3 दलित बुजुर्गों को गिड़गिड़ाना पड़ा पंचों के पैर पर, कोरोना में गाने-बजाने का किया था कार्यक्रम
जनज्वार ब्यूरो। तमिलनाडु में मदिर में संगीत कार्यक्रम का आयोजन करने पर दलित समुदाय के लोगों को पैरों में गिराकर माफी मँगवाने का मामला सामने आया है। यह मामला तमिलनाडु के विलुप्पुरम जिले का है। बीते 11 मई को विलुप्पुरम जिले की ओट्टानन्दल पंचायत में दलित समाज के लोगों ने मंदिर महोत्सव का आयोजन शुरू किया था। इस आयोजन में उन्होंने मंदिर के अंदर संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया था। ग्राम पंचायत ने कार्यक्रम के आयोजन पर कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन का आरोप लगाया।
पुलिस के द्वारा उचित कार्यवाही हो जाने के बाद भी ग्राम पंचायत ने दलित वृद्धों को पैरों पर गिराकर माफ़ी मँगवाई। यह तीनों वृद्ध 60 से 65 वर्ष की आयु के थे। इन दलितों के ऊपर मंदिर महोत्सव का आयोजन करने हेतु ग्राम पंचायत से परमिशन ना लेने का आरोप लगाया गया।
फ्रन्टलाइन की रिपोर्ट के अनुसार गांव में मुख्य रूप से वन्नियार और दलित जाति रहती हैं। पहले यह दोनों जातियां गांव के एक ही मंदिर में पूजा करती थी लेकिन 3 साल पहले वन्नियार जाति ने दलितों को उस मंदिर में पूजा करने से मना कर दिया। दलित समुदाय के लोगों ने अपनी बस्ती में एक नया मंदिर बना लिया। दलितों के द्वारा अपना मंदिर बनाना और उसमें मंदिर महोत्सव का आयोजन करना पंचायत के वन्नियारों को बिल्कुल पसंद नही आया।
दलित समुदाय द्वारा मंदिर महोत्सव का आयोजन करने पर पहले गांव के कुछ लोगों ने पुलिस से शिकायत की थी। शिकायत पर पुलिस ने उनके सामान को जब्त कर लिया और दोबारा ऐसा न करने की चेतावनी देते हुए माफीनामा लिखवा कर छोड़ दिया था। जब दलित आयोजनकर्ता गांव लौटे तो उन्हें ग्राम पंचायत द्वारा 14 मई को बुलाया गया। ग्राम पंचायत ने अनुमति लिये बिना संगीत कार्यक्रम का आयोजन करने पर 3 दलित वृद्धों को पैरों पर गिरकर माफी मांगने के लिये मजबूर किया।