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समाज

अंकिता हत्याकांड को लेकर 2 अक्टूबर को प्रदेश बंद, RSS पदाधिकारी विपिन कर्णवाल की फेसबुक पोस्ट का महिला आयोग ने लिया संज्ञान

Janjwar Desk
28 Sep 2022 10:22 AM GMT
अंकिता हत्याकांड को लेकर 2 अक्टूबर को प्रदेश बंद, RSS पदाधिकारी  विपिन कर्णवाल की फेसबुक पोस्ट का महिला आयोग ने लिया संज्ञान
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Ankita Bhandari Murder case : आरएसएस के विभाग प्रचार प्रमुख विपिन कर्णवाल ने फेसबुक पोस्ट पर अंकिता की हत्या के लिए जिस तरह की टिप्पणी की है, उससे मचा था भारी बवाल...

Ankita Bhandari Murder case : देश विदेश तक चर्चाओं का हिस्सा बन चुका ऋषिकेश के अंकिता हत्याकांड को लेकर लोगों का गुस्सा लगातार भड़क रहा है। हत्याकांड के बाद भाजपा सरकार द्वारा की जा रही कार्यवाही में सरकार की संदिग्ध भूमिका और मामले की सही जांच की मांग को लेकर प्रदेश के विभिन्न संगठनों ने अहिंसा दिवस गांधी जयंती के मौके पर प्रदेश बंद का आह्वान किया है। दूसरी ओर अंकिता हत्याकांड पर सोशल मीडिया में आरएसएस के प्रचार प्रमुख विपिन कर्णवाल की ओर से की गई पोस्ट का राज्य महिला आयोग ने भी संज्ञान लिया है। आयोग ने इसे अभद्र भाषा का प्रयोग बताते हुए कार्रवाई की बात कही है।

मालूम हो कि अंकिता हत्याकांड को लेकर हो रहे आए दिन के खुलासों से यह रहस्यमय मर्डर मिस्ट्री बन गया है। सरकार और पुलिस अधिकारियों की तरफ आ रही तमाम बयानबाजियों के कारण यह मामला और ज्यादा रहस्यमय हो गया है। इस बात को लेकर शक ज्यादा गहरा गया है कि सरकार मामले की जांच में कम और मामले की लीपापोती कर इसे ठंडे बस्ते में डालने की ज्यादा इच्छुक दिखाई दे रही है। रही सही इस प्रकरण में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े लोगों की बौखलाहट ने पूरी कर दी है। भाजपा नेता विनोद आर्य के पुत्र पुल्कित आर्य के रिजॉर्ट पर जल्दबाजी में चलाए गए बुलडोजर को भी इस हत्याकांड के सबूत नष्ट कर मामले में संलिप्त और लोगों को बचाए जाने के तौर पर देखा जा रहा है।

ऐसे में प्रदेश की जनता का गुस्सा लगातार भड़क रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपए मुआवजा व मुकदमा फास्ट ट्रेक कोर्ट में चलाने की घोषणा के बाद भी लोग इस मामले का पूरा सच सामने लाने की मांग कर रहे हैं। इसी वजह से प्रदेश के तमाम संगठनों ने आगामी 2 अक्टूबर को प्रदेश बंद का ऐलान किया है। प्रदेश बंद को सफल बनाने के लिए कई संगठनों ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इस दिन चक्का जाम को लेकर अभी कोई स्पष्ट रणनीति नहीं बनी है। 30 सितंबर को इसके लिए संगठनों के प्रतिनिधियों व अन्य लोगों की वर्चुअल मीटिंग की तैयारी की गई है। इसके बाद ही इस कार्यक्रम का कोई खाका जारी किया जाएगा।

हत्याकांड को लेकर उत्तराखंड में सोशल मीडिया पर कोहराम मचा हुआ है। लोग उस वीवीआईपी का नाम सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं, जिसको लेकर अंकिता पर स्पेशल सर्विस देने का दबाव डाला जा रहा था।

दूसरी ओर आरएसएस के जिस नेता विभाग प्रचार प्रमुख विपिन कर्णवाल ने मंगलवार को फेसबुक पोस्ट अंकिता की हत्या के लिए उसके पिता को जिम्मेदार ठहराया था, उस पर राज्य महिला आयोग ने इस पोस्ट का संज्ञान ले लिया है। आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल के अनुसार यह टिप्पणी शर्मनाक है। जिन शब्दों का प्रयोग किया गया है, वह अभद्र हैं। कोई भी मां-बाप अपने बच्चों को इसलिए पालता पोषता है कि ताकि आगे उनका सहारा बन सकें। बेटी-बेटा दोनों को समान अधिकार हैं। उन्होंने बताया कि आयोग पोस्ट की पूरी तरह पुष्टि करवा रहा है। इस मामले में जल्द ही नोटिस भेजा जाएगा। इसके साथ ही पुलिस को भी मामले में कार्रवाई के लिए कहा जाएगा।

अपनी कुत्सित मानसिकता के लिए पूर्व में भी चर्चित रहे हैं संघ पदाधिकारियों के कारनामे

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जिस विभाग प्रचार प्रमुख विपिन कर्णवाल ने अपनी कुत्सित मानसिकता का परिचय देते हुए अंकिता हत्याकांड में उसके परिवार को ही दोषी बताते हुए मृतका के लिए जो अशोभनीय शब्द प्रयोग किया है, वह संघ के लिए नई बात नहीं है। इससे पहले भी इन लोगों की तमाम करतूतें सामने आती रहीं थीं। लेकिन सत्ता से जुड़ाव होने के कारण इनका कभी कुछ नहीं बिगड़ा। मौजूदा प्रकरण में माफी मांगने वाला विपिन कर्णवाल भी कोई बच्चा नहीं था। लंबे समय से आरएसएस से जुड़ा विपिन संघ में विभाग प्रचार प्रमुख जैसी अहम जिम्मेदारी पर था। खुद हत्याकांड के मुख्य आरोपी पुल्कित का बाप विनोद आर्य हार्डकोर संघी रहा है।

विनोद आर्य ने अपने फेसबुक पेज पर भी संघ पदाधिकारियों के साथ खिंचवाई फोटो अपलोड की हैं। संघ के गणवेश में मौजूद उसकी कई फोटो हैं। जो अब सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हैं। हालिया विधानसभा चुनाव के दौरान भी एक बड़े संघ पदाधिकारी का नाम सेक्स स्कैंडल में आया था। उस समय भी किरकिरी होने पर संघ ने इस पदाधिकारी को हटाकर अपने को बेदाग किया था। इसके अलावा भी कुछ ही दिन पहले विधानसभा भर्ती में भी संघ पदाधिकारियों के परिजनों के भर्ती होने पर विवाद खड़ा हो चुका है।

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