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उत्तराखण्ड के रामनगर में बच्चों ने चमत्कारों के पीछे छुपे हुए विज्ञान का खोला रहस्य
जनज्वार। उत्तराखण्ड के रामनगर स्थित वीरपुर लच्छी गाँव में साइंस फॉर सोसायटी द्वारा सावित्रीबाई फुले के कार्य व जीवन पर आधारित क्विज एवं भाषण प्रतियोगिता का कल 27 दिसंबर को आयोजन किया गया। इसमें कक्षा 6 से लेकर ग्रेजुएशन तक के बच्चों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का मकसद बच्चों एवं समाज में सावित्रीबाई फुले द्वारा किए गए कार्यों का प्रचार करना तथा समाज में सावित्रीबाई फुले के आदर्शों को स्थापित करना था।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सोसायटी के संयोजक एडवोकेट मदन मेहता ने बताया कि सावित्रीबाई फुले का नौ वर्ष की आयु में ज्योतिबा फुले के साथ विवाह हो गया था। उन्होंने अपने पति की सहायता से शिक्षा ग्रहण की और देश में लड़कियों के लिए पहला स्कूल खोला।
देश की पहली शिक्षिका सावित्री बाई जब लड़कियों को स्कूल पढ़ाने के लिए जाती थी तो समाज में पुरातनपंथी सोच वाले लोग रास्ते में उनके ऊपर कीचड़ फेंककर उन्हें हतोत्साहित करना चाहते थे, क्योंकि उस दौर में लड़कियों को पढ़ने का अधिकार प्राप्त नहीं था। जब वे स्कूल पढ़ाने जाती थीं तो एक दूसरी साड़ी अपने झोले में रख कर ले जाती थी, स्कूल पहुँच कर वह साड़ी बदलकर वह लड़कियों को पढ़ाया करती थीं।
कार्यक्रम में बोलते हुए गिरीश आर्य ने कहा कि सावित्रीबाई फुले व उनके पति ज्योतिबा फुले ने ब्राह्मणवादी मानसिकता के खिलाफ संघर्ष करते हुए महिलाओं के लिए विद्यालय खोले तथा विधवा आश्रमों का भी निर्माण किया।
साइंस फॉर सोसायटी के रामनगर संयोजक हेमचंद्र आर्या ने कहा कि भारत के संविधान में अनुच्छेद 51 के तहत नागरिकों का दायित्व है कि वे समाज में वैज्ञानिक चेतना का प्रचार प्रसार करें। साइंस फॉर सोसाइटी इसी को लेकर समाज में काम कर रही है।
क्विज प्रतियोगिता जूनियर में कक्षा 8 के छात्र लक्की, सीनियर में कक्षा 12 की छात्रा नेहा तथा भाषण प्रतियोगिता में बीए की छात्रा रजनी को प्रथम पुरस्कार दिया गया।
इस दौरान साइंस फॉर सोसाइटी द्वारा चमत्कारों के पीछे छुपे हुए विज्ञान का प्रदर्शन भी किया गया, जिसमें त्रिशूल को जीभ के आर-पार करके दिखाया गया।