Begin typing your search above and press return to search.
बिहार चुनाव 2020

नीतीश की नई कैबिनेट में नियुक्ति घोटाले के आरोपित मेवालाल चौधरी भी, उठ रहे सवाल

Janjwar Desk
16 Nov 2020 3:44 PM GMT
नीतीश की नई कैबिनेट में नियुक्ति घोटाले के आरोपित मेवालाल चौधरी भी, उठ रहे सवाल
x
राजभवन के निर्देश पर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस ने नियुक्ति घोटाले की जांच की थी और इसे लेकर एफआईआर दर्ज कराई गई, हालांकि मेवालाल चौधरी को कोर्ट से जमानत मिल गई थी, इस मामले की चार्जशीट अभी दाखिल नहीं हुई है....

जनज्वार ब्यूरो, पटना। नीतीश कैबिनेट में इस बार उन मेवालाल चौधरी को भी जगह दी गई है, जो नौकरी घोटाले के आरोपित रहे हैं। सबौर स्थित भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति रहने के दौरान उनपर नियुक्ति घोटाले के आरोप लगे थे। राजभवन के निर्देश पर हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस ने नियुक्ति घोटाले की जांच की थी और इसे लेकर एफआईआर दर्ज कराई गई थी। एफआईआर में मेवालाल चौधरी को भी आरोपित किया गया था। हालांकि मेवालाल चौधरी को कोर्ट से जमानत मिल गई थी। इस मामले की चार्जशीट अभी दाखिल नहीं हुई है।

सबौर स्थित भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापकों और कनीय वैज्ञानिकों की नियुक्ति में ये आरोप लगे थे। उसके बाद बिहार के राजभवन के निर्देश पर हाईकोर्ट के रिटायर जज ने इस मामले की जांच की थी। बाद में तत्कालीन कुलपति मेवालाल चौधरी के खिलाफ फरवरी 2017 में सबौर थाना में एफआईआर दर्ज की गई थी।

नीतीश कुमार की नई कैबिनेट में मेवालाल चौधरी को जगह दिए जाने के बाद अब सवाल उठाने लगे हैं। आज 16 नवंबर को राजभवन में राज्यपाल फागू चौहान ने नीतीश कुमार और उनके कैबिनेट के 14 अन्य मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है। इसमें डॉ मेवालाल चौधरी को भी मंत्री बनाया गया है। मेवालाल मुंगेर जिला के तारापुर विधानसभा सीट से जदयू के टिकट पर विधायक बने हैं।

मेवालाल चौधरी मुंगेर जिला के तारापुर प्रखंड के कमरगांव गांव के मूल रूप से निवासी है। वे राजनीति में आने से पहले साल 2015 तक सबौर स्थित भागलपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति थे। साल 2015 में वे रिटायर हो गए थे और रिटायर होने के बाद वो राजनीति में आए थे। कुलपति के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान ही कृषि विश्वविद्यालय में नियुक्ति घोटाले का मामला है। इसे लेकर सबौर थाने में साल 2017 में मामला दर्ज किया गया था, हालांकि इस मामले में उन्होंने कोर्ट से अंतरिम जमानत ले ली थी।

वैसे उस दौरान पटना के निगरानी कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बाद मेवालाल चौधरी भूमिगत हो गए थे। हालांकि इस मामले में कोर्ट में उनके अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई है।

आरोप है कि सबौर स्थित कृषि विश्वविद्यालय में साल 2012- 2013 में 161 सहायक प्राध्यापक और कनीय वैज्ञानिकों की नियुक्ति में भारी अनियमितता बरती गई थी। तत्कालीन कुलपति मेवालाल चौधरी द्वारा बहाली के लिए एक चयन समिति का गठन किया गया था। इस चयन समिति के अध्यक्ष प्रो. राजभजन वर्मा और अमित कुमार सहायक निदेशक बनाए गए थे।

दोनों पर आरोप है कि इनकी देखरेख में बहाली में घोटाला हुआ। आरोप यह भी है कि बाद में विश्वविद्यालय से बहाली से जुड़े कागजात भी गायब कर दिए गए थे। इस मामले में राजभजन वर्मा और रमेश चौधरी की गिरफ्तारी भी हुई थी। रमेश चौधरी उनका भतीजा बताया जाता है।

नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में शामिल मेवालाल चौधरी पर कृषि विश्वविद्यालय का वीसी रहते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति और भवन निर्माण में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। नियुक्ति घोटाले में फरवरी 2017 में IPC 409, 420, 467, 468, 471 और 120B के तहत मुक़दमा दर्ज किया हुआ है। जिसके बाद पार्टी ने उन्हें निलंबित भी किया था।

जांच के लिए गठित एसआईटी ने बहाल किए गए कनीय वैज्ञानिकों से भी पूछताछ की थी। इन सभी पर पर आरोप है कि गलत तरीके से इनकी बहाली की गई। कहा गया था कि परीक्षा के रिजल्ट में ओवरराइटिंग की गई थी। साथ ही अभ्यर्थियों पर नियुक्ति की शर्तों का पालन नहीं करने का भी आरोप था।

Next Story

विविध