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बिहार: बाढ़ में बह गई सड़क, रस्सी पकड़ लोगों को पार कराते रहे युवा पर अधिकारी आए न जनप्रतिनिधि
बाढ़ में सड़क बह जाने के बाद रस्सी के सहारे लोगों को पार करा रहे युवा। फोटो: जनज्वार
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार में बाढ़ का कहर जारी है। राज्य के 126 प्रखंडों की 74 लाख 40 हजार से ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। राज्य के सारण जिला के 9 प्रखंड भी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं। इन 9 प्रखंडों के 87 पंचायतों के 7 लाख 7 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ से पीड़ित हैं। जनप्रतिनिधि और प्रशासन के स्तर पर मिल रही राहत नाकाफी है।
इस बीच अमनौर प्रखंड के रायपुरा पंचायत अंतर्गत महरुआ गांव में रायपुरा-रसूलपुर को जोड़ने वाली सड़क पानी के तेज बहाव में बह गई है। साथ ही नहर भी 15 फ़ीट तक टूट चुकी है। पानी इस कदर बढ़ रहा है कि 1 से 2 दिनों में पूरा गड़खा प्रखंड बाढ़ की चपेट में आ सकता है। पानी का बहाव काफ़ी तेज होने के कारण ग्रामीणों को गांव से ऊंचे स्थान पर जाने में भी काफ़ी परेशानी हो रही थी।
लोगों का आरोप है कि उन्होंने सीओ एवं जनप्रतिनिधियों को सूचना दिया, परंतु कोई भी मदद को आगे नहीं आया। ऐसे में ग्रामीणों ने खुद चंदा इकट्ठा करके रस्सी खरीद कर सड़क के दोनों तरफ़ बांध दिया। इसे पकड़कर कई। युवक खड़े हो गए, जिससे राहगीर, महिलाएं और बच्चे सड़क पार कर रहे हैं।
महरुआ में सड़क और नहर टूट जाने के बाद दर्जनों गांवो में आवागमन बाधित हो चुकी है। परंतु लोगों का आरोप है कि सीओ, बीडीओ तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा किसी प्रकार की राहत मुहैया नहीं कराई गई। यहां तक कि बेघर बाढ़ पीडि़तों की भोजन तक की व्यवस्था नहीं की गई। इससे नाराज ग्रामीणों ने जिला प्रशासन, अमनौर सीओ, बीडीओ और विधायक के खिलाफ़ जमकर नारेबाजी की।
स्थानीय ग्रामीण जय प्रकाश सिंह, विश्व मोहन सिंह, संतोष सिंह, वकील सिंह, बृजनाथ सिंह, सनी, प्रकाश, अनीता देवी, दीपक महतो, विनोद महतो, अशोक महतो, सरिखन महतो, अनिल कुमार, महिपाल महतो आदि ने बताया कि प्रशासन को पहले से ही सूचना दिया गया था, परंतु कोई व्यवस्था नहीं कराई गई, जिस कारण सड़क और नहर टूट गई।
जयप्रकाश सिंह ने कहा 'सड़क और नहर टूट जाने के बाद सूचना देने के बावजूद अभी तक कोई नहीं आया।' सड़क टूटने से चैनपुर, बेडवलिया, डुमरिया, बांसडीह, मदारपुर, लहेर, छपरा, मलाही, रसूलपुर समेत दर्जनों गांव के लोगों का अस्पताल एवं जिला मुख्यालय से संपर्क टूट चुका है। ग्रामीणों की परेशानी काफी बढ़ गई है।