फतेहपुर में 8 साल की बच्ची की रेप हत्या के दोषी युवक को कोर्ट ने सुनायी फांसी की सजा, भूसे की बोरी में छिपा दी थी लाश
Fatehpur news : उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में 5 साल पहले 8 साल की बच्ची के जघन्य दुष्कर्म कांड करने के बाद उसकी हत्या कर दी गयी थी। अब इस मामले में कोर्ट ने हत्यारोपी और बलात्कार में दोषी शख्स को फांसी की सजा समेत 45 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में फतेहपुर में 8 साल की बच्ची को बलात्कार के बाद मौत के घाट उतार दिया गया था। इस कांड में पुलिस ने शेखपुर उनवा के फारुख को आरोपी पाया था। तब इस कांड ने समाज को झकझोर कर रख दिया था। अब इस मामले में 14 लोगों की गवाहियों के
जानकारी के मुताबिक 9 जुलाई 2019 की शाम गांव को जब एक 8 साल की बच्ची घर के बाहर खेल रही थी, तो फारुख नाम का युवक बच्ची को बहला फुसलाकर अपने साथ ले गया था। बच्ची को अपने साथ ले जाने के बाद उसने उसका बलात्कार किया और फिर राज खुलने के डर से हत्या। इसके बाद उसने अपने पाप को छिपाने के लिए बच्ची की लाश को भूसे की बोरी में छुपाकर रख दिया था।
जब 9 जुलाई की रात को काफी ढूंढ़ने के बाद भी बच्ची परिजनों को नहीं मिली तो पूरे गांव में हंगामा मच गया। अगले दिन 10 जुलाई 2019 को बच्ची की मां ने कोतवाली में नामजद तहरीर दी कि उसकी बच्ची को गांव का एक युवक फारुख अपने साथ लेकर गया है। यह खुलासा इसलिए हो पाया क्योंकि गांव के रहने वाले कुछ बच्चों ने फारुख को बच्ची को अपने साथ ले जाते हुए देखा था। पुलिस ने जब आरोपी युवक फारुख को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पहले तो वह गुमराह करता रहा और खुद को निर्दोष बताता रहा मगर पुलिस द्वारा सख्ती दिखाने पर उसने कबूल किया कि उसने बच्ची के साथ रेप के बाद उसे मौत के घाट उतार दिया था और फिर डर के मारे लाश को भूसे की बोरी में छुपा दिया था। आरोपी द्वारा जुर्म कबूलने के बाद पुलिस ने बच्ची की लाश एक खाली घर के कोठरी में भूसे के बोरी से बरामद की थी।
पास्को कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मोहम्मद अहमद खान की अदालत में 14 गवाहों की पेशी के बाद धारा 376 एबी व 302 आईपीसी के तहत दोषी युवक को मृत्युदंड और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके अलावा धारा 363 के तहत सात वर्ष की सजा और 10 हजार रूपये का जुर्माना और 201 आईपीसी के तहत सात वर्ष की सजा और 10 हजार रूपये का जुर्माना लगाया गया। जब कोर्ट ने यह फैसला दिया तब अनन्य पास्को कोर्ट के बाहर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
गर्दन में फांसी लगा तब तक लटकाया जब तक मृत्यु न हो जाये
8 साल की बच्ची को अपनी हसव का शिकार बनाने वाले दोषसिद्ध अपराधी फारुख के मामले में अनन्य पास्को कोर्ट ने कड़े फैसले लिए हैं। सजा में साफ कहा गया कि मृत्युदंड के लिए गर्दन पर फांसी लगाकर तब तक लटकाया, जब तक मृत्यु न हो जाए। इतना ही नहीं, मृत्युदंड की पुष्टि भी उच्च न्यायालय के करने के बाद मानी जाएगी। वर्ष 2016 के बाद फांसी की सजा सुनाए जाने का दूसरा मामला आज मंगलवार 31 जनवरी को सामने आया। अनन्य पास्को कोर्ट ने धारा 376 एबी व 302 भादवि के तहत यह उल्लेखित किया गया है।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, दोषसिद्ध अपराधी फारूख को फांसी दिए जाने के बाद मृत्युदंड तब तक निष्पादित नहीं होगा, जब तक माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद से इसकी पुष्टि नहीं की जाती।
इस मामले में सहायक शासकीय अधिवक्ता धर्मेंद्र उत्तम ने बताया कि 14 गवाहों के साक्ष्य के बाद फैसला सुनाया गया है, जिसमें धारा 376 एबी व 302 भादवि के तहत मृत्युदंड व 25 हजार रूपये जुर्माना बोला गया है। जुर्माना अदा न करने पर एक साल का अतिरिक्त साधारण कारावास होगा। धारा 363 के तहत सात साल की सजा व 10 हजार रुपये जुर्माना किया गया है। जुर्माना न अदा करने पर तीन महीने का साधारण अतिरिक्त कारावास होगा। दंडनीय साक्ष्य विलोपित करने पर धारा 201 आईपीसी के तहत सात साल की सजा व 10 हजार रुपये का जुर्माना किया गया है। जुर्माना न भरने पर तीन महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा होगी।
अपने तक मिलने नहीं आये बलात्कार के दोषी युवक से
आठ साल की बच्ची के साथ दरिंदगी और फांसी की सजा के फारूख के इस व्यवहार से न केवल गांव वाले आहत थे, बल्कि परिवार के लोग भी अपनी जिंदगी से अलथ थलग कर लिया। यही कारण रहा कि कोई मुलाकात करने नहीं पहुंचा।
वकीलों ने भी नकारा
दुराचारी को लेकर समाज के हरेक वर्ग में नाराजगी रही कि कोई उसके साथ खड़ा होने को तैयार नहीं हुआ। अधिवक्ताओं ने भी ऐसी हकरत करने वाले का केस लड़ने से मना कर दिया। दोषसिद्ध अपराधी की दलील रखने वाला कोई वकील सामने न खड़ा होने की वजह से एमकसक्यूरी की मदद लेनी पड़ी।
पीड़ित परिवार की नम थीं आंखें
मृत्युदंड की सजा का फैसला आते ही पीड़ित परिवार की आंखों में आये आंसू ने पुराने जख्मों को कुरेदा। पीड़ित अभिभावक ने बताया कि बेटी के साथ जो कृत्य किया गया, उसकी इससे कम सजा दूसरी कोई नहीं हो सकती है। हालांकि इस सजा से बेटी नहीं लौट सकती है।