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Odisha News : वृद्ध महिला ने 25 साल की निस्वार्थ सेवा के बदले रिक्शा चालक के नाम की अपनी एक करोड़ की संपत्ति

Janjwar Desk
15 Nov 2021 6:55 AM GMT
Odisha News : वृद्ध महिला ने 25 साल की निस्वार्थ सेवा के बदले रिक्शा चालक के नाम की अपनी एक करोड़ की संपत्ति
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मिनाती पटनायक ने अपनी संपत्ति कानूनन रिक्शा चालक को सौंपी

Odisha News : मिनाती ने बताया कि मैंने बुद्ध सामल और उनके परिवार को कानूनी रूप से सब कुछ दान करने का फैसला किया ताकि मेरी मृत्यु के बाद कोई उन्हें परेशान न करे।

Odisha News : ओडिशा के कटक में एक बुजुर्ग महिला ने अपनी और अपने परिवार की 25 साल की सेवा करने के सम्मान में अपनी सारी संपत्ति एक रिक्शा चालक को दान कर दी है। वृद्ध महिला सुताहाट की रहने वाली है। वृद्ध महिला का नाम मिनाती पटनायक है और इनकी उम्र 63 वर्ष है। मिनाती पटनायक ने रिक्शा चालक बुद्ध सामल को अपना तीन मंजिला घर, सोने के गहने और अपनी सारी संपत्ति दान में दे दी है। रिक्शा चालाक बुद्ध सामल बुजुर्ग के परिवार की वर्षों से सेवा कर रहा है।

बताया गया कि मिनाती पटनायक ने पिछले साल अपने पति को किडनी के फेल हो जाने के कारण खो दिया था। मिनाती की बेटी की भी हाल ही में हार्ट अटैक के कारण मौत हो गयी थी। रिक्शा चालाक, मिनाती और उनके पति की 25 साल से सेवा करता आया है।

रिक्शा चालक को संपत्ति देने का कारण

'इंडिया टुडे' में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक मिनाती पटनायक का कहना है कि 'मैं अपने पति और बेटी की मृत्यु के बाद बिखर गई और दुख में जी रही थी। मेरे दुखद नुकसान के बाद, मेरे किसी भी रिश्तेदार ने मेरा साथ नहीं दिया। मैं पूरी तरह से अकेली थी। हालांकि, यह रिक्शा चालक और उसका परिवार मेरे मुश्किल समय में मेरे साथ खड़ा रहा और बदले में कुछ भी उम्मीद किए बिना मेरे स्वास्थ्य का ख्याल रखा।' साथ ही मिनाती ने बताया कि 'मेरे रिश्तेदारों के पास पर्याप्त संपत्ति है। मैं हमेशा एक गरीब परिवार को अपनी संपत्ति देना चाहती हूं।'

कानूनी रूप से दान करने का फैसला

मिनाती ने बताया कि 'मैंने बुद्ध सामल और उनके परिवार को कानूनी रूप से सब कुछ दान करने का फैसला किया ताकि मेरी मृत्यु के बाद कोई उन्हें परेशान न करे।' मिनाती ने आगे कहा कि 'वह (बुद्ध सामल) मेरी बेटी को रेनशॉ कॉलेज ले जाता था। वह परिवार का रिक्शा चालक था। उस पर मेरा भरोसा और मेरे और मेरे परिवार के प्रति उसके समर्पण ने उसे इनाम दिया। मैंने उन्हें अपनी संपत्ति देकर कोई बड़ी सेवा नहीं की। वे इसके लायक हैं।' उन्होंने कहा कि जब मेरी बेटी कोमल छोटी थी तो बुद्ध सामल उसे स्कूल ले जाया करता था। साथ ही उसका पूरा ख्याल भी रखता था।

बहनों ने जताई आपत्ति

मिनाती द्वारा रिक्शा चालक बुद्ध सामल को अपनी पूरी संपत्ति देने के फैसले पर मिनाती की बहनों ने विरोध किया। इसके बावजूद मिनाती पटनायक अपने इस फैसले पर अडिग है। मिनाती पटनायक की तीन बहने हैं। जिसमें से दो बहनों ने मिनाती के इस फैसले पर आपत्ति जताई। मिनाती पटनायक ने रिक्शा चालक को अपनी संपत्ति देने का निश्चय कर लिया था। इसके लिए मिनाती ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया और यह सुनिश्चित किया कि उसकी मृत्यु के बाद मिनाती की संपत्ति को सही तरीके से बुद्ध सामल को स्थानांतरित किया जाए।

एक करोड़ की संपत्ति दान में दी

अपने पति और बेटी की मौत के बाद बुजुर्ग महिला अकेली हो गई थी। इस नाजुक घड़ी में रिक्शा चालक बुद्ध सामल और उसका परिवार मिनाती पटनायक के साथ खड़ा रहा। मिनाती ने अपनी बाकि की जिंदगी रिक्शा चालक के परिवार वालों के साथ बिताने का फैसला किया। बुद्ध सामल का परिवार उसका अकेलापन दूर करने के साथ-साथ मिनाती को अस्पताल भी ले जाया करता था। इस निस्वार्थ सेवा से खुश होकर मिनाती पटनायक ने अपना तीन मंजिला घर और घर के जेवरात समेत अन्य सामान कानूनी रूप से दान में दे दिया है। कुल संपत्ति की कीमत वर्तमान में लगभग एक करोड़ रुपए बताई जा रही है।

मिनाती के आदेश पर रिक्शा चलाना छोड़ चूका है बुद्ध

बुद्ध ने बताया कि मिनाती पटनायक के आदेश पर उसने दो साल पहले ही रिक्शा चलाना छोड़ दिया है। बुद्ध सामल और उसका परिवार 4 महीने पहले मिनाती पटनायक के कहने पर मिनाती के घर में रहने लगा है। बुद्ध सामल के परिवार में उसके माता-पिता, उसकी पत्नी और तीन बच्चे है। जिसमें दो बेटे और एक बेटी है।

बुद्ध सामल मरते दम तक करता रहेगा निस्वार्थ सेवा

मिनाती पटनायक के संपत्ति देने के फैसले पर बुद्ध सामल को हैरानी हुई और वह मिनाती पटनायक का बहुत आभारी है। बुद्ध सामल ने मिनाती के फैसले पर कहा कि 'जब मां (मिनाती पटनायक) ने मुझे अपनी संपत्ति के बारे में बताया तो मैं हैरान रह गया। मैं दो दशकों से अधिक समय से इस परिवार की सेवा कर रहा हूं और मेरी मृत्यु तक मां की सेवा करना जारी रखूंगा।' आगे बुद्ध सामल ने कहा कि 'मुझे खुशी है कि मां ने इतना महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जिसका मेरे और मेरे परिवार के जीवन पर प्रभाव पड़ेगा। मैं अब अपने परिवार के साथ एक छत के नीचे रह सकता हूं।'

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