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विमर्श

'एयर इंडिया विमान दुर्घटना “एक्ट ऑफ़ गॉड” नहीं “एक्ट ऑफ़ फ्रॉड”, मोदी सरकार पर भड़कीं नेहा सिंह राठौर

Janjwar Desk
17 Jun 2025 12:05 PM IST
एयर इंडिया विमान दुर्घटना “एक्ट ऑफ़ गॉड” नहीं “एक्ट ऑफ़ फ्रॉड”, मोदी सरकार पर भड़कीं नेहा सिंह राठौर
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संवेदनशीलता चेक करनी हो तो जाकर सरकार और मोदीजी की संवेदनशीलता चेक कीजिए... जो पहलगाम हमले के तुरंत बाद बिहार में रैली करने चले गए थे... तो मेरा मुँह मत खुलवाइये... ये आपके चुप रहने का ही परिणाम है कि सरकार ने लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। जाइए पकड़िए कॉलर सरकार का....

Airplane Crash : लगातार बढ़ते हवाई जहाज दुर्घटनाओं पर भोजपुरी लोकगायिका नेहा सिंह राठौर सरकार की नीतियों और लापरवाहियों की तरफ ध्यान इंगित करवा रही हैं, जिसके लिए वह सरकार प्रायोजित मीडिया और सत्ताशाहों के निशाने पर हैं। एक बार फिर सोशल मीडिया पर नेहा सिंह राठौर ने मोदी सरकार पर जबर्दस्त हमला बोला है।

नेहा सिंह राठौर कहती हैं, इसी माह 12 जून को एयर इंडिया का प्लेन क्रैश हुआ, सैकड़ों लोग मारे गए, और देश के गृहमंत्री अमित शाह जी ने साफ़ कह दिया है कि ये एक दुर्घटना थी और इसे नहीं रोका जा सकता था। बात ख़त्म पइसा हज़म।

सही बात है…हादसे नहीं रोके जा सकते…मणिपुर नहीं बच सकता…पहलगाम हमला नहीं रोका जा सकता…भगदड़ नहीं रुक सकती, सिर्फ़ विधायक ख़रीदे जा सकते हैं…सरकार गिराई जा सकती है…EVM हैक की जा सकती है…चुनावी रैली की जा सकती है…सिंदूर बांटा जा सकता है। है न!

नेहा सिंह राठौर लिखती हैं, आख़िर सरकार का काम क्या है? दंगे रुक नहीं सकते, आतंकवादी पकड़ नहीं सकते, शिक्षा व्यवस्था तबाह है, स्वास्थ्य सुविधाओं से मतलब नहीं है, बेरोजगारी रिकॉर्ड तोड़ रही है, महँगाई कमर तोड़ रही है, रुपया धूल चाट रहा है, बेरोजगार धूल फाँक रहा है…फिर सरकार का काम क्या है? अमेरिका से ऑर्डर लेना? या IPL क्रिकेट करवाना? या सट्टेबाजी करवाकर देशभर को जुआरी बनवाना?

आख़िर काम क्या है सरकार का? अमेरिका से भारतीयों को जंजीरों में बांधकर भेजा गया और आपके मुँह से चूँ तक नहीं निकली? यही दिन दिखाने के लिए छप्पन इंची बने टहल रहे थे?

कभी हम चीन से आगे निकलने की होड़ में थे, अमेरिका को तपाक से जवाब दे दिया करते थे हम…आज पाकिस्तान आँख दिखा रहा है और अमेरिका ऑर्डर दे रहा है…शर्म नहीं आ रही?

सैकड़ों देशवासी ज़िंदा जल गए और इन्हें अलग-अलग एंगल से फोटो खिंचवाना है और पोज़ मारना है! देशवासी कितने नशे में हैं कि ये निकृष्टता देख नहीं पा रहे हैं? अगर यही आपका आपदा में अवसर है तो इसे हम देशवासी नीचता कहते हैं...

इस देश की जनता ने कैसे-कैसे लोगों को सिर पर बिठा रखा है? पर्ची निकालने और भविष्य बताने वाले बाबाओं ने विमान दुर्घटना के बारे में पहले क्यों नहीं बताया? इन्होंने प्लेन क्रैश की पर्ची क्यों नहीं निकाली? महाकुंभ की महाभगदड़ की पर्ची भी नहीं निकाली थी। बालासोर ट्रेन दुर्घटना की पर्ची भी नहीं निकाली थी और पहलगाम हमले की भी पर्ची नहीं निकाली थी। देश में करोड़ों लोग इन्हें चमत्कारी बाबा मानते हैं और ये प्रधानमंत्री जी के भी प्रिय हैं। देश का मीडिया इनके मुँह में माइक ठूँसकर सवाल कब पूछेगा?

दुर्घटनाग्रस्त विमान एयर इंडिया का था और एयर इंडिया कुछ साल पहले टाटा ग्रुप को बेचा जा चुका है और अहमदाबाद एयरपोर्ट के संचालन और प्रबंधन की जिम्मेदारी पिछले कुछ सालों से अडानी ग्रुप के पास है। ऐसे में इस दुर्घटना की ईमानदार जाँच की उम्मीद करने वालों के लिए मेरे मन में सिर्फ़ दुःख है।

नेहा कहती हैं, 'एयर इंडिया विमान दुर्घटना “एक्ट ऑफ़ फ्रॉड” है जिसे “एक्ट ऑफ़ गॉड” बता दिया गया... और सारे पत्रकार ढाई सौ जले इंसानों को छोड़कर एक जलने से बची किताब के इर्द-गिर्द रिपोर्टिंग करते रहे। और अब तमाम लोग मेरी संवेदनशीलता पर सवाल उठा रहे हैं और फिर से वही राग अलाप रहे हैं कि चुप रहो... देश संकट में है अभी चुप रहो... जबकि सच ये है कि जबसे ये लोग सत्ता में आए हैं, देश तभी से संकट में ही है।'

प्लेन क्रैश का सवाल पूछने पर मेरी संवेदनशीलता पर सवाल उठाने वाले भाजपाई मेरे उस प्लेन में न होने का दुःख व्यक्त कर रहे हैं। कह रहे हैं काश मैं भी उसी प्लेन में होती। विपक्ष के नेताओं के लिए भी उनके मन में यही भाव हैं। संवेदनशीलता का ऐसा ढोंग सबके वश की बात नहीं है।

नेहा मोदी सरकार से सवाल करती हैं, 'संवेदनशीलता चेक करनी हो तो जाकर सरकार और मोदीजी की संवेदनशीलता चेक कीजिए... जो पहलगाम हमले के तुरंत बाद बिहार में रैली करने चले गए थे... तो मेरा मुँह मत खुलवाइये... ये आपके चुप रहने का ही परिणाम है कि सरकार ने लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। जाइए पकड़िए कॉलर सरकार का... और हिसाब माँगिए।'

दुर्घटनाग्रस्त हुआ विमान सितंबर 2012 में एयर इंडिया के बेड़े में शामिल हुआ था... ऐसे में ये विमान लगभग 13 साल पुराना था। कारें 10 साल में रिटायर हो जाती हैं, लेकिन 12-13 साल पुराने विमानों में यात्री ढोये जा सकते हैं? क्यों? क्योंकि सरकार के लिए यात्रियों की जान से ज़्यादा मुनाफ़ा प्यारा है।

जब तक मौतें नहीं होती हैं, सरकार की नींद नहीं खुलती है। ख़राब विमानों में यात्री ढोए जा रहे हैं और सरकार चुनाव लड़ रही है यात्रियों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी अंतिम रूप से सरकार की होती है…तो विमान दुर्घटना के लिए सरकार ही जिम्मेदार हैंं देश के साथ हुई सबसे बड़ी दुर्घटना भाजपा का सत्ता में आना है... बाक़ी सारी दुर्घटनायें इसी का परिणाम हैं।

एयर इंडिया टाटा को दे दिया और अहमदाबाद एयरपोर्ट अडानी को दे दिया। अब देश को इस्तीफ़ा भी दे दीजिए।

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