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बंगाल चुनाव

बंगाल हिंसा : राष्ट्रपति शासन लगवाने के लिए BJP करवा रही हिंसा, रैलियों में दिए गए बयानों के आधार पर लग रहे आरोप

Janjwar Desk
5 May 2021 2:10 AM GMT
बंगाल हिंसा : राष्ट्रपति शासन लगवाने के लिए BJP करवा रही हिंसा, रैलियों में दिए गए बयानों के आधार पर लग रहे आरोप
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'मैं न तो जलधर सांप हूं, न विषहीन सांप हूं। मैं असली कोबरा हूं। एक बार काटते ही तुम्हारी तस्वीर टँग जाएगी। और फिर मिथुन बहुत धीमे से बोला, टीएमसी के गुंडो।' यह भाषा भाजपा के मिथुन चक्रवर्ती की थी...

जनज्वार ब्यूरो, कोलकाता। पश्चिम बंगाल से हिंसा की खबरे आ रही हैं। भाजपा और गोदी मीडिया इसका आरोप टीएमसी तथा ममता बनर्जी पर लगा रहे हैं। दूसरी तरफ टीएमसी इस हिंसा का आरोप भाजपा पर लगा रही। इधर शोसल मीडिया के लिक्खाड़ भाजपाइयों द्वारा रैलियों के दौरान दिए गए बयानो के आधार पर बंगाल में हिंसा करवाने का आरोप भाजपा पर लगा रहे हैं।

फेसबुक लेखक विक्रम सिंह लिखते हैं कि 'उनके (भाजपा) चरित्र को देखकर इनपर विश्वास करना मुश्किल है और लग रहा है कि वे माहौल खराब करके पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगवाना चाह रहे हैं। जो बंगाल चुनाव के दौरान भाजपा के बयानों से मैच करता दिख रहा है। विक्रम बंगाल चुनाव के दौरान भाजपा के फायर उगलने वाले ब्रांड नेताओं के बयान भी आगे लिखते हैं।

वह सबसे पहले पीएम मोदी की भाषा को सड़कछाप बताते हुए उनका बोला बयान लिखते हैं। जिसमें पीएम मोदी ने कहा था कि 'बंगाल के लोगों ने बहुत भोगा है, दीदी की गुंडागर्दी, दादाओं की गुंडागर्दी, भाइयो बहनो, अब बदला लेने का समय आ रहा है। गुंडे गुंडियों को ऐसा सबक सिखाया जाएगा कि पूरा देश देखेगा।' विक्रम आगे लिखते हैं 'कोलकाता में चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री पद की गरिमा को जितने जूते नरेंद्र मोदी के शासन काल में मारे गए हैं, और खुद मोदी ने मारे हैं, वैसा आजाद भारत में कभी नहीं हुआ था। न शायद होगा।

पोस्ट के मुताबिक दूसरा बयान अमित शाह का है। जिसमें कहा गया था कि 'ममता बनर्जी गुंडा हैं, उनकी सरकार गुंडों की सरकार है। गुंडों को बंगाल से खदेड़ा जाएगा। उक्त भाषा अमित शाह की है जिस पर हम अपनी तरफ से कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।'

तीसरा बयान कोबरा नाग मिथुन का है। जिसमें कहा गया था कि 'मैं न तो जलधर सांप हूं, न विषहीन सांप हूं। मैं असली कोबरा हूं। एक बार काटते ही तुम्हारी तस्वीर टँग जाएगी। और फिर मिथुन बहुत धीमे से बोला, टीएमसी के गुंडो।' विक्रम की पोस्ट के मुताबिक यह भाषा सी-ग्रेड फिल्मों के एक्टर मिथुन चक्रवर्ती की थी। हालांकि हम इस पर भी कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, लेकिन ये बताना जरूरी है कि जिस मंच से मिथुन चक्रवर्ती ये भाषा बोल रहे थे, उस मंच पर मोदी मौजूद थे।'

टीएमसी वालो, एक एक से हिसाब लिया जाएगा। तुम्हारा आतंकवाद अब नहीं चलेगा। उक्त भाषा विजयवर्गीय की है, जिस पर हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। 2 मई के बाद टीएमसी के गुंडे गिड़गिड़ाकर अपनी जान की भीख मांगते फिरेंगे। उक्त बयान योगी आदित्यनाथ का है, जिस पर भी हम कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।

निष्कर्ष-चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी के लोगों की तरफ से खून की जो अदृश्य लकीरें जमीन पर खींची गई थीं, चुनाव परिणाम आने के बाद बंगाल में जो छिटपुट हिंसा हो रही है, वह उन खूनी लकीरों का परिणाम है। हम इस हिंसा की निंदा करते हैं। इससे ज्यादा लोड लेने की जरूरत भी नहीं है। बंगाली बहुत समझदार होते हैं।

वहीं पेशे से शिक्षक सन्नी कुमार लिखते हैं आपकी केंद्र में सरकार है। सबसे बड़ी पार्टी है। आरएसएस जैसा संगठन है। मजबूत कहे जाते हैं आपलोग। इसके बाद भी अपने ही कार्यकर्ताओं को टीएमसी के गुंडों के हवाले छोड़ दिये? और बहानेबाजी ये कि फलां पत्रकार हिंसा पर चुप हैं। अरे ये तो जाने ही जाते हैं इसके लिए। चुप क्यों ये आनंद ले रहे। पर क्या आपको अपने कार्यकर्ताओं की जान बचाने के लिए इन दुष्टों का प्रमाणपत्र चाहिए? दरअसल, आप बहानेबाज हैं। आपको केवल कुर्सी चाहिए, कुर्सी तक पहुँचाने वाले लोगों से कोई मतलब नहीं।

(डिस्क्लेमर - यह रिपोर्ट सोशल मीडिया से साभार प्रकाशित, यह लेखक के अपने विचार हैं।)

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