Varun Gandhi News : 'स्थायी नौकरियों के स्थान पर अस्थाई नौकरियों का चलन', सरकार की नाकामी पर वरुण गांधी ने उठाया सवाल
Varun Gandhi News : 'मुफ्तखोरी को खत्म करने के प्रस्ताव पर वरुण गांधी बोले - शुरूआत सांसदों की पेंशन और सुविधाओं से हो
Varun Gandhi News : भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और पीलीभीत (Pilibhit) से सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi News) ने एक बार फिर अपनी ही सरकार को घेरा है। बता दें कि वरुण गांधी (Varun Gandhi News) ने रोजगार के मुद्दे पर एक बार फिर अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल उठाया है और ट्वीट कर बेरोजगार युवाओं के दर्द को बयां किया है।
वरुण गांधी ने उठाया अस्थाई नौकरियों का मुद्दा
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और पीलीभीत (Pilibhit) से सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi News) ने ट्वीट कर कहा कि स्थाई नौकरियों के स्थान पर स्थाई नौकरियों का चलन, आर्थिक मोर्चे पर हमारी नाकामी की दास्तां है। छटनी में बेरोजगार हुए लोगों के बारे में कल्पना कीजिए। माता-पिता का इलाज, घर की EMI, बच्चों की फीस, उनका जीवन एक झटके में बर्बाद कर दिया गया है।
स्थायी नौकरियों के स्थान पर अस्थाई नौकरियों का चलन, आर्थिक मोर्चे पर हमारी नाकामी की दास्ताँ है।
— Varun Gandhi (@varungandhi80) July 1, 2022
छंटनी में बेरोजगार हुए लोगों के बारे में कल्पना कीजिए। माता-पिता का इलाज, घर की EMI, बच्चों की फीस... उनका जीवन एक झटके में बर्बाद कर दिया गया है। pic.twitter.com/Sm4cOtlSEV
पहले भी उठाया था बेरोजगारी का मुद्दा
बता दें कि इससे पहले भी वरुण गांधी बेरोजगारी का मुद्दा उठाते रहे हैं। बता दें कि इससे पहले वरुण गांधी ने ट्वीट ने 2018 से 2020 तक दो सालों का आंकड़ा पेश करते हुए कहा कि इस दौरान बेरोजगारी की वजह से 25 हजार युवाओं ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने इन आंकड़ों का जिक्र कर सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द सरकारी नौकरियों के खाली पड़े पदों को भरा जाए, ताकि युवा इस तरह का कदम ना उठाएं। इसके साथ ही उन्होंने संविदा की जगह स्थायी और नियमित नौकरियों को बढ़ावा देने की भी अपील की।
बता दें कि उन्होंने ट्वीट कर केंद्र सरकार से कहा, 'भारत में बेरोजगारी के कारण युवाओं की आत्महत्या एक भयावह रूप लेती जा रही है। सरकार का कर्तव्य है कि देश के युवाओं को स्थायित्व प्रदान करें और जल्द से जल्द रिक्त पदों को भर कर देश के युवाओं की मुश्किलें कम करें। संविदा की संस्कृति को खत्म करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।'