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समाज

PM मोदी का दावा हमारा देश है 5000 वर्षों के पर्यावरण संरक्षण वाली परम्परा वाला, मगर यहां पर्यावरण कार्यकर्ता बनना सबसे खतरनाक क्यों?

Janjwar Desk
14 Sept 2023 2:17 PM IST
PM मोदी का दावा हमारा देश है 5000 वर्षों के पर्यावरण संरक्षण वाली परम्परा वाला, मगर यहां पर्यावरण कार्यकर्ता बनना सबसे खतरनाक क्यों?
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file photo

इसी वर्ष 9 सितम्बर को तमिलनाडु पुलिस ने करुर में कावेरी बचाओ अभियान से जुड़े 13 पर्यावरण कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को हवालात में बंद कर दिया। इन कार्यकर्ताओं का कसूर यह था कि वे सभी पिछले वर्ष इसी दिन मारे गए पर्यावरण कार्यकर्ता आर जगन्नाथन की हत्या स्थल पर जाकर उन्हें याद करना चाहते थे....

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Almost one environmental activist is killed every other day in this era of environmental disasters. इसी वर्ष 9 सितम्बर को तमिलनाडु पुलिस ने करुर में कावेरी बचाओ अभियान से जुड़े 13 पर्यावरण कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को हवालात में बंद कर दिया। इन कार्यकर्ताओं का कसूर यह था कि वे सभी पिछले वर्ष इसी दिन मारे गए पर्यावरण कार्यकर्ता आर जगन्नाथन की हत्या स्थल पर जाकर उन्हें याद करना चाहते थे। यह एक उदाहरण है, जो बताता है कि प्रधानमंत्री के शब्दों में 5000 वर्षों के पर्यावरण संरक्षण वाली परम्परा वाले देश में पर्यावरण कार्यकर्ता बनना सबसे खतरनाक कार्य है – जहां किसी कार्यकर्ता की कभी भी हत्या की जा सकती है, और मारे गए कार्यकर्ता को याद करना भी एक जुर्म बन जाता है।

पिछले वर्ष, 2022 में हमारे देश में स्पष्ट तौर पर दो पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या की गयी थी। तमिलनाडु के आर जगन्नाथन की हत्या सितम्बर में अवैध पत्थरों की कटाई का विरोध करने के कारण किया गया था। गुजरात के कच्छ इलाके में अक्टूबर के महीने में अवैध रेत खनन माफियाओं ने नरेन्द्र बलिया की हत्या की थी। नरेन्द्र बलिया के पिता इन माफियाओं की करतूतों को लगातार उजागर करते रहे थे। हमारे देश में हरेक वर्ष पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या की जाती है, वर्ष 2012 से 2022 के बीच कुल 81 कार्यकर्ताओं की हत्या हमारे देश में की गयी है।

हाल में ही जी20 सम्मलेन में इतराते हुए बताया गया कि साझा घोषणापत्र में वैश्विक पर्यावरण का बहुत ख्याल रखा गया है, पर इन देशों की स्थिति यह है पिछले वर्ष जी20 के सदस्य देशों में सम्मिलित तौर पर 71 पर्यावरण कार्यकर्ता मारे गए। ब्राज़ील में 34, मेक्सिको में 31, इंडोनेशिया में 3, भारत में 2 और साउथ अफ्रीका में 1 कार्यकर्ता की हत्या केवल इसलिए की गयी क्योंकि वह पर्यावरण विनाश को रोकना चाहता था।

ग्लोबल विटनेस नामक संस्था वर्ष 2012 से लगातार वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के कार्य से जुड़े लोगों की हत्या का लेखा-जोखा रखती है, और फिर एक वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करती है। हाल में ही 2022 की रिपोर्ट प्रकाशित की गयी है, जिसके अनुसार दुनिया में पिछले वर्ष 177 पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या की गयी – यानी औसतन हरेक दूसरे दिन एक हत्या। वर्ष 2012 से अब तक 1910 पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या की गयी है, इनमें से 1390 हत्याएं जलवायु परिवर्तन से सम्बंधित वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के बाद की गयी हैं। केवल 2022 में पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या के सन्दर्भ में भारत का स्थान दुनिया के देशों में 11वां है, जबकि 2012 के बाद अबतक की गयी हत्याओं के सन्दर्भ में हमारा स्थान सातवाँ है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं में पर्यावरण संरक्षक, उनके परिवार के सदस्य, पत्रकार, वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता सभी शामिल हैं।

पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या के सन्दर्भ में 60 हत्याओं के साथ सबसे खतरनाक देश कोलंबिया रहा है, दूसरे स्थान पर 34 हत्याओं के साथ ब्राज़ील और तीसरे स्थान पर 31 हत्याओं के साथ मेक्सिको है। पिछले वर्ष ऐसी हत्याएं कुल 18 देशों में दर्ज की गईं थीं। पहले तीन स्थानों के बाद क्रम से ये देश हैं – होंडुरस, फिलीपींस, वेनेज़ुएला, पेरू, पैराग्वे, निकारागुआ, इंडोनेशिया, भारत, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कांगो, ग्वाटेमाला, मेडागास्कर, दक्षिण अफ्रीका, इक्वेडोर, मलावी और डोमिनिकन रिपब्लिक।

इन देशों के क्रम में अधिकतर देश, कुल 18 में से 11 देश दक्षिण अमेरिका के हैं। यह क्षेत्र पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लिए सबसे अधिक खतरनाक है और कुल हत्याओं में से 88 प्रतिशत हत्याएं इसी क्षेत्र में की गयी हैं। आदिवासी आबादी वैश्विक आबादी का महज 5 प्रतिशत है, पर कुल मारे गए लोगों में से 36 प्रतिशत आदिवासी हैं। माहे गए लोगों में 11 प्रतिशत महिलायें थीं और 22 प्रतिशत छोटे किसान थे। यही नहीं, पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाते मारे गए लोगों में 5 बच्चे भी शामिल हैं।

पर्यावरण कार्यकर्ताओं के लिए एशिया में सबसे खतरनाक देश फिलीपींस है। पिछले वर्ष एशिया में 16 पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या की गयी, जिसमें से 11 फिलीपींस की घटना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब पर्यावरण कार्यकर्ताओं की हत्या में कुछ कमी आई है, पर दूसरी तरफ तमाम देशों में इन्हें गिरफ्तार किया जा रहा है, महिला कार्यकर्ताओं को शारीरिक तौर पर प्रताड़ित कर उनकी आवाज दबाई जा रही है, या फिर तमाम धमकियों से कार्यकर्ताओं को खामोश किया जा रहा है।

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