरी भाजपा ( BJP ) हर हाल में अपनी सत्ता को बचाए रखने में जुटी है। इस बीच स्वामी प्रसाद मौर्य ( Swami Prasad Maurya ) की अगुवाई में पार्टी में फूट ने भाजपा शीर्ष नेतृत्व ( BJP Top Leadership ) को सकते में डाल दिया है। बताया जा रहा है कि अब इसका लाभ अपना दल ( Apna Dal ) और निषाद पार्टी ( Nishad Party ) को मिलना तय है।
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व दोनों सहयोगी दलों के साथ सीट शेयरिंग ( Seat Sharing ) को लेकर सहमति बनाने में जुट गया है। बुधवार को दोनों सहयोगी दलों के साथ एक राउंड की बैठक होने के बाद आज अपना दल ( एस ) ( Apna Dal-S ) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ( AnuPriya Patel ) और निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ( Sanjay Nishad ) के साथ सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने के लिए गृहमंत्री अमित शाह ( Union Home Minister Amit Shah ) दोबारा बैठक करेंगे। इससे साफ है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के सख्त रुख के बाद भाजपा बैकफुट ( Back foot ) पर आ गई है।
अपना दल के हिस्से में आई 14 सीटें
दरअसल, यूपी में भाजपा बीजेपी से लगातार ओबीसी नेताओं के छोड़ने से सहयोगी दलों की बार्गेनिंग ताकत में इजाफा हुआ है। यही वजह है कि बीजेपी सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारे को अंतिम फॉर्मूले पर घोषणा से पहले अमित शाह दोनों ही सहयोगी दलों के नेता के साथ आज फिर मुलाकात करेंगें। ताजा अपडेट के मुताबिक अनुप्रिया पटेल ने बीजेपी के सामने 30 से 35 के बीच सीटें मांग रखी, लेकिन 15 से 17 सीटों के बीच उन्हें सीट मिल सकती है। ताजा अपडेट यह है कि अपना दल को 14 सीटें मिली हैं। अनुप्रिया पटेल ने इस पर अपनी सहमति जता दी है।पिछली बार अपना दल को 11 सीटें मिली थी, जिनमें से 9 सीटों पर जीत मिली थी। इस लिहआज से देखें तो भाजपा अपना दल को 2017 की तुलना में ज्यादा सीटें दे रही है।
वहीं उत्तर प्रदेश में बीजेपी के दूसरी सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को भी 15 से 17 सीटें मिलने की संभावना मानी जा रही है। निषाद पार्टी को गोरखपुर, संत कबीर नगर, महराजगंज, कुशीनगर, जौनपुर, सुल्तानपुर और रामपुर जिले में सीटें मिलने की संभावना है। बता दें कि संजय निषाद का ओबीसी के निषाद समुदाय के बीच सियासी आधार है। वहीं अनुप्रिया पटेल का कुर्मी समाज के बीच इसी सियासी समीकरण को देखते हुए बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के लिए थोक में सीट देने की रणनीति बनाई है।
एक अन्य सूत्रों की मानें तो निषाद पार्टी 13 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि अपना दल 14 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। निषाद पार्टी कुशीनगर, महाराजगंज, आजमगढ़, रामपुर, सुल्तानपुर, संत कबीर नगर, गोरखपुर और जौनपुर से चुनाव लड़ेगी, जबकि अपना दल अयोध्या, प्रतापगढ़, इलाहाबाद और मिर्जापुर से चुनाव लड़ेगी। संजय निषाद की पार्टी रामपुर की सुअर सीट से भी चुनाव लड़ेगी जो समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान का गढ़ है। 2017 के विधानसभा चुनाव में आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम खान सुअर सीट से विधायक चुने गए थे।
दरअसल, संजय निषाद को तवज्जो देने की मुख्य वजह यह है कि उन्होंने अपने पुत्र प्रवीण निषाद की योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर से जीत ने भाजपा को चौंका दिया था। इसके बाद उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने पाले में लाने की कोशिश की थी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की आज एक बैठक होने वाली है।
2017 में ऐसा था समीकरण
2017 विधानसभा चुनाव में यूपी की 403 सीटों में से भाजपा बीजेपी 384 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी थी, जबकि बाकी सीटें 19 सीटें अपने दो सहयोगी अपना दल और भारतीय सुहेलदेव समाज पार्टी के लिए छोड़ दी थी। इस बार 2022 के चुनाव में बीजेपी का अपना दल ( एस ) और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन में है। बीजेपी की सहयोगी अपना दल (एस) पिछले चुनाव से ज्यादा सीटों की डिमांड कर रही है तो निषाद पार्टी भी अच्छी खासी सीटों पर चुनाव लड़ने का दम भर रही है।
भाजपा इस बार कम सीटों पर लड़ सकती है चुनाव
अपना दल और निषाद पार्टी के अलावा केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले और बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी भी अपनी पार्टी के लिए यूपी में बीजेपी से सीटों की मांग कर रहे हैं। ऐसे में बीजेपी अगर अपना दल को 11 से ज्यादा सीटें देती है और निषाद पार्टी को भी कम से कम दस सीटें देना पड़ता है तो बीजेपी को 384 से कम सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ सकता है। हालांकि, बीजेपी गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कोई फॉर्मूला सामने नहीं आया है, लेकिन सहयोगी दल जिस तरह से दबाव बना रहे हैं, उससे साफ जाहिर होता है कि भाजपा 2017 के चुनाव से कम सीटों पर ही चुनाव लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
2017 के विधानसभा चुनाव में अपना दल को 9 सीटों पर मिली थी जीत
बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में अपना दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और दोनों दलों के गठबंधन में राज्य में 321 सीटें जीती थी। जिसमें से बीजेपी ने 312 और अपना दल ने नौ सीटें जीती थी।