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मौत के 10 साल बाद मिला शिल्पा को आधा-अधूरा न्याय, दहेज के लिए जला दी गई थी रामपुर की विवाहिता

Janjwar Desk
30 Oct 2022 2:51 PM IST
मौत के 10 साल बाद मिला शिल्पा को आधा-अधूरा न्याय, दहेज के लिए जला दी गई थी रामपुर की विवाहिता
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"हैवानों को सजा दिलाना, तब ही मुझे शांति मिलेगी पापा..." यह शब्द रामपुर की शिल्पा के मुंह से अस्पताल में तब निकले थे जब वह दहेज के लिए ससुरालियों द्वारा जला देने के बाद जिंदगी और मौत के बीच जद्दोजहद कर रही थी, इलाज के दौरान दुनियां से रुखसत हुई इसी शिल्पा को अब जाकर आधा अधूरा न्याय मिला है...

Moradabad news : "हैवानों को सजा दिलाना, तब ही मुझे शांति मिलेगी पापा..." यह शब्द रामपुर की शिल्पा के मुंह से अस्पताल में तब निकले थे जब वह दहेज के लिए ससुरालियों द्वारा जला देने के बाद जिंदगी और मौत के बीच जद्दोजहद कर रही थी। इलाज के दौरान दुनियां से रुखसत हुई इसी शिल्पा को अब जाकर आधा अधूरा न्याय मिला है। शिल्पा को जलाने वाली उसकी जेठानी को मुरादाबाद की इस कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा हुई है, लेकिन बाकी के बचे आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से मिले स्टे की वजह से उन पर फैसला होना अभी बाकी है।

उत्तर प्रदेश के रामपुर जनपद के कैमरी निवासी सुधीर गुप्ता ने 2006 में अपनी बेटी शिल्पा की शादी बिलारी मुरादाबाद के महाजनान मोहल्ले के डिम्पल उर्फ आकाश दीप के साथ की थी। शादी के कुछ दिन सब कुछ ठीक रहा लेकिन उसके बाद शिल्पा के ससुरालियों की दहेज की मांगों का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह कभी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था। साल 2012 के स्वतंत्रता दिवस के चार दिन बाद शिल्पा को जला दिया गया था।

इस मामले में शिल्पा के पिता सुधीर गुप्ता ने थाना बिलारी में 20 अगस्त 2012 को मुकदमा दर्ज कराया, जिसमें उन्होंने कहा कि उसकी बेटी से सुसराल वाले जिनमें जेठानी चंचल उर्फ बबीता पत्नी सचिन, जेठ सचिन, चचिया ससुर सुनील, पुष्पा, श्रीकांत, नीरु, भगवान, विक्की, खुशबु ने दहेज में पचास हजार रुपए के साथ गाड़ी की मांग करते थे, जिसे पूरा न होने पर उसके साथ मारपीट करते थे। 19 अगस्त 2012 को इन लोगों ने षड्यंत्र रचते हुए मेरी बेटी को जला दिया, जिसका प्रत्यक्षदर्शी मेरी बेटी का चार साल का बेटा है, जिसने सारी घटना देखी है।

आग से झुलसी शिल्पा की मौत से पहले तत्कालीन तहसीलदार ने बयान दर्ज किए थे। शिल्पा ने अपने बयानों में अपनी जेठानी चंचल उर्फ बबीता के खिलाफ बयान दर्ज कराए थे, जिसके बाद उसकी मृत्यु हो गई। केस के विवेचक द्वारा मृत्यु पूर्व दिए गए बयानों के आधार पर चंचल उर्फ बबीता को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।

इस मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रघुवर सिंह की अदालत में की गई। सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता नाहर सिंह त्यागी ने बताया कि वादी सुधीर गुप्ता ने अपने बयानों में चंचल उर्फ बबीता के साथ सचिन, सुनील पुष्पा आदि के खिलाफ भी बयान दिए, जिसके आधार पर अदालत ने आरोपियों को तलब कर लिया था।

कोर्ट में दिए शिल्पा के पिता के बयान के अनुसार जब वह अस्पताल में भर्ती से मिलने गए थे। तब बेटी ने उसने कहा था कि पापा मुझे जलाया गया है। मेरी आत्मा को तब ही शांति मिलेगी। जब हैवानों को सजा मिलेगी। इन लोगों को सजा दिलाने के लिए लड़ते रहना। केस में उन्होंने अपनी बेटी के चार साल के बेटे का भी जिक्र करते हुए बताया था कि चार साल के बच्चे की आंखों के सामने ये घटना हुई थी। उसने भी बताया था कि मेरी मां को पीटने के बाद जलाया गया था। मासूम को उसके पिता ने आंखें दिखाकर डराया गया था।

अदालत के आदेश के खिलाफ चंचल उर्फ बबीता को छोड़ कर अन्य आरोपी सर्वोच्च न्यायालय की शरण में चले गए। जहां से उन्हें स्थगन प्राप्त हो गया। मुकदमे की मुख्य आरोपी चंचल उर्फ बबीता के मुकदमे की सुनवाई अदालत में विचाराधीन रही। जिसे पत्रावली पर मौजूद साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने हत्या का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है साथ ही उस पर पचास हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना जमा न कर पाने की स्थिति में दो साल का अतिरिक्त कारावास दिए जाने के आदेश भी दिए हैं।

अपनी बेटी की मौत का यह केस लिखाने वाले सुधीर गुप्ता की दो साल पहले मृत्यु हो चुकी है, जबकि शिल्पा के पति आकाश दीप उर्फ डिंपल के अलावा केस के एक अन्य आरोपी भगवान गुप्ता की भी मृत्यु हो चुकी है।

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