Varun Gandhi : यूपी विस चुनाव 2022 में खेला करेंगे वरुण गांधी, आलाकमान से बनाई दूरी !
वरुण गांधी ने नीरव मोदी और विजय माल्या को बताया धन पशु
जनज्वार। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा के आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करना पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) को अपनी ही पार्टी के खिलाफ बोलना कुछ इस कदर महंगा पड़ा कि मोदी कैबिनेट ने ना आव- देखा ना ताव सीधे राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। ना सिर्फ वरुण गांधी बल्कि उनकी मां मेनका गांधी (Menaka Gandhi) को भी कार्यकारिणी की बैठक से बाहर कर दिया।
बता दें कि बीते दिनों भाजपा (BJP) ने 80 सदस्यों की अपनी नई कार्यकारिणी की लिस्ट जारी की है। जिस लिस्ट में सांसद वरुण गांधी और मेनका गांधी का नाम ना होना एक नई राजनीति को जन्म दे रहा है।
जानकारी के मुताबिक वरुण गांधी ने बीते दिनों रविवार को हुई लखीमपुर हिंसा (Lakhimpur Kheri Violence) में अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए किसानों के हित में अपनी बात रखी थी और दोषियों को चिन्हित कर तत्तकाल कार्रवाई की मांग की थी, जो कि पार्टी को नागवार गुजरा। लिहाजा बीजेपी ने सवाल उठाने वाले सांसद को ही कार्यकारिणी की सदस्यता से ही दरकिनार कर दिया।
The video is crystal clear. Protestors cannot be silenced through murder. There has to be accountability for the innocent blood of farmers that has been spilled and justice must be delivered before a message of arrogance and cruelty enters the minds of every farmer. 🙏🏻🙏🏻 pic.twitter.com/Z6NLCfuujK
— Varun Gandhi (@varungandhi80) October 7, 2021
लखीमपुर खीरी में किसानों को गाड़ियों से जानबूझकर कुचलने का यह वीडियो किसी की भी आत्मा को झखझोर देगा।
— Varun Gandhi (@varungandhi80) October 5, 2021
पुलिस इस वीडियो का संज्ञान लेकर इन गाड़ियों के मालिकों, इनमें बैठे लोगों, और इस प्रकरण में संलिप्त अन्य व्यक्तियों को चिन्हित कर तत्काल गिरफ्तार करे।
#LakhimpurKheri@dgpup pic.twitter.com/YmDZhUZ9xq
माना जा रहा है कि उनकी यही बेबाकी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से उनको हटाने की बड़ी वजह बनी है. इससे पहले भी वरुण गांधी लगातार अपनी ही सरकार को किसानों के मुद्दे पर घेरते आए हैं। हाल ही में उन्होंने गन्ना किसानों को लेकर यूपी सरकार ने गन्ने पर MSP यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य को 400 प्रति क्विंटल बढ़ाने का आग्रह किया था। हालांकि सरकार ने इसमें भी उनकी बाट को काटते हुए गन्ने का समर्थन मूल्य 350 रुपये प्रति कर दिया था। बहरहाल वरुण गांधी के बीजेपी को छोड़ने की कवायद भी अब जोर पकड़ने लगी है।
सूत्रों के हवाले से खबर है आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वरुण गांधी कांग्रेस (Congress) का हाथ थाम सकते हैं। इस तरह की अटकलें भी अब तेज होने लगी हैं चूंकि जिस तरह से वरुण गांधी और उनकी मां को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची से बाहर किया गया है इसे वरुण गांधी के अपमान के तौर पर देख रहे हैं।
हालांकि वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने एक बार फिर अपने बेबाक अंदाज में बात करते हुए इन सब बातों को दरकिनार किया है। उन्होंने कहा है कि, "मैंने पिछले पांच सालों में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक भी बैठक में शिरकत नहीं की है, मुझे नहीं लगता कि मैं कभी भी उस बैठक का हिस्सा था।" खैर वरुण गांधी पिछले 17 साल से बीजेपी का दामन थामे हुए हैं। इन दिनों वह कई मुद्दों पर विरोधी स्वर उठाते नजर आए थे। कहा जा रहा है कि इसी वजह से उनको राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर रखा गया है।