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विमर्श

अमृतकाल के जश्न में डूबे देश में आर्थिक असमानता नहीं कोई मुद्दा, हरेक रिपोर्ट और संसद में मोदी सरकार ने पेश किया अलग-अलग आंकड़ा

Janjwar Desk
16 Aug 2024 6:04 AM GMT
अमृतकाल के जश्न में डूबे देश में आर्थिक असमानता नहीं कोई मुद्दा, हरेक रिपोर्ट और संसद में मोदी सरकार ने पेश किया अलग-अलग आंकड़ा
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मोदी सरकार के दौर में नीति आयोग कोई नीति नहीं बनाता, क्योंकि देश में हरेक नीति और योजना केवल प्रधानमंत्री मोदी के दिमाग से उपजती है। अलबत्ता नीति आयोग इन दिनों मोदी जी को खुश करने के लिए कई रिपोर्ट तैयार करता जा रहा है। किसी रिपोर्ट में 15 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आते हैं, फिर चार महीने बाद दूसरी रिपोर्ट में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आते हैं...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

GINI Index or Coefficient is a measure of economic inequality in society, but the government does not know its value. सरकारी रिपोर्टों में किस तरह से बिना किसी आकलन या आधार के ही अपनी मर्जी से आंकड़े भरे जाते हैं – इसके उदाहरण हरेक सरकारी रिपोर्ट में हैं। किसी भी एक विषय को देखिये, उससे सम्बंधित आपको हरेक रिपोर्ट या विज्ञप्ति में अलग आंकड़े नजर आयेंगे। संभव है कि इनमें से कोई भी आंकड़ा सही न हो। हम आर्थिक असमानता से सम्बंधित आंकड़े की पड़ताल करते हैं, क्योंकि सरकार के तमाम दावों के विपरीत इस समस्या से सभी जूझ रहे है और यह समस्या बढ़ती जा रही है।

पूरी दुनिया में आर्थिक असमानता को मापने का तरीका गिनी इंडेक्स या गिनी कोएफ़िसिअंट है। यह पैमाना 0 से 1 तक चलता है – 0 यानि कोई असमानता नहीं और 1 का मतलब है पूरी असमानता। वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड पापुलेशन रिव्यू – दोनों की वेबसाइट पर दुनिया के विभिन्न देशों का गिनी इंडेक्स देखा जा सकता है। इसके अनुसार आर्थिक समानता के सन्दर्भ में सबसे बेहतर प्रदर्शन नॉर्वे का है और यहाँ गिनी इंडेक्स 0.227 है। इसी तरह आर्थिक समानता के सन्दर्भ में सबसे खराब प्रदर्शन गिनी इंडेक्स पर 0.63 अंक के साथ साउथ अफ्रीका का है। जाहिर है, दुनिया के भारत समेत शेष देशों का गिनी इंडेक्स 0.227 से शुरू होकर 0.63 के बीच है। इसमें भारत का इंडेक्स 0.342 है।

मोदी सरकार के दौर में नीति आयोग कोई नीति नहीं बनाता, क्योंकि देश में हरेक नीति और योजना केवल प्रधानमंत्री मोदी के दिमाग से उपजती है। अलबत्ता नीति आयोग इन दिनों मोदी जी को खुश करने के लिए कई रिपोर्ट तैयार करता जा रहा है। किसी रिपोर्ट में 15 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आते हैं, फिर चार महीने बाद दूसरी रिपोर्ट में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आते हैं, किसी में शहरी और ग्रामीण असमानता कम होने लगती है तो किसी रिपोर्ट में लोगों की क्रय क्षमता बढ़ जाती है। नीति आयोग की ऐसी ही एक रिपोर्ट है – एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2023-2024। एसडीजी को सतत विकास लक्ष्य कहा जाता है और यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित है। सतत विकास लक्ष्य में लक्ष्य 10 असमानता घटाने से सम्बंधित है और 10.1 में कहा गया है कि समाज के आर्थिक तौर पर सबसे कमजोर आबादी का विकास वर्ष 2030 तक राष्ट्रीय औसत दर की तुलना में अधिक तेजी से किया जाना चाहिए।

इस रिपोर्ट के पृष्ठ संख्या 150 से 153 तक बताया गया है कि भारत का औसत गिनी इंडेक्स 0.2 है और दिल्ली में तो यह 0.08 ही है। यह एक हास्यास्पद और आधारहीन आंकड़ा है क्योंकि दुनिया के देशों में 0.227 के साथ नॉर्वे सबसे आगे है। इन आंकड़ों की बाजीगरी यहीं ख़त्म नहीं होती। प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो द्वारा 8 जनवरी 2024 को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार देश में आर्थिक असमानता घटती जा रही है – वर्ष 2014-2015 में गिनी इंडेक्स 0.472 था जो वर्ष 2022-2023 में घटकर 0.402 रह गया।

लोकसभा में 5 फरवरी 2024 को आर्थिक असमानता से सम्बंधित एक जवाब में वित्त मंत्रालय ने जो जवाब दिया, वह बीजेपी सरकार के खोखलापन को दर्शाता है। वर्ष 2024 में पूछे गए प्रश्न के जवाब में वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2004-2005 और वर्ष 2011-2012 के गिनी इंडेक्स को प्रस्तुत किया है। जवाब के अनुसार वर्ष 2004-2005 में ग्रामीण क्षेत्रों में गिनी इंडेक्स 0.27 था जो वर्ष 2011-2012 में बढ़कर 0.28 हो गया। इसी तरह शहरी क्षेत्रों में वर्ष 2004-2005 और 2011-2012 में गिनी इंडेक्स क्रमशः 0.35 और 0.37 था।

भारत सरकार के नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस द्वारा जून 2024 में प्रकाशित रिपोर्ट, पारिवारिक उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-2023 में भी गिनी इंडेक्स की चर्चा है। इसके अनुसार वर्ष 2011-2012 और 2022-2023 में ग्रामीण क्षेत्रों में गिनी इंडेक्स क्रमशः 0.283 और 0.266 था, जबकि शहरी क्षेत्रों में क्रमशः 0.363 और 0.314 था।

इन आंकड़ों से इतना तो स्पष्ट है कि हमारे देश की आर्थिक असमानता की कोई सटीक जानकारी केंद्र सरकार के पास नहीं है – हरेक रिपोर्ट या फिर संसद में दिए गए जवाबों में अलग-अलग संख्या बताई गयी है। आश्चर्य यह है कि इस सम्बन्ध में विपक्ष ने भी कभी प्रश्न नहीं उठाये। अमृतकाल के जश्न में डूबे देश में आर्थिक असमानता कोई मुद्दा ही नहीं है।

संदर्भ:

1. https://worldpopulationreview.com/country-rankings/gini-coefficient-by-country

2. SDG India Index 2023-2024, NITI Aayog, sdgIndiaIndex.niti.gov.in

3. https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1994259

4. https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/1715/AU390.pdf?source=pqals

5. https://www.mospi.gov.in/sites/default/files/publication_reports/Report_591_HCES_2022-23New.pdf

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