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अब अल्मोड़ा में 65 साल के बुजुर्ग को आदमखोर गुलदार ने बनाया निवाला, वन्यजीवों के हमलों से सहमा उत्तराखंड मगर धामी सरकार बेखबर

Janjwar Desk
30 Nov 2022 3:46 PM GMT
अब अल्मोड़ा में 65 साल के बुजुर्ग को आदमखोर गुलदार ने बनाया निवाला, वन्यजीवों के हमलों से सहमा उत्तराखंड मगर धामी सरकार बेखबर
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प्रतीकात्मक फोटो

खून के इन धब्बों के सहारे ग्रामीणों ने आगे तलाश की तो कुछ आगे खून से सने कपड़े मिले। इसके आगे जाने पर गांव से लगभग एक किमी दूर गधेरे में मोहन राम का क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ। शरीर का आधा हिस्सा गायब था...

अल्मोड़ा। उत्तराखंड में वन्यजीवों के हमलों में लोगों की जान जाने का सिलसिला सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता ही जा रहा है, लेकिन सरकार ने इस समस्या के प्रति पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। राज्य के अल्मोड़ा जिले में फिर एक बुजुर्ग को गुलदार के हमले में अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। बुजुर्ग का शव का आधा हिस्सा करीब 18 घंटे की तलाश के बाद बरामद हुआ है। ताजा घटना भी द्वाराहाट के उसी ब्लॉक में हुई है, जहां बीते दिवस इस आदमखोर गुलदार ने मां-बेटे समेत 3 लोगों को घायल कर दिया था।

बुजुर्ग की मौत का ताजा मामला अल्मोड़ा जिले की द्वाराहाट तहसील क्षेत्र में कालीगाढ़ पट्टी की कुंवाली घाटी स्थित दैना गांव का है। यहां के 65 वर्षीय मोहन राम पुत्र स्वर्गीय प्रेमराम कल मंगलवार 29 नवंबर को घर से करीब सौ मीटर दूर निचले भूभाग पर गाय को घर लाने के लिए निकले। तभी झाड़ियों में पहले से घात लगाए गुलदार ने बुजुर्ग पर हमला बोल दिया। मोहन राम को मार डालने के बाद वह उसे गधेरे की ओर घसीट ले गया।

शाम तक मोहनराम घर नहीं लौटे तो परिजनों को उनकी चिंता हुई। हर संभावित क्षेत्र व आसपास के जंगलात में देर रात तक तलाश की गई, लेकिन मोहन का कुछ पता नहीं चला। बुधवार 30 नवंबर की सुबह आठ बजे जब दोबारा खोज शुरू की गई तो मोहन राम जिस खेतनुमा मैदान पर गाय को चुगने के लिए छोड़ने आते थे, वहां ग्रामीणों को खून बिखरा पड़ा मिला। खून के इन धब्बों के सहारे ग्रामीणों ने आगे तलाश की तो कुछ आगे खून से सने कपड़े मिले। इसके आगे जाने पर गांव से लगभग एक किमी दूर गधेरे में मोहन राम का क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ। शरीर का आधा हिस्सा गायब था।

पहले से ही वन्यजीवों का आतंक खेल रहे ग्रामीणों का गुस्सा मोहनराम की मौत के बाद वन विभाग के प्रति फूट पड़ा। गम व गुस्से के बीच डीएफओ महातिम सिंह यादव के पहुंचने पर ग्रामीण शव न उठाने पर अड़ गए। उन्होंने गुलदार को नरभक्षी घोषित कर शिकारी तैनात किए जाने व पिंजड़ा लगाने की मांग रखी। डीएफओ ने हिंसक वन्यजीव से हर हाल में निजात दिलाने का भरोसा दिलाया। मौके पर ही स्वजनों को 50 हजार रुपये की राशि भेंट की। घटनास्थल पर वन कर्मियों से पिंजड़ा लगवाया तो ग्रामीण शांत हुए। खबर लिखे जाने तक शव को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक चिकित्सालय ले जाए जाने की तैयारी चल रही थी।

इस मामले में अल्मोड़ा वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी महातिम सिंह यादव ने बताया कि बुजुर्ग ग्रामीण को गुलदार ने ही मारा है। ऊपर मांस के टुकड़े गिरे थे। खून बिखरा मिला। घसीट कर ले जाना फिर कुछ हिस्सा खा लेना यह सब गुलदार के शिकार का तरीका है। वन्यजीव प्रतिपालक को पत्र लिख अवगत कराया है कि यह गुलदार मानवजाति के लिए खतरा बन चुका है। उच्चस्तर से जो भी आदेश मिलेगा, उसी के अनुरूप त्वरित कदम उठाएंगे। जनसुरक्षा को देखते हुए कुशल शिकारी बुलाए जा रहे हैं। हिंसक गुलदार को कैद या ट्रैंकुलाइज करना पहली प्राथमिकता रहेगी।

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