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Mannu Bhandari no more : 'आपका बंटी' की लेखिका और चर्चित साहित्यकार राजेंद्र यादव की पत्नी मन्नू भंडारी नहीं रहीं

Janjwar Desk
15 Nov 2021 9:05 AM GMT
Mannu Bhandari no more : आपका बंटी की लेखिका और चर्चित साहित्यकार राजेंद्र यादव की पत्नी मन्नू भंडारी नहीं रहीं
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नहीं रहीं हिंदी की चर्चित साहित्यकार मन्नू भंडारी

मन्नू भंडारी ने बहुत सारी बेहतरीन कहानियां और उपन्यास हिंदी साहित्य को दिये, उनकी लिखी एक कहानी 'यही सच है' पर बासु चटर्जी ने 'रजनीगंधा' फिल्म बनाई थी....

Mannu Bhandari no more। हिंदी की सुप्रसिद्ध लेखिका और कथाकार मन्नू भंडारी का आज 15 नवंबर को निधन हो गया है। अपने लेखन ने पुरुषवादी समाज पर चोट करने वाली मन्नू भंडारी का निधन कैसे हुआ है, यह सूचना अभी सामने नहीं आ पायी है, मगर सोशल मीडिया पर 90 वर्षीय लेखिका के निधन पर श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया है।

मन्नू भंडारी ने बहुत सारी बेहतरीन कहानियां और उपन्यास हिंदी साहित्य को दिये। उनकी लिखी एक कहानी 'यही सच है' पर बासु चैटर्जी ने 1974 में 'रजनीगंधा' फिल्म भी बनाई थी। 'आपका बंटी' उनकी एक बहुत ही प्रसिद्ध कृति है।

3 अप्रैल 1931 को मध्य प्रदेश के मंदसौर में जन्मी मन्नू भंडारी सुप्रसिद्ध साहित्यकार राजेंद्र यादव की पत्नी थीं। मन्नू भंडारी के बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था, मगर लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम चुना। मन्नू नाम चुनने की वजह थी कि बचपन में सब उन्हें इसी नाम से पुकारते थे और आजीवन वह मन्नू भंडारी के नाम से ही मशहूर रहीं। दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज में वह लंबे समय तक पढ़ाती रहीं।

हिंदी साहित्य में बतौर कथाकार मन्नू भंडारी ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 'मैं हार गई', 'तीन निगाहों की एक तस्वीर', 'एक प्लेट सैलाब', 'यही सच है', 'आंखों देखा झूठ' और 'त्रिशंकु' संग्रहों की कहानियों से उनके व्यक्तित्व की झलक मिलती है। अपने पति और सुप्रसिद्ध लेखक राजेंद्र यादव के साथ लिखा गया उपन्यास 'एक इंच मुस्कान' पढ़े-लिखे और आधुनिकता पसंद लोगों की दुखभरी प्रेमगाथा की कहानी है।

मन्नू भंडारी ने हिंदी के चर्चित लेखक और हंस के संपादक राजेंद्र यादव से शादी की और दशकों के साथ के बाद उनसे अलग भी हो गयी थीं। राजेंद्र यादव के निधन तक भी वह अलग—अलग ही रहते थे। मन्नू भंडारी ने विवाह टूटने की त्रासदी पर घुट-घुट कर जी रहे एक बच्चे को केंद्रीय विषय बनाकर एक उपन्यास लिखा 'आपका बंटी', जिसने उन्हें शोहरत के शिखर पर पहुंचाया। 'आपका बंटी' को उन बेजोड़ उपन्यासों में शुमार किया जाता है, जिनके बिना बीसवीं शताब्दी के हिंदी उपन्यास की चर्चा भी नहीं की सकती है, न ही स्त्री और बाल-विमर्श को सही धरातल पर समझा जा सकता है।

मन्नू भंडारी का एक अन्य उपन्यास 'महाभोज' राजनीति सामाजिक जीवन मे आई हुई मूल्यहीनता, तिकड़मबाजी, शैतानियत का यथार्थ चित्रण करता है। सामान्यत: महाभोज एक सामाजिक माने जाने वाले 'महाभोज' का परिवेश राजनीतिक होने के कारण इसे राजनीतिक उपन्यास की श्रेणी में रखा जाता है। इस उपन्यास में सरोहा गांव की कहानी है, जहां बिसेसर नाम के पात्र की मृत्यु के बाद उसे राजनीतिक केंद्र में रखकर सभी राजनेता अपना अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं।

मन्नू भंडारी बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी। उनकी रचनाओं में 5 कहानी संग्रह, 5 उपन्यास, 2 नाटक और 3 बाल रचनाएं प्रमुख हैं। मन्नू भंडारी ने कहा था, "लेखन ने मुझे अपने निहायत निजी समस्याओं के प्रति ऑब्जेक्टिव हो ना वह उभारना सिखाया है।"

राजेंद्र यादव मन्नू भंडारी के लेखन के बारे में कहते थे, "व्यर्थ के भावोच्छवास में नारी के आंचल में दूध और आंखों में पानी दिखाकर मन्नू भंडारी ने पाठकों की दया नहीं वसूली, वह यथार्थ के धरातल पर नारी का नारी की दृष्टि से अंकन करती है।

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