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गर्भवती बहिन की मौत के लिए जिम्मेदार बता 70 साल के बुजुर्ग को टांगी से काटा, पत्नी हाथ जोड़ मांगती रही जान की भीख
प्रतीकात्मक फोटो
जनज्वार। डायन बिसही बताकर अंधविश्वास के नाम पर समाज में तरह तरह की नृशंसताओं की घटनायें सामने आती रहती हैं। अंधविश्वास के नाम पर ऐसी-ऐसी घटनाओं को अंजाम दे दिया जाता है, जिन पर सहज विश्वास करना मुश्किल है। मॉब लिंचिंग जैसी घटनायें भी अंधविश्वास के नाम पर आम हो चुकी हैं।
झारखंड तो मानो अंधविश्वास का गढ़ ही है, जहां आये दिन डायन बिसही के नाम पर प्रताड़नाओं की खबरें आती रहती हैं। यहां पर इस नाम पर हत्याओं का दौर जारी है। अब झारखंड के गुमला में 70 साल के बुजुर्ग को डायन-बिसही के नाम पर नृशंसता से मौत के घाट उतारा गया है।
मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक 70 साल का बुजुर्ग रंथू मुंडा गुमला के रायडीह थाना के परसा नवाटोली गांव का रहने वाला है। जब रंथू अपने परिवार के साथ बुधवार 31 मार्च की रात को घर में सो रहा था, तो लगभग आधा दर्जन लोगों ने उस पर हमला कर दिया। हमलावरों ने पड़ोसियों के मकानों की कुंडी भी बाहर से लगा दी ताकि कोई रंथू की परिवार की मदद करने आगे नहीं आ सके।
घटनाक्रम के मुताबिक आरोपी बुजुर्ग रंथू के घर के दरवाजे को तोड़कर उसे खींचकर बाहर ले आये। पति को खींचकर ले जाता देख रंथू की पत्नी जमनी भी पीछे से भागकर आई। जब उसे लगा कि गुस्से में तमतमाये आरोपी उसके पति की जान ले लेंगे तो वह उनके पैरों पर पड़कर जान की भीख मांगने लगी। मगर किसी ने भी बुजुर्ग महिला की तरफ ध्यान नहीं दिया और उसे धक्का देखकर पहले रंथू को पत्थरों से बुरी तरह कूंचा और फिर टांगी से काटकर उसे मौत के घाट उतार दिया।
शुरुआती जानकारी के मुताबिक परसा नवाटोली गांव की ही गर्भवती महिला संगीता की होली के दिन प्रसव के दौरान मौत हो गई थी। इसके लिए उसके घरवाले ओझा के रूप में इलाके में जाने जाने वाले रंथू मुंडा को जिम्मेदार ठहराने लगे। कहा गया कि जादू टोना करके रंथू टोना ने संगीता और उसके बच्चे की जान ली है। इसी गुस्से और अंधविश्वास से भरे संगीता के दो भाई कुछ और लोगों के साथ बुजुर्ग रंथू के घर पहुंचे और सोये हुए रंथू को बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया।
अब पुलिस ने इस घटना में आरोपी पांच लोगों को गिरफ्तार कर हत्या में इस्तेमाल की गयी टांगी को भी कुएं से बरामद कर लिया है।
झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में डायन बिसाही और ओझा गुनी के नाम पर समाज बुरी तरह जकड़ा हुआ है और इसका बहुत बड़ा कारण शिक्षा का अभाव और गरीबी भी है। इन इलाकों में किसी के भी बीमार पड़ने पर भी लोग डॉक्टर के पास जाने के बजाय ओझा की शरण लेते हैं, कि उन्हें बीमारी नहीं बल्कि उपरी हवा ने जकड़ा है, जो झाड़फूंक से ठीक हो जायेगा।
यहां तक कि किसी के परिवार में किसी की अचानक मौत, लगातार बीमार रहने, फसल खराब हो जाने, तालाब या कुएं के पानी के सूखने, जानवरों के मरने जैसी घटनाओं तक को डायन-बिसही और जादू-टोना मान बैठते हैं और अपने ही आसपास के लोगों को मौत के घाट उतार देते हैं।
मीडिया में आई रिपोर्टों के मुताबिक मात्र तीन माह में झारखंड में डायन-बिसही के नाम पर लगभग 16 लोगों को मौत के घाट उतारा गया है। डायन बिसाही के नाम पर उत्पीड़न को लेकर झारखंड में पिछले छह सालों में तकरीबन 4556 मामले दर्ज किये गये हैं, जिनमें से 310 मामलों में तो हत्या की गयी है। हत्या के थे।