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राजनीति

संजय राउत ने क्यों की मोदी, शाह और फडणवीस से मुलाकात की बात, कहीं महाराष्ट्र में नई पटकथा लिखने की तैयारी तो नहीं!

Janjwar Desk
10 Nov 2022 9:37 AM GMT
संजय राउत ने क्यों की मोदी, शाह और फडणवीस से मुलाकात की बात, कहीं महाराष्ट्र में नई पटकथा लिखने की तैयारी तो नहीं!
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संजय राउत ने क्यों की मोदी, शाह और फडणवीस से मुलाकात की बात, कहीं महाराष्ट्र में नई पटकथा लिखने की तैयारी तो नहीं!

Maharashtra Politics : सीएम और डिप्टी सीएम किसी पार्टी का नहीं होता है। राज्य का होता है। उनके इस बयान से संदेश होता है, क्या ये वही संजय राउत हैं, जो सभी को चेतावनी दिया करते थे कि एक-एककर सबको देख लूंगा।

संजय राउत की रिहाई और महाराष्ट्र की राजनीति पर धीरेंद्र मिश्र का विश्लेषण

Maharashtra Politics : मुंबई पात्रा चॉल भूमि घोटाला ( Patra Chawl Land Scam ) मामले में विशेष अदालत ( Special PMLA court ) के आदेश पर 102 दिन बाद जमानत ( Bail ) पर जेल से बाहर आने के बाद पहली बार शिवसेना ( Shiv Sena ) सांसद संजय राउत ( Sanjay Raut ) ने बड़ा बयान देकर महाराष्ट्र की राजनीति ( Maharashtra politics ) में खलबली मच दी है। गुरुवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने भारतीय न्यायपालिका ( Indian Judiciary ) पर भरोसा जताया और उन्हें से मिलने की बात की है, जिनकी वजह से उन्हें जेल जाना पड़ा। क्या महाराष्ट्र में फिर बनेंगे नये सियासी समीकरण। अगर ऐसा है तो एमवीए ( MVA ) का क्या होगा?

दरअसल, शिवसेना सांसद संजय राउत ( Sanjay Raut ) ने कहा कि दिल्ली जाकर पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) और गृहमंत्री अमित शाह ( Amit shah ) से भी मिलूंगा। पात्रा चॉल ( Patra Chawl Land Scam ) मामले में अपने साथ हुए घटनाक्रम और यहां की स्थिति के बारे में सबकुछ खुलकर बताऊंगा। इतना ही नहीं, उन्होंने डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ( Devendra Fadanvis ) का नाम सामने आने पर कहा कि मैं उनसे भी मिलूंगा। सीएम और डिप्टी सीएम किसी पार्टी का नहीं होता है। राज्य का होता है। उनके इस बयान से संदेश होता है, क्या ये वही संजय राउत ( Sanjay Raut ) हैं, जो सभी को चेतावनी दिया करते थे कि एक-एककर सबको देख लूंगा।

102 दिन जेल में रहे, फिर भी किसी से गिला शिकवा नहीं, ऐसा क्यों?

शिवसेना सांसद संजय राउत ( Sanjay Raut ) ने कहा कि 9 नवंबर के फैसले से न्यायपालिका पर लोगों का विश्वास बढ़ा है। इतना ही नहीं, संजय राउत ( Sanjay Raut ) ने कहा कि जिन लोगों ने ये साजिश रची थी, अगर उनको इससे आनंद मिला है तो मैं इसमें उनका सहभागी हूं। मेरे मन में किसी के लिए कोई शिकायत नहीं है। मैं पूरी व्यवस्था को या फिर किसी केंद्रीय एजेंसी ( ED ) को दोष नहीं दूंगा। महाराष्ट्र में नई सरकार बनी है। सरकार ने कुछ निर्णय अच्छे लिए हैं, मैं उनका स्वागत करूंगा।

यहां पर सवाल यह है कि जेल जाने से पहले यही संजय राउत ( Sanjay Raut ) भाजपा ( BJP ) नेताओं और शिंदे गुट को देख लेने की धमकी दिया करते थे, लेकिन 102 दो दिन बाद जेल से रिहा होते ही उनके सुर बदले हुए हैं। ऐसा क्यों ​है कि वो टकराव की राजनीति के बदले सहयोग की बात कर रहे हैं। वो क्यों कह रहे हैं, मोदी, शाह और फडणवीस से मिलूंगा। अपनी बात रखूंगा। इतना ही नहीं वो शिंदे सरकार की तारीफ भी कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि वो चाहते क्या हैं?

कहीं जमानत पर संजय राउत की रिहाई महाराष्ट्र की राजनीति ( Maharashtra Politics ) में संभावित नई पटकथा की शुरुआत तो नहीं। क्या किसी समझौते के तहत उनकी जमानत पर रिहाई हुई है। क्या वो फिर से भाजपा शिवसेना के टूटे संबंधों की पुनर्बहाली पर काम करेंगे, शिंदे गुट और उद्धव गुट को पहले की तरह एक ही मंच पर लाने का प्रयास करेंगे। कहीं, एमवीए को साइडलाइन कर चलने का इरादा तो नहीं, लेकिन उन्होंने तो ये भी कहा है कि मैं, शरद पवार जी से भी मिलूंगा।

क्या चल रहा है उद्धव ठाकरे मन में

दरअसल, शिवसेना उद्धव गुट अपने इतिहास के सबसे बड़े संकट के दौर में है। शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे से अलग राह पकड़ते हुए महाराष्ट्र में भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली। चुनाव आयोग में पार्टी के चिन्ह आदि को लेकर प्रस्ताव विचाराधीन है। ज्यादा उम्मीद इसी बात की है कि ईसी का फैसला शिंदे गुट के पक्ष में जाए। ऐसा होना शिवसेना के लिए और भी खराब होगा। एक बात और है, हाल ही में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि अगर देवेंद्र फडणवीस कुछ कर सकते हैं तो करें। जनवरी 2023 में बीएमसी चुनाव है। बीएमसी पर हमेशा से शिवसेना की पकड़ रही है। शिवसेना की ताकत ही बीएमसी है। अगर बीएमसी उसके हाथ से निकल गई तो सियासी और आर्थिक तौर पर शिवसेना उद्धव गुट इतना कमजोर हो जाएगा जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते।

फिर, संजय राउत की गिरफ्तारी के बाद से उद्धव ठाकरे अकेले पर गए हैं। संजय राउत के पास भी इस सब मामलों से बाहर आने का और कोई विकल्प नहीं है। एनसीपी और कांग्रेस से भले ही गठबंधन टूटने का आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन सियासी दूरी से साफ है कि उद्धव ठाकरे कुछ नया सोच रहे हैं। इस बात को इससे भी बल मिलता है कि ​कुछ दिनों पहले मुंबई अंधेरी सीट पर हुए चुनाव में भाजपा ने शिवसेना के खिलाफ प्रत्याशी नहीं उतारे थे। माना जा रहा है कि राज ठाकरे ने भाजपा नेतृत्व को इस बात की सलाह दी थी। हालांकि, कांग्रेस और एनसीपी ने भी ऐसा किया, लेकिन भाजपा का प्रत्याशी उतारना इस बात का संकेत तो नहीं कि मातोश्री से बातचीत का दरवाजा खोलकर रखना चाहती है।

अगर ऐसा है तो यहां पर भी एक सवाल है कि क्या उद्धव फिर से कट्टर हिंदुत्व की राह पर लौटेंगे? फिलहाल इन सभी सवालों का जवाब देना मुश्किल है। इसका जवाब वक्त आने पर ही पता चलेगा, लेकिन गुरुवार को उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद संजय राउत का बयान चौंकाने वाला जरूर है।

सियासी चर्चा में क्यों हैं संजय राउत?

Maharashtra Politics : दरअसल, महाराष्ट्र में 2019 विधानसभा चुनाव में भाजपा ( BJP ) शिवसेना गठबंधन को जनादेश मिला था। शिवसेना ( Shiv Sena ) ने भाजपा से गठबंधन तोड़ कांग्रेस और एनसीपी के मिलकर अपनी सरकार बनाई थी। तभी से भाजपा और शिवसेना के बीच दशकों पुरानी सियासी दोस्ती दुश्मनी तब्दील हो गई थी। सुशांत मर्डर केस व अन्य सियासी घटनाओं में बाद दोनों के बीच संबंध और बिगड़ गए। नतीजा यह हुआ कि केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व के खिलाफ जहर उगलने वाले संजय राउत को पात्रा चॉल भूमि घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 102 दिनों बाद 9 नवंबर को वह अदालत से जमानत मिलने के बाद बाहर आये हैं। जेल से बाहर आते ही उन्होंने बयान दिया कि उन्हें किसी से गिला शिकवा नहीं है। आज उन्होंने कहा कि मैं पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम से मिलूंगा और डिटेल में सभी घटनाक्रमों की जानकारी दूंगा। संजय राउत के इस रुख ने महाराष्ट्र की राजनीति में कई सवाल पैदा कर दिए हैं, जिसकी वजह से वह नये सिरे से चर्चा में बने हुए हैं।

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