UP Elections 2022 : इन 5 चुनौतियों से कैसे निपटेंगे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ?
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UP Elections 2022 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतकर दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने की राह सीएम योगी आदित्यनाथ ( CM Yogi Adityanath ) के लिए आसान नहीं है। इस बार उनका मुकाबला अपने धुर विरोधियों के साथ कोरोना वैश्विक महामारी से भी है। सरकारी आंकड़ों में भी उनका ट्रैक रिकॉर्ड बहुत खराब है। मुख्य विपक्षी पार्टी सपा ने उनकी इस कमजोरी को अपना चुनावी एजेंडा भी बना लिया है। अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) हर सभा में इन मुद्दों को उठा रहे हैं, लेकिन इन सवालों को जवाब देने के बदले सीएम योगी मुद्दे को हिंदुत्व बनाम जिन्ना, अब्बाजान और चाचाजान से देने की कोशिश करते हैं, जिस पर लोग ऐतबार नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री के राइट हैंड बने योगी कैसे अपने सियासी किले को बरकरार रख पाएंगे।
फिर इस बार योगी आदित्यनाथ का मुकाबला केवल इंसानी चुनौतियों से नहीं बल्कि वैश्विक महामारी उत्पन्न सत्ता विरोधी लहर से भी है। दबी जुबान में अपनी पार्टी के अंदर भी उनका विरोध हो रहा है। ऐसे में अगर योगी को यूपी के किले पर कब्जा जमाए रखना है तो इन चुनौतियों से उन्हें पार पाना होगा।
1. कोरोना महामारी
उत्तर प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी तक 17.1 लाख लोग कोरोना से प्रभावित हुए हैं। इस वायरस की चपेट में आने से 22,915 लोगों की मौतें हुई हैं। विपक्षी दलों का दावा है कि कोरोना से मरने वालों की संख्या लाखों में हैं। इसके अलावा अस्पतालों में बेड नहीं, बेड मिला तो ऑक्सीजन नहीं…गंगा में बहते शव और उसे लेकर देशभर में ट्रोल करता सोशल मीडिया…दवा की दुकानों के बाहर लोगों की लंबी कतारें…कोरोना की दूसरी लहर के वक्त देशभर के अखबार, न्यूज़ चैनल और सोशल मीडिया में उत्तर प्रदेश ( UP Elections 2022 ) को लेकर कुछ ऐसी ही तस्वीरें की वजह से जनता में असंतोष है। साथ ही लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं, जिनका जवाब तो उन्हें देना ही होगा।
2. युवाओं में बेरोजगारी
योगी सरकार के श्रम व सेवा नियोजन मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में विधानसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि श्रम मंत्रालय की ओर से संचालित ऑनलाइन पोर्टल पर 7 फरवरी 2020 तक करीब 33.93 लाख बेरोजगार रजिस्टर्ड हुए हैं। स्वामी प्रसाद ने ही जून 2018 तक उत्तर प्रदेश में रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या 21.39 लाख बताई थी। इन आंकड़ों के मुताबिक यूपी में 12 लाख से अधिक युवा पिछले दो साल में खुद को बेरोजगार के तौर पर रजिस्टर्ड करा चुके हैं। पिछले 2 साल में बेरोजगारी दर में 54 फीसदी का अधिक का इजाफा हुआ है। इसके बावजूद जब-जब युवाओं ने रोजगार की मांग को लेकर भाजपा सरकार को कठघरे में खरा किया, उन पर पुलिस ने लाठियां बरसाई हैं। CMIE के आंकड़ों के मुताबिक साल 2017 में यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद से काम करने वालों की संख्या भले ही 184 लाख हो गई है लेकिन हकीकत में काम सिर्फ 1 लाख को मिला है। ऐसे में महामारी पर लोगों का गुस्सा अगर शांत हो भी जाए तो बेरोजगारी को लेकर आम जनमानस की नाराजगी दूर करना, उनके लिए आसान नहीं होगा।
3. नाराज किसान
अगर हम प्रदेश में कुल किसानों की संख्या छोड़ भी दे तो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना' के तहत कुल 2,34, 90,220 लाभार्थी पंजीकृत हैं। सरकार दावा करती है कि से 2 करोड़ 30 लाख किसानों को फायदा पहुंच रहा है। करीब पांच लाख किसान पंजीकृत होने के बावजूद पीएमकेएस निधि से वंचित हैं। ये मैं नहीं कह रहा, बल्कि सरकारी आंकड़ें ही ये दावे कर रहे हैं। इसके अलावा तीन कृषि बिलों को लेकर एक साल से ज्यादा समय तक चले किसान आंदोलन से उत्पन्न असंतोष अलग से मुंह बाए खड़ी है। यानि किसान आंदोलन का असर भी यूपी चुनावों पर पड़ना तय है। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की कई सीटों पर सीएम योगी और बीजेपी को काफी मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकि किसान आंदोलन की कमान पश्चिमी यूपी के किसानों के हाथ में है।
4. भाजपा में अंदरूनी कलह
कोरोना महामारी, बेरोजगारी और किसान असंतोष को छोड़ भी दें तो यूपी बीजेपी में भी सब कुछ ठीक ठाक नहीं है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और स्वामी प्रसाद मौर्य की नाराजगी किसी से छुपी नहीं है। सीएम योगी ने डिप्टी सीएम को उनके घर जाकर तो स्वामी प्रसाद से अपसी बातचीत के जरिए साथ—साथ चलने के लिए राजी किया। पार्टी के कई विधायी भी योगी के काम के तरीकों से नाराज हैं। कुछ को डर है कि कहीं उनका टिकट न कट जाए। 2022 में सीएम पद के लिए बीजेपी का चेहरा कौन होगा, इसका फैसला संसदीय समिति करेगी।
5. सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास
सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास ( Sabka Saath, Sabka Vikas and Sabka Vishwas ) पीएम मोदी का लोकप्रिय नारा है। सीएम योगी भी इसी राह पर चलने का दावा करते है। यूपी सरकार का कहना है कि भाजपा ने एक भी काम ऐसा नहीं किया जिससे किसी समुदाय या धर्म विशेष से भेदभाव हुआ हो। सवाल यह है कि अगर ऐसा है ते भाजपा सरकार पर लोग ऐतबार क्यों नहीं कर पा रहे हैं। अल्पसंख्यक समुदायों की बात कर लें, किसानों की या युवाओं की या फिर खांडसारी उद्योगों से जुड़े लोगों की। सभी योगी सरकार से ठगा महसूस कर रहे हैं। इसके बावजूद खुद योगी का कहना कि यूपी में विपक्ष फिलहाल बिखरा हुआ है। न तो अखिलेश, न मायावती और न ही राहुल या प्रियंका गांधी को अपने लिए चुनौती मानता। जबकि अखिलेश की विजय रथ यात्रा में हर जगह भारी संख्या में लोग शामिल हो रहे है।