महिलाओं को वाचाल कहना जापान के ओलिंपिक कमेटी अध्यक्ष योशिरो मोरी को पड़ा भारी, देना पड़ा इस्तीफा
वरिष्ठ लेखक महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
जनज्वार। जापान में आयोजित किये जाने वाले टोक्यो ओलंपिक्स को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। सबसे पहले इसे कोविड 19 के कारण एक वर्ष आगे बढ़ाना पड़ा और अभी भी यह पूरी तरीके से निश्चित नहीं है कि यह आयोजन इस वर्ष भी होंगे या नहीं।
लगभग 80 प्रतिशत जापानी नागरिक कोविड 19 के सन्दर्भ में इसे सुपर-स्प्रेडर इवेंट मानते हैं और इसके आयोजन के पक्ष में नहीं हैं। अभी, दो दिन पहले इसकी आयोजन समिति के अध्यक्ष और जापान के भूतपूर्व राष्ट्रपति योशिरो मोरी को अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा है।
मोरी ने कुछ दिनों पहले ही एक मीटिंग के दौरान वक्तव्य दिया था, "महिलायें वाचाल होती हैं और मीटिंग में एक दूसरे से प्रतिद्वंद्विता करती हैं। मीटिंग में यदि एक महिला कुछ कहने के लिए खड़ी होती है, तो निश्चय सभी महिलाओं को कुछ न कुछ कहना होता है, इससे मीटिंग का समय बर्बाद होता है।"
मोरी के इस वक्तव्य के बाद उनका चौतरफा विरोध किया जाने लगा था, पहले तो उन्होंने माफी माँगी, पर इस्तीफे की मांग को ठुकरा दिया। बाद में इन्टरनॅशनल ओलिंपिक कमिटी और जापान सरकार के दबाव के कारण उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा। इस वक्तव्य के बाद से विरोध स्वरूप ओलम्पिक खेलों के लिए पंजीकृत लगभग 500 वालंटियर्स ने भी अपना नाम वापस ले लिए था।
यह खबर हमारे देश के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हमारे देश के नेता महिलाओं पर लगातार भद्दे, अश्लील और ओछे वक्तव्य देते रहते हैं, कई तो रेप की धमकी भी देते हैं, पर हमारा समाज किसी भी नेता से इस्तीफ़ा नहीं मांगता और न ही सरकार कोई कदम उठाती है। इन भद्दी और हिंसक टिप्पणियों को समाज स्वीकार कर चुका है और महिलायें अपनी नियति मान बैठी हैं।
पिछले वर्ष के जेंडर गैप इंडेक्स में कुल 153 देशों में भारत 112वें स्थान पर था। जापान इससे भी नीचे यानी 121वें स्थान पर है। इसके बाद भी जापान में एक अध्यक्ष को केवल इसलिए इस्तीफ़ा देना पड़ा क्योंकि उसने महिलाओं पर कोई अश्लील टिप्पणी नहीं की थी, बल्कि वाचाल कह दिया था। क्या हमारे देश की जनता और सरकार महिलाओं की इतनी इज्जत कर पायेगी?
जापान में योशिरो मोरी ओलिंपिक ओर्गानिसिंग समिति के स्थापित होने से अब तक अध्यक्ष रह चुके हैं और अब तक यही माना जा रहा था कि यदि उन्होंने अपना पद छोड़ा तो नए अध्यक्ष के लिए यह आयोजन सुचारू तरीके से करना कठिन होगा, फिर भी उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा। जापान सरकार किसी महिला को अगला अध्यक्ष पद देना चाहती है।
मोरी ने यह कारनामा ऐसे समय किया जब कि टोक्यो ओलिंपिक में लैंगिक समानता और विकलांग खिलाड़ियों के प्रोत्साहन की बात की जा रही है और इससे जुडी हरेक कमेटी में बहिलाओं की संख्या बढाने पर जोर दिया जा रहा है। इस समय टोक्यो ओलंपिक्स ओर्गानिसिंग कमेटी के कुल 25 सदस्यों में से 7 सदस्य महिलायें हैं।
जापान के विपक्षी सांसद रेन्हो ने मोरी के वक्तव्य पर कहा था कि उनका वक्तव्य ओलम्पिक की विचारधारा के ठीक उल्टा है, क्योंकि इन खेलों में लगातार बराबरी और एकता की बात की जाती है। ओर्गानिसिंग कमेटी की एक सदस्य, कोरी यामागुची ने भी अपने अध्यक्ष के वक्तव्य की भर्त्सना करते हुए कहा कि अध्यक्ष का यह वक्तव्य दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस वक्तव्य के बाद से जापान में ट्विटर पर "मोरी प्लीज रिजाइन" ट्रेंड करने लगा था। जुडो की चैम्पियन नोरिको मिज़ोगुची ने कहा था कि ओलम्पिक खेलों में महिलाओं के विरोध का कोई भी वक्तव्य का कोई स्थान नहीं है, और इसका पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए। युरिको कोइके टोक्यो की गवर्नर हैं और ये पहली महिला गवर्नर भी हैं।
इस वक्तव्य के बाद से और मोरी के इस्तीफ़ा देने के बीच उन्होंने ओलम्पिक खेलों के आयोजन से सम्बंधित सभी बैठकों का बहिष्कार किया था, और कहा था कि मोरी का वक्तव्य जापान की सभी महिलाओं का अपमान है। इस वक्तव्य के बाद जापान के क्योदो न्यूज़ एजेंसी द्वारा कराये गए एक सर्वेक्षण में 60 प्रतिशत लोगों ने मोरी को अध्यक्ष पद के लिए योग्य करार दिया था। टेनिस खिलाड़ी नाओमी ओसाका ने मोरी का वक्तव्य पर कहा था कि यह उनकी अज्ञानता को दर्शाता है।
मोरी को महिलाओं पर दिए गए एक वक्तव्य पर इस्तीफ़ा देना पड़ा, पर क्या भारत में जहां महिलाओं को देवी भी माना जाता है, किसी नेता को महिलाओं पर भद्दे वक्तव्य के कारण इस्तीफ़ा देने की नौबत आयेगी?