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समाज

जी20 सम्मेलन में मेहमानों के स्वागत के लिए हजारों करोड़ खर्च और लाखों लोगों का घर तोड़कर कर दिया उन्हें बेघर

Janjwar Desk
10 Sep 2023 5:23 PM GMT
जी20 सम्मेलन में मेहमानों के स्वागत के लिए हजारों करोड़ खर्च और लाखों लोगों का घर तोड़कर कर दिया उन्हें बेघर
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देश को साम्प्रदायिक दंगों की आग में झोंक कर मोदी सरकार जनता के बीच धार्मिक व जातिगत भेद भाव स्थापित कर रही है। न्यायालय के दरवाजे बंद कर जनता पर बुल्डोजर राज थोप दिया गया है...

रामनगर। दिल्ली में चले दो दिवसीय जी20 के शिखर सम्मेलन के खिलाफ आज 10 सितंबर को उत्तराखंड स्थित रामनगर के लखनपुर चौक पर भारी बारिश के बावजूद विभिन्न संगठनों के लोग एकत्र हुए और जोरदार नारे लगाते हुये प्रदर्शन किया तथा इस दौरान सभा भी की गई।

सभा का संचालन करते हुए समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने कहा कि दिल्ली में 9-10 सितंबर को चल रहे जी-20 सम्मेलन के पहले दिन सभी को अभिव्यक्ति की आजादी, जनवाद तथा धार्मिक भेदभाव व साम्प्रदायिकता को खत्म करने आदि से संबंधित पारित प्रस्ताव ढकोसला मात्र है। देश को साम्प्रदायिक दंगों की आग में झोंक कर मोदी सरकार जनता के बीच धार्मिक व जातिगत भेद भाव स्थापित कर रही है। न्यायालय के दरवाजे बंद कर जनता पर बुल्डोजर राज थोप दिया गया है। मोदी सरकार के वसुधैव कुटुंबकम के नारे में देश व दुनिया के मजदूर किसान व आम आदमी के लिए कोई जगह नहीं है। दिल्ली में मेहमानों के स्वागत के लिए हजारों करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, वहीं देश व दिल्ली के लाखों लोगों के घरों को तोड़कर उन्हें बेघर कर दिया गया है।

इंकलाबी मजदूर केंद्र के नेता रोहित रुहेला ने कहा कि लाखों लोगों को उजाड़कर आयोजित किए जा रहे जी-20 सम्मेलन पर धिक्कार है। जी-20 का गठन दुनिया की मेहनतकश जनता एवं प्राकृतिक संसाधनों को लूटने के लिए बनाया गया मंच है, जिसका दुनिया की जनता को विरोध करना चाहिए।

दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता कमलेश कुमार ने कहा कि सरकार ने तीन दिनों के लिए दिल्ली पर लाकडॉउन जैसी स्थिति को थोप दिया है। दुनिया के पर्यावरण को तबाह बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार साम्राज्यवादी मुल्क पर्यावरण बचाने का ढकोसला कर रहे हैं। दुनिया की जनता को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार गारंटी जी-20 देशों के सम्मेलन से नहीं बल्कि समाजवाद से ही संभव है।

विरोध प्रदर्शन और सभा में रोजगार बचाओ संघर्ष समिति, समाजवादी लोक मंच, इंकलाबी मजदूर केंद्र, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, महिला एकता मंच, किसान संघर्ष समिति, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन इत्यादि से जुड़े लोगों ने भागीदारी की।

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