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राजनीति

बंगाल : शुभेंदु अधिकारी अब भी नाराज, सौगात राय बोले - अब वे ही अपने बारे में कुछ कह सकते हैं

Janjwar Desk
3 Dec 2020 3:12 AM GMT
बंगाल : शुभेंदु अधिकारी अब भी नाराज, सौगात राय बोले - अब वे ही अपने बारे में कुछ कह सकते हैं
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शुभेंदु अधिकारी. 

शुभेंदु अधिकारी को तृणमूल कांग्रेस द्वारा मनाने की कोशिश विफल होती दिख रही हैं, इस बीच भाजपा ने एक बार फिर कहा है कि अगर वे पार्टी में आते हैं तो उनका स्वागत रहेगा...

जनज्वार। पार्टी से नाराज चल रहे तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी की नाराजगी अब भी दूर नहीं हुई है। मंगलवार को पार्टी नेताओं के साथ दो घंटे तक चली बैठक के बाद भी उनके मन में पार्टी के अंदर बने रहने को लेकर अब भी आशंकाएं हैं। सूत्रों का कहना है कि उन्हें तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का वार्ता के बाद मीडिया को दिया गया बयान भी रास नहीं आया है कि उनकी नाराजगी दूर कर ली गई है और वे पार्टी में बने रहेंगे। ऐसे में अब उनके अगले कदम पर सबकी नजरें टिकी हैं।

अबतक शुभेंदु अधिकारी को मनाने को लेकर आशान्वित रहे पार्टी सांसद सौगात राय ने अब कहा है कि खुद के बारे में अब शुभेंदु ही कुछ कह पाएंगे। उन्होंने एक टीवी इंटरव्यू में कहा है कि पहले जो कुछ कहा था वह शुभेंदु के साथ बातचीत के आधार पर था, अब अगर उनका मन बदल गया है तो वे ही इस बारे में कुछ कह सकते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल इस मुद्दे पर उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है।

मालूम हो कि मंगलवार को शुभेंदु के साथ बैठक के बाद सौगात राय ने दावा किया था कि उनसे सभी मुद्दों पर वार्ता हुई थी और वे पार्टी नहीं छोड़ने जा रहे हैं। इस बैठक में चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर व ममता बनर्जी के भतीजे व सांसद अभिषेक बनर्जी भी शामिल हुए थे। शुभेंदु की नाराजगी की वजह प्रशांत किशोर व अभिषेक बनर्जी के पार्टी संचालन में बढे वर्चस्व व दखल को ही बताया जा रहा है।

हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि शुभेंदु अगर तृणमूल छोड़ते हैं तो उनका अगला कदम क्या होगा। वे नई पार्टी का गठन करेंगे या भाजपा के साथ जाएंगे इस पर संशय है। हालांकि भाजपा उन्हें लुभाने का लगातार प्रयास कर रही है। इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय ने शुभेंदु को अपना छोटा भाई बताया है। उन्होंने कहा है कि अगर वे भाजपा में आते हैं तो उनका स्वागत रहेगा।

शुभेंदु अधिकारी की तरह मुकुल राय भी पहले तृणमूल में ही थे और ममता बनर्जी के साथ पार्टी संगठन को खड़ा करने में इन दोनों नेताओं की भूमिका अहम मानी जाती है।

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