MP News : BJP नेताओं के आशीर्वाद से भ्रष्टाचार के आरोपी लक्ष्मण सिंह सारस को मुख्य नगरपालिका अधिकारी बनाये जाने पर उठ रहे सवाल
मनीष भट्ट मनु की टिप्पणी
MP News : अक्सर ही लोगों को यह कहते हुए पाया जाता है कि नेताओं की कथनी और करनी में अंतर होता है। यह कितना सच और कितना झूठ है इस बारे में या तो नेता ही बता सकते हैं अथवा वह लोग जिन्होंने इसको चरितार्थ होते हुए देखा है। मगर मध्य प्रदेश के शिवराज की बात की जाए तो बालाघाट जिले की मलाजखंड नगर पालिका परिषद में इन दिनों जो हो रहा है वह मुख्यमंत्री की बातों और दावों को प्रशासन की करनी के विपरीत ही साबित कर रहा है।
जहां एक ओर मुख्यमंत्री विभिन्न मंचों से भ्रष्टाचार मिटाने और आदिवासी सशक्तिकरण के बातें करते नजर आते हैं, वहीं प्रशासन ने मुख्य नगरपालिका अधिकारी के पद पर लक्ष्मण सिंह सारस नामक एक ऐसे व्यक्ति को पुनः पदस्थ कर दिया है जिसके विरुद्ध नगर पालिका परिषद के तत्कालीन प्रशासक और अनुविभागीय अधिकारी बैहर जिला बालाघाट ने भुगतान को लेकर बरती गई अनियमितता के चलते कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया था।
लक्ष्मण सिंह सारस के पूर्ववर्ती कार्यकाल में मुख्य नगर पालिका अधिकारी मलाजखंड रहते हुए शासकीय कोष के दुरुपयोग को लेकर कई अन्य गंभीर आरोप भी लग चुके हैं। इनमें से कई को लेकर लोकायुक्त संगठन की विशेष पुलिस स्थापना और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ, मध्य प्रदेश में प्रारंभिक जांच लंबित हैं।
बताते चलें कि मलाजखंड बैहर विकासखंड में आता है जो शासकीय अभिलेख अनुसार आदिवासी बहुल है। नगर पालिका परिषद में भी निर्वाचित पार्षदों की बड़ी संख्या आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व करती है। इनमें से अधिकांश लक्ष्मण सिंह सारस के पूर्ववर्ती कार्यकाल में भ्रष्टाचार के अनेक आरोप लगने और लोकायुक्त तथा आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में प्रारंभिक जांच लंबित होने के बाद भी उनकी पदस्थापना पुनः किए जाने से नाराज हैं।
नगर पालिका परिषद मलाजखंड के विशेष सम्मेलन दिनांक तीन फरवरी 2023 को प्रस्ताव पारित कर सारस को कार्यभार ग्रहण नहीं करवाए जाने का प्रस्ताव तक पारित किया जा चुका है। यही नहीं सारस के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाए जाने के लिए भी थाना मलाजखंड में एक लिखित आवेदन दिया गया है। क्षेत्र की जनता भी लक्ष्मण सारस की पुनः पदस्थापना के विरोध में है और नौ फरवरी को संयुक्त तौर पर स्वतः सभी के द्वारा मलाजखंड बंद रखा गया था।
हैरत इस बात पर भी है कि 5 मई 2022 को श्री सारस का स्थानांतरण बतौर मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर पालिका परिषद सिहोरा जिला जबलपुर किया जाकर उन्हें निर्देशित किया गया था कि वे अनिवार्य रूप से दिनांक 10 जून तक अपना कार्यभार ग्रहण करेंगे। मगर, मध्य प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर हुए इस तबादले को भी उनके द्वारा मान्य नहीं किया गया, जो स्पष्टतः सिविल सेवा आचरण के स्थापित सिद्धांतों का उल्लंघन है। मगर इसके बाद भी उनके विरुद्ध विभाग अथवा शासन द्वारा कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की जाकर दिनांक 20 जून 2022 को विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी - सह आयुक्त एवं पदेन प्रमुख सचिव के हस्ताक्षर से जारी एक आदेष के द्वारा एकतरफा कार्यमुक्त कर दिनांक 21 जून 2022 तक नवीन पदस्थापना में अपनी उपस्थिति दर्ज न करवाने पर सख्त अनुशासनात्मक कार्यवाही किए जाने का लेख किया जाकर रस्म अदायगी भर कर दी गई।
हैरत की बात यह भी है कि सारस के विरोध तथा पूर्व में मुख्य नगर पालिका अधिकारी, मलाजखंड में पदस्थ रहते हुए कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर मोर्चा खोलने वालों में मध्य प्रदेष में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के ही सदस्य शामिल हैं। सारस को पुनः मलाजखंड में पदस्थापित करने की मुखालफत में मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, मुख्य सचिव, विभाग के प्रमुख सचिव को शिकायती पत्र प्रेषित करने वालों में शामिल जयपाल ब्रम्हे भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के पूर्व जिला मंत्री रह चुके हैं।
जयपाल ब्रम्हे पूर्व में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, लोकायुक्त संगठन, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ को शपथ पत्र पर सारस और अन्य के विरुद्ध भ्रष्टाचार की बाबत शिकायत कर चुके थे। इसी प्रकार संजय कुमार जैसवार ने जिला कार्यसमिति सदस्य भाजपा बालाघाट के लैटरहेड पर सारस के विरुध मुख्य सचिव को पत्र लिखा था। ब्रम्हे आशंका जतलाते हैं कि लक्ष्मण सिंह सारस को मुख्य नगरपालिका अधिकारी, नगर पालिका परिषद मलाजखंड के पद पर पुनः इसलिए पदस्थ किया गया है कि भ्रष्टाचार से संबंधित सभी सबूत मिटाए जाकर दस्तावेजों को खुर्द बुर्द किया जा सके।
वे इस बात पर कुछ भी कहने से बचते हैं कि क्या सारस को बालाघाट जिला के बड़े और प्रभावी भाजपा नेताओं का वरदहस्त प्राप्त हो सकता है? ब्रम्हे इतना जरूर कहते हैं कि सारस ही नहीं नगरपालिका परिषद में कई अन्य ऐसे कर्मचारी भी है जिनके विरुद्ध फर्जी जाति प्रमाणपत्र और भ्रष्टाचार सहित अनेकों गंभीर आरोप हैं, मगर आज तक उनमें से किसी की भी जांच नहीं हुई है। शपथ पत्र पर की गई शिकायतों का हवाला देते हुए वे बतलाते हैं कि तत्कालीन प्रशासक और और अनुविभागीय अधिकारी बैहर जिला बालाघाट द्वारा डोर टू डोर कचरा कलेक्षन में न केवल सारस वरन सहायक यंत्री मुकेश सोलंकी, उपयंत्री तथा तत्कालीन नोडल अधिकारी हिमांशी बैस एवं सहायक ग्रेड दो अनिल कुमार डेहरिया को भी कारण बताओ नोटिस तारी किया गया था, मगर आज तक वे सभी बरकरार हैं। वे आगे जोड़ते हैं कि मुकेश सोलंकी के भाई विजय सोलंकी जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं पर भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर नौकरी करने सहित कई गंभीर आरोप थे मगर कोई भी जांच नहीं की गई।
जयपाल ब्रम्हे द्वारा उपलब्ध करवाए गए दस्तावेजों में नगर पालिका परिषद मलाजखंड द्वारा संयुक्त संचालक, नगरीय प्रशासन एवं विकास को भेजे गए प्रतिवेदन में कुल 14 बिंदुओं पर अनियमितता होने का कथन किया गया है, मगर आज तक दोषियों के विरुद्ध कोई भी प्रभावी कार्यवाही नहीं की गई है।
लक्ष्मण सिंह सारस का कांग्रेस कनेक्शन
जयपाल ब्रम्हे का आरोप है कि कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर डिंडौरी नगर परिषद की अध्यक्ष बनीं सुनीता सारस लक्ष्मण सिंह सारस की पत्नी हैं। इसके चलते कांग्रेस का कोई भी बड़ा नेता इस विषय पर कुछ भी बोलने से बच रहा है।
बहरहाल हकीकत चाहे जो भी हो, मलाजखंड की बहुसंख्यक आबादी भ्रष्टाचार के आरोपी लक्ष्मण सिंह सारस को पुनः मुख्य नगरपालिका अधिकारी पदस्थ किए जाने से नाराज है। मगर विकास यात्रा निकाल अपनी उपलब्धियों का ढोल पीटने वाली मध्य प्रदेश सरकार और उसके जिम्मेदार अधिकारियों का यह दिखाई नहीं दे रहा। शायद मुख्यमंत्री की भी कथनी और करनी में ही अंतर है या फिर नौकरशाही की लगाम उनके हाथों में नहीं है।