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फिर एक बार एनडीए सरकार, पर नीतीश की पार्टी को बड़ा झटका, जानें किसे फायदा और किसे हुआ नुकसान
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बननी तय हो गई है। एनडीए को 125 और महागठबंधन को 110 सीटें हासिल हुई हैं, जबकि 8 सीटें अन्य को मिली हैं। 10 तारीख को देर रात चुनाव आयोग द्वारा सभी 243 सीटों के नतीजे घोषित कर दिए गए हैं। हालांकि यह कोई प्रचण्ड बहुमत नहीं है, बल्कि एनडीए बहुमत के आंकड़े को महज 3 सीटों के मामूली अंतर से पार कर सका है। राजद एक बार फिर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरा है। हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है और जदयू के विधायकों की संख्या 71 से घटकर सीधे 43 पर आ गई है, वहीं बीजेपी को बड़ा फायदा हुआ है।
इस बार के चुनावों में बीजेपी को 21 सीटों का फायदा हुआ है और उसे कुल 74 सीटें मिली हैं। राजद इस बार भी सबसे बड़ा दल बनकर उभरा है और उसे 75 सीटें मिली हैं। चिराग पासवान की लोजपा बमुश्किल अपना खाता खोल पाई है और उसे सिर्फ एक सीट पर जीत मिल सकी है।
महागठबंधन में आने से वामदलों को भी इस बार बड़ा फायदा हुआ है। सीपीआई माले को इस बार 12 सीटों पर जीत दर्ज करने में सफलता मिली है, जबकि सीपीआई को 2 और सीपीएम को भी 2 सीटें जीतने में सफलता मिली है।
कांग्रेस को 8 सीटों का नुकसान हुआ है और उसे इस बार 19 सीटें मिली हैं, हालांकि कांग्रेस इस बार 70 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी, जबकि साल 2015 में वह मात्र 43 सीटों पर चुनाव लड़कर 27 सीटें जीतने में सफल रही थी। मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी को 4 सीटें मिली हैं, जबकि जीतन राम मांझी की हम पार्टी को भी 4 सीटें मिली हैं। हम को 3 सीटों, जबकि वीआईपी को 4 सीटों का फायदा हुआ है।
सबसे चौंकाने वाला प्रदर्शन असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम का रहा है। एआईएमआईएम को इस बार 5 सीटें मिली हैं। उसे ये सभी सीटें सीमांचल के इलाके में मिली हैं।
साल 2015 के पिछले चुनावों में एनडीए की ओर से बीजेपी, हम, लोजपा आदि पार्टियां थीं, जबकि महागठबंधन की ओर से राजद, जदयू और कांग्रेस थी।