दलितों और वंचितों को सामाजिक अधिकार दिलाने वाले बाबासाहेब के 10 अनमोल विचार
सपने में बाबा साहेब का न्योता और मेरी जेल यात्रा
जनज्वार। आज 14 अप्रैल को हमारे देश के संविधान निर्माता और दलितों—वंचितों को सामाजिक अधिकार दिलाने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर देने वाले बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 130वीं जयंती है।
भीमराव अंबेडकर जी का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव महू में हुआ था। बाबासाहेब के नाम से लोकप्रिय भीमराव अंबेडकर स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माता थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश के नाम अर्पित कर दिया था।
पढ़िये अंबेडकर के 10 अनमोल विचार, जो आज भी हैं बहुत प्रासंगिक-
1. जीवन लम्बा होने के बजाय महान होना चाहिए।
2. मैं ऐसे धर्म को मानता हूं जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाता है।
3. यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए।
4. हिन्दू धर्म में विवेक, कारण और स्वतंत्र सोच के विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।
5. इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है, वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है। निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है, जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो।
6. बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए।
7. समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।
8. यदि मुझे लगा कि संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, तो मैं इसे सबसे पहले जलाऊंगा।
9. जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते,कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है वो आपके लिये बेमानी है।
10. समानता एक कल्पना हो सकती है, लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा।