सबसे ज्यादा मानवाधिकार हनन मजदूरों का, छीनी जा रही उनसे हर तरह की आजादी
file photo
वैश्विक स्तर पर मानवाधिकार हनन की नई विवेचना के बारे में बता रहे हैं महेंद्र पाण्डेय
There is some progress in some human rights at global level while all other rights are deteriorating : वैश्विक स्तर पर प्रजातंत्र विलुप्त होता जा रहा है और इसके साथ ही सत्ता द्वारा जनता के मानवाधिकार के हनन की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार के आकलन के लिए 72 मान्य अधिकार हैं, और जब भी हम कहीं मानवाधिकार हनन की बात करते हैं तो यह मानकर करते हैं कि सभी 72 अधिकारों का हनन किया जा रहा होगा, पर पहली बार एक नई रिपोर्ट में यह स्पष्ट तौर पर बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर कुछ मानवाधिकार में सुधार देखा जा रहा है, पर दूसरे अधिकारों को जनता से छीना जा रहा है। सीआईराइट्स 2022 रिपोर्ट (CIRIGHTS 2022 Report) अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ रोड़े आइलैंड के सेंटर फॉर नॉन-वायलेंस एंड पीस स्टडीज ने प्रकाशित किया है।
इस रिपोर्ट में वर्ष 2000 से 2019 के बीच देशों में मानवाधिकार में बदलाव का आकलन किया गया है। इसके अनुसार वैश्विक स्तर पर श्रमिकों के न्यूनतम वेतन, मानव तस्करी, न्याय के लिए सभी के सुनवाई, महिलाओं के राजनीतिक अधिकार, देश के भीतर और विदेशों में आवागमन, राजनैतिक कैदियों और सजा के दौरान दी जाने वाली यातनाओं में कुछ सुधार देखा गया है।
दूसरी तरफ श्रमिकों द्वारा किये जाने वाले काम की अवधि, काम के दौरान स्वास्थ्य और सुरक्षा, बच्चों के अधिकार, जबरन श्रम, श्रमिकों द्वारा यूनियन बनाने का अधिकार, श्रमिक यूनियन और मालिकों के बीच वार्ता, महिलाओं के आर्थिक अधिकारों, निष्पक्ष न्याय प्रणाली, स्वैच्छिक मतदान, आन्दोलन का अधिकार, धार्मिक आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी, पुलिस द्वारा हत्या सत्ता द्वारा विरोधियों को गायब कर देना और सत्ता के इशारे पर पुलिस की क्रूरता जैसे मामलों में वैश्विक स्तर पर मानवाधिकार का हनन व्यापक होता जा रहा है।
इस रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में महिलाओं के आर्थिक अधिकार, सत्ता का विरोध और प्रजातंत्र से जुड़े अधिकारों का व्यापक हनन किया जा रहा है। न्यूनतम मजदूरी या वेतन को छोड़कर आर्थिक आजादी के हरेक अधिकारों में दुनिया पिछड़ रही है। सबसे बुरी स्थिति में श्रमिकों के स्थिति है क्योंकि उनके इकट्ठा होने की, यूनियन बनाने की और अपनी मांगों को मालिकों के सामने रखने की आजादी पूरे दुनिया में छीनी जा रही है।
इस रिपोर्ट के अनुसार 25 प्रमुख मानवाधिकारों के आधार पर सबसे बेहतर काम करने वाले देशों में कनाडा सबसे अग्रणी है, और इसके बाद क्रम से स्वीडन, न्यूज़ीलैण्ड, नोर्वे, पुर्तगाल, फ़िनलैंड, आइसलैंड, लक्सेमबर्ग, मोनाको, सैंट किट्ट्स और सैन मरीनो का स्थान है। शुरू के देशों में एशिया का कोई देश नहीं है। मानवाधिकार के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन ईरान का है, इससे पहले के देश क्रम से हैं – सीरिया, उत्तरी कोरिया, चीन, इराक, बुरुंडी, सोमालिया, यमन, पाकिस्तान, सऊदी अरब और ईजिप्ट।
रिपोर्ट में दुनिया के सभी देशों के बारे में प्रकाशित नहीं किया गया है, पर अगले वर्ष से मानवाधिकार पर वार्षिक रिपोर्ट और हरेक देश के स्थिति की समीक्षा प्रकाशित करने की योजना है। विभिन्न देशों के मानवाधिकार के आंकड़े अमेरिका के गृह विभाग से, संयुक्त राष्ट्र से और एमनेस्टी इन्टरनेशनल से लिए गए हैं और हरेक अधिकार को एक संख्या दी गयी है, जिससे मानवाधिकार को 0 से 100 अंकों के बीच निर्धारित किया जा सके। इस पैमाने से सबसे आगे के देश कनाडा को 96 अंक और सबसे पीछे के देश ईरान को 2 अंक मिले हैं।
इस रिपोर्ट के प्रकाशकों के अनुसार दुनियाभर में जनता से मानवाधिकार छिनता जा रहा है, और प्रजातंत्र का दायरा सिकुड़ता जा रहा है। मानवाधिकार की स्थिति पर व्यापक जानकारी भी किसी एक जगह पर उपलब्ध नहीं है, जिससे जनता और सत्ता इसकी स्थिति की समीक्षा कर सकें। इस कमी को पूरा करने के लिए अब इन सभी जानकारियों के साथ ही मानवाधिकार का विस्तृत आकलन जनता को उपलब्ध कराया जाएगा। प्रकाशकों के अनुसार कुछ मामलों में मानवाधिकार की स्थिति अच्छी होती जा रही है, और ऐसे मामलों को उजागर करने की आवश्यकता है।