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Breaking: कन्नौज में घायल लड़की की मदद के बजाय वीडियो बनाते तमाशबीनों पर दर्ज हुआ केस, ADG की सराहनीय पहल

Janjwar Desk
28 Oct 2022 2:26 PM GMT
Breaking: कन्नौज की घायल लड़की की मदद के बजाय वीडियोबाज तमाशबीनों पर दर्ज हुआ केस, ADG  की सराहनीय पहल
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Breaking: कन्नौज की घायल लड़की की मदद के बजाय वीडियोबाज तमाशबीनों पर दर्ज हुआ केस, ADG की सराहनीय पहल

Breaking News: कन्नौज के गुरसहायगंज की झाड़ियों में पड़ी मदद की गुहार लगा रही लड़की की मदद के बजाय लोग वीडियो बनाते रहे। समाज के ऐसे तमाशबीनों को लेकर कानपुर के ADG भानु भास्कर ने बड़ा कदम उठाया है। मदद के बाजए घायल और बेबस मासूम बच्ची का वीडियो बनाने वाले तमाशबीनों पर FIR दर्ज की गई है

Breaking News: कन्नौज के गुरसहायगंज की झाड़ियों में पड़ी मदद की गुहार लगा रही लड़की की मदद के बजाय लोग वीडियो बनाते रहे। समाज के ऐसे तमाशबीनों को लेकर कानपुर के ADG भानु भास्कर ने बड़ा कदम उठाया है। मदद के बाजए घायल और बेबस मासूम बच्ची का वीडियो बनाने वाले तमाशबीनों पर FIR दर्ज की गई है। इनपुट है कि ADG भानु भास्कर के निर्देश पर कन्नौज के गुरसहायगंज थाने में पुलिस ने खुद केस दर्ज कराया है।

Kannauj का जो Video Viral हुआ था उसमें साफ दिख रहा है कि, घायल लड़की उठने की हालत में नहीं है। वो हाथ से मदद का इशारा भी कर रही है लेकिन लोग मदद का हाथ नहीं बढ़ा रहे क्योंकि उनके हाथों में मोबाइल फोन हैं। जिससे वो घायल लड़की का अलग-अलग एंगल से वीडियो बना रहे हैं। 25 सेकेंड के इस वीडियो में समाज की सोच उजागर होती है जिसके लिए खून से लथपथ घायल बच्ची भी ट्रेडिंग वीडियो बनाने का मौका बन गई।

Video में कोई भी शख्स बच्ची को बचाने के लिए आगे नहीं आता। भीड़ में खड़े लोगों के बीच मानों खुद को दूसरों से बेहतर वीडियोग्राफर साबित करने की होड़ मची हो। इस बीच..लोग एंबुलेंस बुलवाने के लिए एक-दूसरे को बोलते सुनाई तो दे रहे हैं, जबकि खुद तस्वीर खींच रहे हैं। ये वो लोग हैं जो सिस्टम को कोसने में कोई कोताही नहीं बरतते। लेकिन जब अपना फर्ज़ निभाने का मौका आता है तो वीडियो बनाने लगते हैं।

कन्नौज के इन वीडियोबाज तमाशबीनों पर केस

दरअसल, कन्नौज में गुरसहायगंज मोहल्ले की रहने वाली 13 साल की बच्ची रविवार को दोपहर करीब 12 बजे घर से मिट्टी की गुल्लक लेने निकली थी। काफी देर तक जब वो घर नहीं लौटी तो घरवालों ने छानबीन की। शाम करीब 5 बजे बच्ची सरकारी डाक बंगला गेस्ट हाउस के पास झाड़ियों में पड़ी मिली थी। उसके शरीर पर कई जख्म थे और सिर पर भी चोट के निशान थे। उसके बाद क्या हुआ। आप देख ही रहे हैं। बच्ची के परिवार का आरोप है कि उनकी बच्ची को रेप के मकसद से अगवा किया गया था।

बच्ची को कानपुर के हैलट अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। जहां 5 डॉक्टरों की पैनल ने बच्ची का मेडिकल किया है, जिसमें रेप की पुष्टि नहीं हुई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक हो सकता है कि रेप के मकसद से बच्ची को अगवा किया गया हो और बच्ची के विरोध के कारण उस पर हमला किया गया हो। जिससे वो बुरी तरह घायल हो गई। बच्ची को मरा समझकर आरोपी उसे सुनसान जगह पर फेंककर फरार हो गए होंगे।

चौकी इंचार्ज मनोज पांडेय हैं असली हीरो

इस मामले में एक वीडियो और वायरल हुआ था, जिसमें एक पुलिसवाला घायल बच्ची को गोद में लिए भागता दिखता है। लोग खड़े देख रहे हैं और पुलिसवाला दौड़ते हुए बच्ची को लेकर ऑटो में बैठता है। इस दौरान पुलिसवाले की टोपी भी गिर जाती है। लेकिन वो इसकी परवाह किये बगैर बच्ची को फौरन अस्पताल ले जाता है। ये चौकी इंचार्ज मनोज कुमार पांडेय (Manoj Kumar Pandey) हैं। जिन्होंने एक पल गंवाए बिना बच्ची को उठाया और अस्पताल की तरफ दौड़ पड़े। हम आपसे एक सवाल पूछना चाहते हैं। अगर आप लोगों की भीड़ में शामिल होते तो क्या करते? क्या आप भी घायल बच्ची का वीडियो बनाते या उस बच्ची की मदद करते?

बताइये, इस घटना में आपका हीरो कौन है? वो लोग जिनके लिए सड़क पर पड़ी घायल लड़की Photo Opportunity थी। या वो पुलिसवाला, जिसने बच्ची की तुरंत मदद की। जो इस पुलिसवाले ने किया है, उसकी जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है। कुछ लोग कह सकते हैं कि ये तो पुलिसवाले का फर्ज था कि वो लड़की की मदद करे। ऐसे लोगों से हम पूछना चाहते हैं कि जो लोग घायल लड़की का अलग-अलग एंगल से वीडियो बनाने में मशगूल थे, क्या उनका कोई फर्ज नहीं था?

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