निर्मला सीतारमण बता रहीं कोरोना को भगवान की देन और PM मोदी गांवों तक पहुंच चुके कोरोना को बता रहे नियंत्रण में
मोदी सरकार में 5 सालों में 10 लाख 9 हजार 511 करोड़ रुपये की राशि बैंकों ने डाली बट्टे खाते में, संसद में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने दी जानकारी
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
जनज्वार। अमेरिका के साथ भारत की सबसे बड़ी समानता यह है कि दोनों देशों में सरकारी स्तर पर कोविड 19 से सम्बंधित अफवाह, फेक न्यूज़ या भ्रामक खबरें फैलाई जाती हैं। जाहिर है दोनों देशों में स्थिति नियंत्रण के बाहर है।
हमारी सरकार जिस स्थिति को नियंत्रित बता रही है, जिस स्थिति पर प्रधानमंत्री मोदी अपनी कामयाबी का सेहरा बांधते हैं उस स्थिति में कोविड 19 अब शहरों की सीमा छोड़कर गाँव में तेजी से पैर पसार रहा है। हालात यहाँ तक खराब हैं कि दूरदराज के द्वीपों से भी कोविड 19 के मरीज सामने आ रहे हैं।
अंडमान द्वीप समूह के स्ट्रेट द्वीप पर बसने वाली और तेजी से विलुप्त होती ग्रेट अंडमानीज जनजाति, जिसके केवल 59 सदस्य बचे हैं, उनके 10 सदस्य इस समय कोविड 19 की चपेट में हैं। इस जनजाति के 6 सदस्य कुछ दिन पहले राजधानी पोर्ट ब्लेयर आये थे और वहां से संक्रमण लेकर वापस गए। इसके बाद जब इस जनजाति के सभी सदस्यों की कोविड 19 से सम्बंधित जांच की गई तब 4 और मामले सामने आये।
इन बढ़ते मामलों, जिसे सरकार नियंत्रित कहती है, के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड 19 को भगवान् की देन बताया है। कुछ समय पहले बिहार में महिलायें कोरोना मैया की पूजा कर रही थीं तब उसे बहुत लोगों ने अंधविश्वास से जोड़ा था और मजाक उड़ाया था, फिर वित्त मंत्री के वक्तव्य को आप क्या कहेंगे?
अमेरिका में ट्रम्प भी इसे कभी पत्रकारों के दिमाग की उपज बताते थे पर अब इसे चाइनीज वायरस कहते हैं। ट्रम्प बहुर सारे मामलों में निहायत ही बेवकूफी वाले वक्तव्य देते हैं, फिर भी कोविड 19 को कम से कम वायरस की दें तो मानते हैं, भले ही उसे चाइनीज कहते हों। पर, वित्त मंत्री तो उनसे भी आगे बढ़ गईं, इसे तो भगवान् की देन ही बता दिया।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के रूप में सामने आए असाधारण 'एक्ट ऑफ गॉड' का सामना कर रही है, जिसकी वजह से इस साल अर्थव्यवस्था के विकास की दर सिकुड़ सकती है।
इस वक्तव्य के बाद दो तथ्य तो स्पष्ट हैं – कोरोना वायरस भगवान् हैं और दूसरा तथ्य यह है कि वित्त मंत्री की बौद्धिक क्षमता उन महिलाओं से अधिक कतई नहीं है जो कोरोना मैया की पूजा कर रहीं थी।
बहुत लम्बा समय नहीं बीता है जब संसद के भीतर जय श्रीराम के नारे लगाने वाली सरकार ने अब राज्यसभा सांसद बने सर्वोच्च न्यायालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश ने भगवान् राम को पौराणिक चरित्र से ऐतिहासिक चरित्र में बदल दिया। आखिर जब किसी के जन्मस्थान का पक्का पता हो और उस भवन के अवशेष भी न्यायालयों को दिखने लगें तो जाहिर है वह चरित्र पौराणिक नहीं बल्कि ऐतिहासिक ही होगा।
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यह बात दूसरी है कि जन्म स्थान तो स्पष्ट बताया गया पर वंशज आज तक नहीं मिले हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री जी और योगी जी ने राम पर और रामराज्य पर खूब प्रवचन सुनाया और वहां के मुख्य महंत कोविड 19 से ग्रस्त हो गए, उससे पहले गृह मंत्री इससे ग्रस्त थे और आज तक एम्स में भर्ती हैं। इन दिनों महाराष्ट्र में भगवान् गणेश का उत्सव चल रहा है। अब भगवान् राम और गणेश की श्रेणी में वित्त मंत्री ने एक नए भगवान् को शामिल किया है, कोरोना भगवान्।
जब हम किसी ज्योतिष के पास अपनी समस्याओं का हल ढूँढने जाते हैं तब पहले जन्म-कुण्डली की बात की जाती है, गृह-नक्षत्र की बातें बताई जातीं हैं, हस्त रेखाओं का गूढ़ रहस्य समझाया जाता है, इसके बाद भी बहुत कुछ ज्योतिष बताते हैं। पर, इसके बाद भी यदि समस्या का हल नहीं मिलता और फिर भी बेवकूफों की तरह हम उस ज्योतिष का पीछा नहीं छोड़ते तब अंत में उसका हथियार होता है, पिछले जन्म का कर्म। घंटों ज्योतिष फिर इसी पर चर्चा करेंगे, जिस बारे में आप कोई विवाद नहीं कर सकते, और इसे ही समस्या की जड़ से आसानी से जोड़ दिया जाता है।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान भी संभवतः देश की सारी वित्तीय समस्याओं की नाकामयाबी से पला झाड़ने की अंतिम कड़ी है। वित्तमंत्री अप्रैल से कुछ कुछ दिनों के टीवी चैनलों पर प्रकट होकर वित्त व्यवस्था के सुधार से सम्बंधित अधकचरे उपायों पर लीपापोती करती रहीं हैं, पर अर्थव्यवस्था आसमान से जमीन से होते हुए रसातल में पहुँच गई है। ऐसे में भगवान् का सहारा लेना सबसे सुरक्षित है।
जब वे कोविड 19 को भगवान् की देन कहतीं है तो जाहिर है इस दौर की सारी समस्याएं भी भगवान् की देन हैं। रसातल में गिरी अर्थव्यवस्था, स्वतंत्र भारत के किसी भी दौर से अधिक बेरोजगारी, डूबती हुए कृषि, आत्महत्या करते किसान, लाखों श्रमिकों का पलायन, सुविधाओं से जूझते अस्पताल, दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते कोविड 19 के मामले और सबसे तेजी से मरते लोग – सबकुछ भगवान् की देन है। जाहिर है देशवासियों को इसके बाद कोई समस्या ही नजर नहीं आयेगी, आखिर भगवान् की देन को समस्या कैसे माना जा सकता है?
भगवान् कृपा, वरदान या प्रसाद देते हैं, पर समझ में नहीं आता कि देश के गृह मंत्री या फिर अयोध्या के महंत कोविड 19 के बाद महंगे अस्पतालों में क्यों भर्ती हो रहे हैं, भगवान् की देन के बाद पहली बार लोग अस्पतालों के चक्कर लगाते होंगे। वित्त मंत्री को कोविड 19 से सम्बंधित सभी सुविधाएं तत्काल बंद करा देनी चाहिए, क्योंकि कोरोना भगवान् की देन के बाद सुविधाएं तो नए घोषित भगवान् का भी अपमान है।