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विमर्श

World Press Freedom index: पत्रकारों के दमन के सन्दर्भ में पाकिस्तान जैसा ही है भारत

Janjwar Desk
3 Feb 2022 1:35 PM GMT
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World Press Freedom index: तथाकथित न्यू इंडिया के सरकारी नगाड़े की थापों के बीच अमृत काल में प्रवेश करते ही एक नई रिपोर्ट देश में निष्पक्ष मीडिया और जुझारू पत्रकारों पर बढ़ाते खतरों की और इशारा करती है|

महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट

World Press Freedom index: तथाकथित न्यू इंडिया के सरकारी नगाड़े की थापों के बीच अमृत काल में प्रवेश करते ही एक नई रिपोर्ट देश में निष्पक्ष मीडिया और जुझारू पत्रकारों पर बढ़ाते खतरों की और इशारा करती है| इस रिपोर्ट को नई दिल्ली स्थित मानवाधिकार संस्था – राइट्स एंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप (Rights & Risks Analysis Group) – ने प्रस्तुत किया है, और रिपोर्ट का नाम है, इंडिया प्रेस फ्रीडम रिपोर्ट 2021 (India Press Freedom Report 2021)| इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में 6 पत्रकार मारे गए, 108 पत्रकारों पर हमले किये गए और 13 मीडिया संस्थानों या समाचार पत्रों को निशाना बनाया गया| निष्पक्ष पत्रकारों के लिए प्रशासन या पुलिस द्वारा की जाने वाली कार्यवाही के सन्दर्भ में सबसे खतरनाक जम्मू और कश्मीर क्षेत्र है, जबकि भीड़ द्वारा उत्पीडन के सन्दर्भ में उत्तर-पूर्वी राज्य त्रिपुरा सबसे खतरनाक है|

इस रिपोर्ट से ठीक दो दिन पहले कौंसिल ऑफ़ पाकिस्तान न्यूज़पेपर्स एडिटर्स (Council of Pakistan Newspapers Editors) की तरफ से – पाकिस्तान मीडिया फ्रीडम रिपोर्ट 2021 (Pakistan Press Freedom Report 2021) - प्रकाशित की गयी थी| इसके अनुसार पाकिस्तान में अभिव्यक्ति की आजादी पर सरकारी पहरे लागातार बढ़ाते जा रहे हैं और अब वहां स्वतंत्र मीडिया को अस्तित्व बचाना कठिन होता जा रहा है| पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज के अध्यक्ष शेहबाज़ शरीफ (Shehbaz Sharif of Pakistan Muslim League Nawaz) ने इस रिपोर्ट के लिए कहा है कि यह इमरान सरकार के विरुद्ध एक और चार्जशीट है और यह सरकार कितनी फासिस्ट है उसका उदाहरण भी| पाकिस्तान में पत्रकारों पर जानलेवा हमले और मुकदमे लगातार बढ़ते जा रहे हैं| पाकिस्तान में पिछले वर्ष 5 पत्रकारों की ह्त्या कर दी गयी, 9 पत्रकारों की स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में कोविड 19 से मृत्यु हो गयी और सरकारी उत्पीडन से तंग आकर 2 पत्रकारों ने आत्महत्या कर ली| रिपोर्ट के अनुसार पत्रकारों पर लगातार हमले किये जा रहे हैं, पर आज तक एक भी मामले में हमलावरों को कोई सजा नहीं दी गयी है| पाकिस्तान में प्रेस की सेंसरशिप चरम पर है और सोशल मीडिया पर 19000 से अधिक लोगों का अकाउंट बंद करा दिया गया है, जिसमें अधिकतर पत्रकार हैं|

राइट्स एंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप के निदेशक सुहास चकमा (Suhas Chakma) के अनुसार आंकड़ों से जाहिर है कि कश्मीर से लेकर त्रिपुरा तक पूरा देश ही निष्पक्ष पत्रकारों के लिए खतरनाक हो गया है और यह जाहिर करता है कि देश में अभिव्यक्ति की आजादी को किस तरह से कैद कर दिया गया है| पिछले वर्ष सरकार द्वारा थोपा गया नया आईटी रूल्स 2021 इसका जीता जागता उदाहरण है| देश में विशेष तौर पर कश्मीर में निष्पक्ष सूचना के प्रसार को पूरी तरह रोक दिया गया है, और निष्पक्ष पत्रकारों का अधिक तर समय पुलिस द्वारा की जाने वाली पूछताछ या प्रशासन द्वारा लगाई जाने वाली पाबंदियों से जूझने में ही निकल जाता है| अनेक राज्य निष्पक्ष पत्रकारों को लगातार देशद्रोह और आतंकियों पर लगाए जाने वाले कानूनों से धमकाते हैं|

रिपोर्ट के अनुसार पत्रकारों पर हमलों या पाबंदियों के मामले में बड़े राज्यों में सबसे ऊपर प्रधानमंत्री मोदी का पसंदीदा राज्य उत्तर प्रदेश है| इस रिपोर्ट के अनुसार देश में पिछले वर्ष 108 पत्रकारों पर हमले किये गए – जम्मू और कश्मीर में 25, उत्तर प्रदेश में 2, मध्य प्रदेश में 16, त्रिपुरा में 15, दिल्ली में 8, बिहार में 6, असम में 5, हरियाणा में 4, महाराष्ट्र में 4, गोवा और मणिपुर में 3-3, कर्नाटक, तमिलनाडू और वेस्ट बंगाल में 2-2 और आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और केरल में 1-1 हमले किये गए| पिछले वर्ष कुल 44 पत्रकारों पर ऍफ़आईआर दर्ज की गयी, और 17 पत्रकारों को जेल भेजा गया| पत्रकारों को कैद करने के मामले में सबसे आगे जम्मू और कश्मीर है जहां 5 पत्रकारों को सलाखों के पीछे भेजा गया, इसके बाद दिल्ली में 3, महाराष्ट्र, मणिपुर और त्रिपुरा में 2-2 पत्रकारों को और असम, छत्तीसगढ़ और हरियाणा में 1-1 पत्रकार को जेल भेजा गया|

कुल 24 पत्रकारों को अपने कार्य के दौरान शारीरिक तौर पर प्रताड़ित किया गया, जिसमें से 17 पत्रकारों के साथ पुलिस ने रिपोर्टिंग के दौरान प्रताड़ित किया| कुछ मीडिया घरानों और समाचारपत्रों पर सरकार की नीतियों के विरुद्ध समाचार प्रकाशित करने के बाद एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट और इनकम टैक्स विभाग की आकस्मिक जांच का सामना भी करना पड़ा| कुल 8 महिला पत्रकारों को लैंगिक उत्पीडन, ऍफ़आईआर, जेल या पुलिस द्वारा पूछताछ का सामना करना पड़ा| राइट्स एंड रिस्क्स एनालिसिस ग्रुप की यह रिपोर्ट रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा प्रस्तुत प्रेस फ्रीडम इंडेक्स की अगली कड़ी है, जिसके अनुसार दुनिया के 160 देशों में हम 142वें स्थान पर हैं और पत्रकारों के लिए दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में शामिल हैं|

हम इतिहास के उस दौर में खड़े हैं जहां मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी के सन्दर्भ में हम पाकिस्तान को आदर्श मान कर उसकी नक़ल कर रहे हैं और स्वघोषित विश्वगुरु का डंका पीट रहे हैं| रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने भी अपने प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में इन दोनों पड़ोसियों को पड़ोसी ही रखा है – 160 देशों के इंडेक्स में भारत 142वें स्थान पर और पाकिस्तान 145वें स्थान पर है|

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