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राजनीति

चीन, नेपाल से ​बिगड़ने के बाद अब भूटान ने रोका पानी, असम में किसान कर रहे आंदोलन

Janjwar Desk
26 Jun 2020 8:00 AM IST
चीन, नेपाल से ​बिगड़ने के बाद अब भूटान ने रोका पानी, असम में किसान कर रहे आंदोलन
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नेपाल और चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बीच अब भूटान ने भी रोका भारत का पानी, 25 गांवों के किसानों के सामने खड़ा हुआ संकट....

जनज्वार ब्यूरो। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ चल रहे तनाव के एक और पड़ौसी देश भूटान ने अब असम के नजदीक अपनी सीमा से भारतीय किसानों के लिए चैनल का पानी छोड़ना बंद कर दिया है। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक, भूटान के बक्सा जिले में किसान एक मानव निर्मित सिंचाई चैनल के माध्यम से बहने वाले पानी का उपयोग कर हैं जिसे 1953 से भारतीय इलाके में धान उगाने के लिए 'डोंग' के रूप में जाना जाता है।

भूटान की सरकार के इस फैसले के बाद 25 गांवों के लिए समस्या खड़ी हो गई है जिन्होंने गुरूवार को विरोध प्रदर्शन किया। आंदोलनकारी किसानों ने कालीपुर-बोगाजुली-कलानदी आंचलिक डोंग बांध समिति के बैनर तले प्रदर्शन में भाग लिया और मांग की कि केंद्र को भूटान सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाना चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए। हालांकि, भूटानी सरकार का कहना है कि यह कदम देश में चल रहे COVID-19 महामारी से निपटने के उपाय के रूप में उठाया गया है।

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में विदेशी नागरिकों का प्रवेश वर्जित है, इसलिए चैनल से पानी लेने वाले किसानों को इसकी अनुमति से वंचित कर दिया गया है। विरोध में किसानों ने कहा कि यदि सभी अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है तो डोंग पर पानी डाला जा सकता है। केंद्र या राज्य सरकार ने अभी इस मामले कोई टिप्पणी नहीं की है।

यह मामला ऐसे समय में आया है जब भारत अपने पड़ोसी नेपाल के साथ भी सीमा के मुद्दे का सामना कर रहा है। नेपाल ने अपने नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी, लिम्पियाधुरा पर दावा किया है जो कि भारत के अधिकार क्षेत्र में है और इसे अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताया है।

भारत ने जब कैलाश मानसरोवर के लिए लिंक रोड के रूप में उत्तराखंड के धारचूला के साथ लिपुलेख पास को जोड़ने वाली 80 किलोमीटर की रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सड़क का उद्घाटन किया, तो इस पर आपत्ति जताई गई थी। हालत यहां तक पहुंच गई है कि नेपाल का मीडिया अब इन तीनों जगहों का मौसम भी बताने लगा है। इससे दोनों देशों के बीच संबंधों में गिरावट आई है।

इसी तरह पाकिस्तान के साथ भी भारत के संबंधों में लगातार गिरावट आई है। पुलवामा हमले के बाद जब भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की तो दोनों देशों के संबंधों के बीच बड़ी दरार आ गयी। इसके बाद जब भारत ने जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रित शासित राज्यों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में विभाजित कर दिया तो इससे दोनों देशों के बीच तल्खी और बढ़ गयी। वहीं हाल के घटनाक्रम की ओर देखें तो दोनों देश एक दूसरे के दूतावासों पर आरोप लगा रहे हैं।

भारत सरकार ने हाल ही में नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास के दो अधिकारियों पर जासूसी का आरोप लगाया था। इसके बाद पाकिस्तान ने दो अधिकारियों को कई घंटों तक के लिए गायब कर दिया। यहीं नहीं अधिकारियों पर हिट एंड रन का आरोप भी लगा दिया।

वहीं इस बीच भारत सरकार ने वियना संधि का हवाला देकर पाकिस्तान के साथ डिप्लोमेटिक रिलेशंस को डाउनग्रेड कर किया है और नई दिल्ली में पाकिस्तानी दूतावास के दर्जनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया। वहीं इस्लामाबाद में भारतीय दूतावास के भी 50 प्रतिशत अधिकारियों को कम करने का फैसला किया गया है।

उधर तीसरी तरफ चीन के साथ गलवान घाटी में तनाव जारी है। गुरूवार को खबरें सामने आयीं कि चीन गलवान घाटी में लगातार अपनी सेना बिल्ड-अप कर रहा है। दरअसल चीन की सेना अब उन पॉइंट्स पर कब्जा कर चुकी है जिनपर कभी भारतीय सेना पेट्रोलिंग किया करती थी। इस बीच दोनों देशों की सेनाओं में खूनी संघर्ष शुरू हुआ तो भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए, वहीं चीन के भी कई सैनिकों के मारे जाने की खबरें सामने आयीं।

वहीं बात बांग्लादेश की करें तो वहां भी भारत के साथ माहौल अच्छा नहीं है। बांग्लादेश एक और जहां सीएए-एनआरसी को लेकर चिंतित है, वहीं देश में भारत विरोधी भावनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। बीते कुछ महीनों पहले बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी को आमंत्रित किया गया था लेकिन वहां के लोगों बांग्लादेश सरकार के इस फैसले के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।

दरअसल उसी दौरान राजधानी दिल्ली में दंगे हुए थे जिसे वहां के लोग मुस्लिमों के साथ अत्याचार के रूप में देख रहे थे। दिल्ली दंगों को लेकर भी उन्होंने भारत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए। हालांकि प्रधानमंत्री कोरोना महामारी का हवाला देकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश नहीं गए थे और भारत से ही बांग्लादेश को संबोधित किया था।

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