गोरखपुर में जातिवादी दबंगों पर शिवधनी निषाद की गोली मारकर हत्या का आरोप, माले जांच दल ने किये गंभीर खुलासे
लखनऊ। सामंती दबंगों द्वारा पिछले दो दिसंबर को गोरखपुर के गीडा थाना क्षेत्र के अमटौरा गांव के शिवधनी निषाद (55) की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी और हमले में गोली लगने से घायल मृतक की पत्नी गोरखपुर के मेडिकल कालेज में भर्ती हैं। हमलावरों ने पीड़ितों का घर भी जला दिया था। इस घटना के बाद भाकपा (माले) के जांच दल ने गोरखपुर में गीडा थाना क्षेत्र के अमटौरा गांव का दौरा किया।
पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने शुक्रवार 6 दिसंबर को जांच दल की रिपोर्ट साझा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के जिले में सामंती दबंग कानून से बेखौफ होकर घृणित अपराध कर रहे हैं। वे गरीबों की हत्या कर रहे हैं और घर जला रहे हैं। पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। हमलावर ठाकुर जाति समूह से और सामंती मनोवृत्ति के हैं। सत्ता संरक्षण के चलते प्रदेश में ऐसे दबंगों-अपराधियों के हौसले बुलंद हैं।
राज्य सचिव ने कहा कि उक्त घटना में हत्या के बाद असंतोष को न बढ़ने देने के लिए पुलिस सक्रिय हो गई, जबकि घटना को रोकने के लिए वह टस से मस नहीं हुई। आज भी पुलिस हमलावरों के गायों व अन्य संपत्तियों की सुरक्षा कर रही है, जबकि पीड़ित परिवार दहशत में है। प्रशासन ने रातोंरात मृतक का शव पोस्टमार्टम कराकर घर भेजवा दिया और सुबह सबेरे पुलिस बल लगाकर दाह संस्कार करवा दिया। यही नहीं, मामले को रफादफा करने के लिए प्रशासन द्वारा पीड़ित परिवार पर दबाव बनाव गया। हमलावर इतने दबंग हैं कि आम जनमानस में उनके वर्चस्व के डर से कोई सामने आना नहीं चाहता है।
माले राज्य सचिव ने कहा कि पुलिस ने किसी तरह एफआईआर दर्ज की और दो लोगों को हिरासत में लिया। घटना वाले दिन मुख्यमंत्री भी शहर में मौजूद थे, लेकिन मृतक के परिजनों एवं लोगों द्वारा बार-बार मांग करने पर भी न तो वे खुद पीड़ितों को ढांढस बंधाने गए, न ही अपने प्रतिनिधि को भेजा।
माले जांच दल ने घटनास्थल पर पहुंच कर परिजनों को ढांढस बंधाया। पड़ताल के बाद दल ने घटना के पीछे सामंती वर्चस्व की पृष्ठभूमि और पुलिस की लापरवाही को मुख्य कारण बताया। जांच दल ने मृतक के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, पीड़ित परिवार को एक करोड़ रु मुआवजा, बसने के लिए 10 डिसमिल जमीन, एक पीएम आवास, लाइसेंसी असलहा, दोषियों को कड़ी सजा, पीड़ित परिवार को सुरक्षा और गीडा थाना अध्यक्ष के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
जांच दल के अनुसार, पुलिस प्रशासन पीड़ितों की पक्ष में कोई भी कठोर कार्रवाई करने की मंशा में नहीं दिख रहा है। पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए इंडिया गठबंधन के घटक दलों और सामाजिक संगठनों से विचार विमर्श कर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
माले जांच दल का नेतृत्व पार्टी की राज्य स्थायी समिति (स्टैंडिंग कमेटी) के सदस्य व अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) के प्रदेश सचिव राजेश साहनी ने किया। दल में बजरंगी लाल निषाद, शिव भोले निषाद, सुभाष पाल एडवोकेट व अन्य नेता शामिल थे।
एक अन्य बयान में भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि गुरुवार को जम्मू से वाराणसी जा रही बेगमपुरा एक्सप्रेस की जनरल बोगी में निहालगढ़ स्टेशन के पास 23 वर्षीय मुस्लिम युवक की चाकू मारकर की गई हत्या और उसके दो भाइयों को घायल कर देने की घटना संघ-भाजपा द्वारा फैलाई गई सांप्रदायिक घृणा और नफरत की राजनीति का परिणाम है। माले नेता ने हमलावरों को बचाने की रेल प्रशासन की कोशिश की निंदा करते हुए हत्या का मुकदमा दर्ज करने, गंभीर रुप से घायल मृतक के भाई को समुचित व मुफ्त इलाज और पीड़ित परिवार को मुआवजा व अन्य राजकीय सहायता देने की मांग की।