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क्या अफगानिस्तान में फिर पनपेगा यौन दासता का दौर, तालिबान ने मांगी 18 से 45 उम्र की लड़कियों महिलाओं की लिस्ट

Janjwar Desk
17 Aug 2021 7:42 AM GMT
क्या अफगानिस्तान में फिर पनपेगा यौन दासता का दौर, तालिबान ने मांगी 18 से 45 उम्र की लड़कियों महिलाओं की लिस्ट
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तालिबानी शाशन में अफगान की औरतों की हालत से दुनिया वाकिफ तो होगी ही. (photo - twitter)

इन महिलाओं को पाकिस्तान के वजीरिस्तान ले जाकर फिर से इस्लामी तालीम दी जाएगी। मानवाधिकार वादियों का कहना है कि अफगानिस्तान में महिलाओं को यौन दासता में धकेलने की इस तालिबानी कवायद से दुनिया को पहले की तरह नजरें नहीं फेरनी चाहिए....

जनज्वार। तालिबान (Taliban) की वापसी से महिलाएं सबसे ज्यादा खौफजदा हैं, क्योंकि बीते दिनों कुछ प्रांतों पर कब्जे के बाद से ही उसके नेताओं ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया था। उन्होंने जुलाई की शुरुआत में बदख्शां और तखर स्थानीय धार्मिक नेताओं को तालिबान लड़ाकों के साथ निकाह के लिए 15 साल से बड़ी लड़कियां और 45 साल से कम उम्र की विधवाओं की फेहरिस्त देने का हुक्म दिया था।

अगर यह निकाह हुए तो इन महिलाओं को पाकिस्तान के वजीरिस्तान ले जाकर फिर से इस्लामी तालीम दी जाएगी। मानवाधिकार वादियों का कहना है कि अफगानिस्तान (Afghanistan) में महिलाओं को यौन दासता में धकेलने की इस तालिबानी कवायद से दुनिया को पहले की तरह नजरें नहीं फेरनी चाहिए।

लड़कियों-महिलाओं को लेकर भाग रहे निवासी

मैकगिल यूनिवर्सिटी टोरंटो में विधि और मानवाधिकार की एसोसिएट प्रोफेसर वृंदा नारायण का कहना है काबुल (Kabul) पहुंचने से पहले ही इस तरह के तालिबानी आदेश ने देश की महिलाओं-बेटियों और उनके परिवारों में बड़ा गहरा खौफ पैदा कर दिया है। आलम यह है कि पिछले 3 महीनों में ही करीब 9 लाख लोग विस्थापित हुए हैं।

तालिबान का ताजा आदेश सख्त चेतावनी है, कि आने वाले दिनों में अफगानिस्तान का भविष्य क्या है। साथ ही 1996 से 2001 में जब वहां तालिबान का शाशन था उसकी यादें भी ताजा कराती है। जब महिलाओं के अधिकारों पर तरह-तरह के जुल्म किए गये। उन्हें शिक्षा से दूर रखा गया। बुर्का पहनने पर मजबूर किया गया तथा बिना पुरूष संरक्षक के बाहर आने-जाने पर पाबंदी लगा दी गई थी।

हाल ही में अफगानिस्तान फिल्म निर्देशक सहारा करीमी ने अपनी एक चिट्ठी इसी तरह की बात का जिक्र किया है। जिसमें कहा गया है, 'जब तालिबान सत्ता में था, तब स्कूल जाने वाली लड़कियों की संख्या शून्य थी। तब से, स्कूल में 9 मिलियन से अधिक अफगान लड़कियां हैं। तालिबान द्वारा जीते गए तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात में इसके विश्वविद्यालय में 50% महिलाएं थीं।

सहारा करीमी (Sahara Karimi) ने आगे लिखा है कि, ये अविश्वसनीय उपलब्धियां हैं, जिन्हें दुनिया नहीं जानती। इन कुछ हफ्तों में तालिबान ने कई स्कूलों को तबाह कर दिया है और 20 लाख लड़कियों को फिर से स्कूल से निकाल दिया है।'

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