बल्लभगढ़ शूटआउट : छात्रा को सरेआम गोली मारने वाला आरोपी निकला विधायक का रिश्तेदार
जनज्वार। हरियाणा के बल्लभगढ़ हत्याकांड का आरोपी नूंह विधायक का रिश्तेदार बताया जा रहा है। गौरतलब है कि बीए की एक छात्रा को सरेआम एक युवक ने गोलियों से भून डाला था, जो मामला मीडिया में छाया हुआ है। टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य अभियुक्त तौसीफ नूंह से कांग्रेस विधायक आफ़ताब अहमद का चचेरा भाई बताया जा रहा है।
बल्लभगढ़ में हुई इस सनसनीखेज घटना के बाद मंगलवार 27 अक्टूबर को राजनीतिक बयानबाज़ियों के साथ-साथ विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। मुख्य अभियुक्त की पहचान तौसीफ़ के रूप में हुई है, जो विधायक का चचेरा भाई बताया जा रहा है। एक दूसरे आरोपी रेहान को भी गिरफ़्तार कर लिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक 20 वर्षीय मृत युवती निकिता तोमर और तौसीफ़ बचपन से एक-दूसरे को जानते थे और एक ही स्कूल में पढ़ते थे। सितंबर के महीने में निकिता ने तौसीफ़ के ख़िलाफ़ उत्पीड़न की शिकायत भी दर्ज की थी। वहीं निकिता के परिजनों ने भी कहा है कि तौसीफ लगातार उस पर शादी के लिए दबाव डाल रहा था।
गौरतलब है कि सोमवार 26 अक्टूबर की दोपहर 1 बजे निकिता बल्लभगढ़ इलाक़े में मौजूद अग्रवाल कॉलेज में परीक्षा देने के लिए गई थीं। इस घटना का 23 सेकंड का एक वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में कॉलेज के बाहर निकिता को सफ़ेद कार में जबरन खींचे जाते हुए देखा जा सकता है, जिसके विरोध पर आरोपी ने छात्रा के सिर में गोली मार दी थी।
मृतका छात्रा निकिता के साथ उस समय मौजूद उसकी दोस्त ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि वे दोनों ऑटो का इंतज़ार कर रहीं थीं, तभी एक कार उनके पास आई और महज कुछ ही सेकेंडों के भीतर यह सब हो गया। घटना के बाद युवती के परिजनों ने मंगलवार 27 अक्टूबर को फ़रीदाबाद-मथुरा रोड को जाम कर दिया था।
इस घटना के बाद हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने एक एसआईटी के गठन की घोषणा की जो 'जल्दी जांच और तय समय में ट्रायल' पूरा करेगी। निकिता के पिता मूलचंद तोमर का आरोप है कि तौसीफ़ कई महीनों से उनकी बेटी को परेशान कर रहा था, जिसके बाद उसके ख़िलाफ़ शिकायत भी दर्ज की थी।
पुलिस के अनुसार, युवक के ख़िलाफ़ 2018 में भी कथित तौर पर अपहरण की शिकायत दर्ज की गई थी, लेकिन निकिता के परिवार ने पंचायत की बैठक के बाद शिकायत को वापस ले लिया था। निकिता के परिवार का आरोप है कि तौसीफ़ के रिश्तेदारों ने उन पर दबाव बनाया जिनका नूंह में राजनीतिक दबदबा है और उन्हें भरोसा दिलाया गया था कि तौसीफ़ दोबारा ऐसा नहीं करेगा।