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अंधविश्वास : युवक की नदी में डूबने से हो गयी मौत, हॉस्पिटल के बाहर प्रार्थना से जिंदा करने की कोशिश करते रहे परिजन
photo : Dainik Bhaskar
जनज्वार। अंधविश्वास में डूबे हमारे समाज में ऐसी ऐसी घटनायें सामने आती रहती हैं, जिन पर यकीन करना बहुत मुश्किल होता है। कोई बच्चे की चाहत में किसी और के बच्चे की जान ले लेता है तो कहीं पुनर्जन्म की चाहत और बड़ा बनने के सपने के साथ पूरे परिवार को मौत के घाट उतार देता है।
अंधविश्वास का एक मामला छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से सामने आया है। यहां बिलासपुर से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित तखतपुर में मनियारी नदी में डूबने से 27 साल के एक युवक की मौत हो गई थी। युवक की लाश को जब पोस्टमार्टम के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया तो परिजन भी वहां पहुंच गये। इस दौरान परिजन एक घंटे तक प्रार्थना और दूसरे तरीके से युवक को फिर से जीवित करने की कोशिश करते रहे। बाद में किसी तरह पोस्टमार्टम करने वाले स्टाफ ने उन्हें वहां से समझा-बुझा कर वापस भेजा कि यह अब जिंदा नहीं हो पायेगा, इसकी मौत हो चुकी है।
जानकारी के मुताबिक जैकब हंस नाम का युवक अपने दो दोस्तों के साथ पंजाब के जालंधर से एक रिश्तेदार की अंत्येष्टि में शामिल होने तखतपुर आया था। दैनिक भास्कर में प्रकाशित खबर के मुताबिक दोपहर करीब 12 बजे जैकब हंस अपने दोस्तों के साथ नहाने के लिए मनियारी नदी के एनीकट में चला गया था। उसे तैरना आता है, कहकर युवक गहरे पानी में चला गया। हालांकि उसके दोस्तों ने उसे गहरे पानी में जाने से मना किया, मगर जैकब नदी में आगे निकल गया। वहां जैकब की सांस फूल गई और वह डूबने लगा। उसके दोस्तों ने उसे बचाने का काफी प्रयास किया, मगर तब तक उसके फेफड़ों में पानी भर चुका था।
जैकब हंस के दोस्तों के मुताबिक उसे नदी किनारे लाते लाते उसकी मौत हो गई थी। उसके बाद दोस्तों ने पुलिस को सूचना दी और जैकब को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। यहां डॉक्टरों ने जैकब को मरा हुआ घोषित कर दिया था। इस घटना की सूचना पाकर परिजन भी अस्पताल पहुंचे और उन्होंने जैकब को मरा हुआ मानने से साफ इनकार कर दिया।
इसके बाद परिजन और उसके कुछ दोस्त एक घंटे तक प्रार्थना करते रहे। इतना ही नहीं उसकी लाश के सीने को दबाकर उसके जीवित होने की आशा करते रहे। इस दौरान कई बार डॉक्टरों और पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की, मगर वह जाने के लिए तैयार नहीं हुए। बाद में थोड़ी कड़ाई बरतने और समझाने-बुझाने के बाद परिजन वापस लौटे, मगर उनका बेटे के जिंदा होने का अंधविश्वास नहीं टूटा था।