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नेपाल में एक बार फिर गहरा रहा राजनीतिक संकट, नेपाल की राष्ट्रपति के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में 25 याचिकाओं से मिली चुनौती

Janjwar Desk
24 May 2021 3:45 AM GMT
नेपाल में एक बार फिर गहरा रहा राजनीतिक संकट, नेपाल की राष्ट्रपति के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में 25 याचिकाओं से मिली चुनौती
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नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी 

राष्ट्रपति कार्यालय ने दलील दी है- ना तो प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली केयरटेकर सरकार और ना ही विपक्ष यह साबित कर पाया कि सरकार बनाने के लिए उनके पास बहुमत है।

जनज्वार ब्यूरो, नई दिल्ली। विगत 22 मई को नेपाल की राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने नेपाल की संसद को भंग कर दिया है। इसके साथ इसी साल नवंबर में मध्यावधि चुनाव कराने का फैसला किया है। राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार संसद को भंग संविधान के आर्टिकल 76(7) के अनुसार किया गया है।

राष्ट्रपति कार्यालय ने दलील दी थी कि ना तो प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली केयरटेकर सरकार और ना ही विपक्ष यह साबित कर पाया कि सरकार बनाने के लिए उनके पास बहुमत है।

इसी तरह का कदम राष्ट्रपति ने पिछले साल दिसंबर में भी उठाया था जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक करार दिया गया था।

आपको बता दें नेपाल भी इस समय कोरोना संकट का सामना कर रहा है, नेपाल में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कोरोना संकट के समय संसद को भंग किए जाने पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। नेपाल के प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने राष्ट्रपति के इस फैसले की आलोचना की है और उनके इस कदम को असंवैधानिक बताया।

राष्ट्रपति के निर्णय के विरोध में सभी विपक्षी दल साथ आये-

मख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस ने शनिवार को फैसला किया कि वह संसद भंग करने के राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ राजनीतिक और कानूनी लड़ाई लड़ेगी। विपक्षी दल ने केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी पर अपने लाभ के लिए संविधान का दुरुपयोग का आरोप लगाया है।

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली 10 मई को संसद में विश्वास मत नहीं जीत पाए थे जिसके बाद राष्ट्रपति ने विपक्ष को 24 घंटे के अंदर विश्वास मत पेश करने का प्रस्ताव दिया था। नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउवा ने अपने लिए प्रधानमंत्री पद का दावा किया था और कहा था कि उनके पास 149 सांसदों का समर्थन है।

विपक्ष के अनुसार पीएम ओली ने नई सरकार के गठन का प्रस्ताव दिया था, राष्ट्रपति भंडारी ने 24 घंटे में नई सरकार के गठन के लिए विश्वास मत पेश करने को कहा और प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं किया। संविधान के प्रावधान के अनुसार आधी रात में कैबिनेट की बैठक के बाद संसद भंग करना असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी है।

विपक्ष ने लामबंद होकर शुरू किया विरोध प्रदर्शन,

इस बीच नेपाली कांग्रेस, सीपीएन माओवादी केंद्र, सीपीएन यूएमएल माधव का नेपाल धड़ा और समाजवादी पार्टी नेपाल के उपेंद्र यादव धड़े के नेताओं ने शनिवार को संसद भवन में मुलाकात की और राष्ट्रपति के निर्णय का विरोध करने का फैसला लिया। उन्होंने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के संसद भंग कर जल्दी चुनाव कराने की कोशिश खिलाफ कानूनी लड़ाई व विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है।

एक दिन में सुप्रीम कोर्ट में 25 याचिकाएं दाखिल

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी और प्राइम मिनिस्टर केपी शर्मा ओली द्वारा उठाए गए कदम के खिलाफ 25 से अधिक याचिकाएं नेपाल सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जा चुकी हैं।

विपक्षी दलों ने कल रविवार दोपहर के बाद ललितपुर के पाटन मल्टीपल कैंपस के सामने प्रधानमंत्री के पी ओली व राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी का पुतला फूंका। नेपाली कांग्रेस की स्टूडेंट विंग ने राष्ट्रपति भवन के सामने धरना प्रदर्शन किया। धरने से पहले राष्ट्रपति भवन पर नेपाली कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के फोटो पर गाय का गोबर लीप कर विरोध जताया।

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