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विमर्श

Agriculture Subsidy : प्रतिवर्ष 540 अरब डॉलर की कृषि सब्सिडी से मानव जाति का भला नहीं बल्कि हो रहा नुकसान - रिपोर्ट

Janjwar Desk
21 Sep 2021 1:27 PM GMT
कृषि सब्सिडी इसी दर से बढ़ती रही तो अनुमान है कि वर्ष 2030 तक यह 1.8 ख़रब (Trillion) डॉलर प्रतिवर्ष तक पहुँच जायेगी
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(कृषि सब्सिडी से बढ़ रही पर्यावरण की समस्याएं)

Agriculture Subsidy : लगभग पूरी सब्सिडी औद्योगिक खेती के साथ ही मांस और दूध उद्योग में जाती है और ये सभी उद्योग बड़े पैमाने पर पर्यावरण के विनाश के साथ ही जलवायु परिवर्तन के भी जिम्मेदार हैं....

वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण

Agriculture Subsidy जनज्वार। संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट के अनुसार कृषि सब्सिडी (Agriculture Subsidy) से किसी का भला नहीं होता और दुनियाभर में जितनी सब्सिडी दी जा रही है, उसमें से 90 प्रतिशत राशि पर्यावरण को बर्बाद कर रही है, लोगों के स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव डाल रही है, जैव विविधता का विनाश (Loss Of Biodiversity) कर रही है और साथ ही छोटे और बड़े किसानों के बीच की खाई को बढ़ा रही है।

23 सितम्बर को संयुक्त राष्ट्र में आयोजित किये जाने वाले खाद्य से सम्बंधित महाधिवेशन (UN Food Systems Summit) से पहले इस नए रिपोर्ट को फ़ूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाईजेशन, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (Food and Agriculture Organisation, United Nations Development Programme, United Nations Environment Programme) ने संयुक्त तौर पर प्रकाशित किया है।

दुनिया में कृषि कार्यों से सम्बंधित लगभग 540 अरब (billion) डॉलर की सब्सिडी प्रतिवर्ष दी जाती है, हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि वास्तविक राशि इससे कहीं अधिक होगी। इसमें से 90 प्रतिशत जिन कामों के लिए इस्तेमाल की जा रही है, उससे मानव जाति का भला नहीं बल्कि नुकसान हो रहा है। यह लोगों के स्वास्थ्य (Public Health) को प्रभावित कर रहा है, जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को बढ़ावा दे रहा है, प्रकृति को नष्ट (destruction Of Nature) कर रहा है और छोटे किसानों, जिसमें बड़ी संख्या में महिलायें है, के बीच असमानता बढ़ा रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार लगभग पूरी सब्सिडी औद्योगिक खेती (Industrial farming) के साथ ही मांस और दूध उद्योग (Meat And Dairy Industry) में जाती है और ये सभी उद्योग बड़े पैमाने पर पर्यावरण के विनाश के साथ ही जलवायु परिवर्तन के भी जिम्मेदार हैं। यदि कृषि सब्सिडी इसी दर से बढ़ती रही तो अनुमान है कि वर्ष 2030 तक यह 1.8 ख़रब (Trillion) डॉलर प्रतिवर्ष तक पहुँच जायेगी, जाहिर है पर्यावरण के नुकसान और ग्रीनहाउस गैसों (Greenhouse Gases) के उत्सर्जन का पैमाना भी बढ़ जाएगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि औद्योगिक देशों (Industrialised Countries) में मांस और दूध उद्योग में सब्सिडी में भारी कटौती करने की जरूरत है, इसी तरह गरीब देशों (low income countries) को लोगों और पर्यावरण का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक (Pesticide And Chemical Fertilizer Industry) उद्योग को दी जाने बाली सब्सिडी में भारी कटौती करनी पड़ेगी। कृषि सब्सिडी पर यदि विस्तृत अध्ययन कर उसे पर्यावरण संरक्षण और जन-स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगाया जाए तो फिर इससे समाज को बहुत फायदा पहुंचेगा।

इससे गरीबी, भूखमरी और कुपोषण (Poverty, Hunger And Malnutrition) ख़त्म किया जा सकता है, तापमान बृद्धि (global heating) को नियंत्रित किया जा सकता है और पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है। इससे फल और सब्जियों समेत पौष्टिक भोजन (Healthy Food) को बढ़ावा दिया जा सकता है और छोटे किसानों को विकास के रास्ते पर लाया जा सकता है।

अधिकतर अध्ययन बताते है कि वर्ष 2020 में कोविड 19 के कारण विश्वव्यापी लॉकडाउन के कारण वैश्विक खाद्यान्न श्रृंखला global food system) टूट गयी है और इसके गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं। वर्ष 2020 में वैश्विक स्तर पर 80 करोड़ से अधिक आबादी अत्यधिक भूखमरी (Chronic Hunger) का शिकार हुई, 3 अरब आबादी को पौष्टिक भोजन (healthy diet) नहीं मिला और 2 अरब आबादी मोटापे (Obese Or Overweight) का शिकार हो गयी। इस दौरान कुल कृषि उत्पादन का एक-तिहाई हिस्सा विभिन्न कारणों से बर्बाद (Wasted) भी हो गया।कृषि से सम्बंधित मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव और पर्यावरण विनाश का आर्थिक आकलन करने पर यह राशि लगभग 12 खरब डॉलर प्रतिवर्ष पहुँचती है, और यह राशि प्रतिवर्ष कृषि पर किये गए कुल खर्च से भी अधिक है।

फ़ूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाईजेशन के महानिदेशक क़ु दोंग्यु (Director General, Qu Dongyu) के अनुसार अब समय आ गया है जब दुनिया कृषि सब्सिडी पर गहन अध्ययन कर इसे मानव जाति और पर्यावरण संरक्षण के लिए खर्च करे, इससे पोषण, उत्पादन, पर्यावरण और मानव जीवन बेहतर होगा।

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के महानिदेशक अचिम स्टीनर (Director General Achim Steiner) के अनुसार कृषि सब्सिडी में ढांचागत परिवर्तन कर दुनिया के लगभग 50 करोड़ छोटे किसानों का जीवन बेहतर किया जा सकता है, इससे छोटे किसान भी औद्योगिक खेती का मुकाबला करने में सक्षम होंगें।संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की जॉय किम (Joy Kim) ने कहा है, वर्तमान में कृषि पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन है और सब्सिडी के कारण पर्यावरण विनाश लगातार बढ़ता जा रहा है।

दुनिया में उसर्जित कुल ग्रीनहाउस गैसों में से एक-चौथाई से अधिक केवल कृषि क्षेत्र से ही होता है। दूसरी तरफ दुनिया के कुल जैव-विविधता के विनाश में से 70 प्रतिशत और कुल वनों की अवैध कटाई (deforestation) में से 80 प्रतिशत कृषि के कारण है।

जॉय किम के अनुसार दुनिया के देशों ने जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए प्रतिवर्ष 100 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा है, जबकि वनों को बचाने का लक्ष्य 5 अरब डॉलर प्रतिवर्ष है, जबकि वर्ष 2013 से 2018 के बीच दुनिया में कृषि सब्सिडी प्रतिवर्ष औसतन 540 अरब डॉलर रही और इसमें से 87 प्रतिशत से अधिक राशि ऐसे कामों में लगाई जाती है जिससे पर्यावरण का नुकसान होता है और मानव स्वास्थ्य प्रभावित होता है। इन आंकड़ो से जाहिर है कि दुनिया जितना पर्यावरण बचाने पर खर्च करती है, उसकी तुलना में कई गुना अधिक राशि जाने-अनजाने पर्यावरण विनाश पर खर्च करती है।

कुछ देश अब कृषि सब्सिडी के सन्दर्भ में सजग हो रहे हैं।चीन ने रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों के उत्पादन में दी जाने वाली सब्सिडी में भारी कटौती की हैं। हमारे देश में आंध्रप्रदेश सरकार ने जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग योजना (Zero Budget Natural Farming Policy) को शुरू किया है, जिससे बिना उत्पादन प्रभावित किये ही कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरक के उपयोग को रोका जा सके। यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) में कुल कृषि सब्सिडी में से 3 अरब डॉलर को पर्यावरण संरक्षण के कामों में निवेश करने का ऐलान किया है।

अनेक वैज्ञानिकों के अनुसार यदि पर्यावरण विनाश का सही आकलन किया जाए तो प्रतिवर्ष इसका आर्थिक मूल्य 4 से 6 ख़रब डॉलर के बीच होगा, और इसमें से एक बड़े हिस्से का कारण दुनियाभर में कृषि को बढ़ावा देने के नाम पर दी जाने वाली सब्सिडी है। अगस्त 2021 में वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टिट्यूट (World Resources Institute) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में बड़े पैमाने पर भूमि के विनाश (Land degradation) में कृषि सब्सिडी का बड़ा योगदान है, और सब्सिडी को कम करके भूमि के व्यापक विनाश को रोका जा सकता है।

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