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जोशीमठ से खौफजदा धामी सरकार उतरी टोने-टोटके पर, कैबिनेट मंत्री ने इसरो की तस्वीरें हटवाकर कहा फैल रहा है खौफ
जोशीमठ क्षेत्र में चल रही सभी जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण और विस्फोट पर कोर्ट ने लगाई तत्काल रोक, निष्पक्ष विशेषज्ञों से जांच कराने का निर्देश
Joshimath Sinking and Andhvishawas : जोशीमठ के चर्चित संकट पर अपनी लापरवाही की पोल खुलने से बचाने के लिए राज्य सरकार ठीक उसी तरह के टोने टोटके पर उतारू हो गई है जैसे इसका दिल्ली में तैनात सुपर इंजन कोरोना महामारी के दौरान ताली थाली बजवाकर पूरे देश की दुनियां के सामने जगहंसाई करवा रहा था। कोरोना महामारी के समय जहां भाजपा की केंद्र सरकार ताली और थाली के शोर में अपनी विफलता छिपा रही थी तो भाजपा की प्रदेश सरकार उसी मॉडल पर काम करते हुए इसरो द्वारा जारी जोशीमठ की तस्वीरों को हटवाकर अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने में जुटी है।
इसरो द्वारा जोशीमठ की जारी वह ताजा तस्वीरें जो राज्य सरकार की गंभीर लापरवाही की पोल खोलते हुए अब तक विश्व के हर कोने में पहुंच चुकी हैं, वह सरकार को अचानक ही लोगों में दहशत फैलाने वाली लगनी लगी हैं। तस्वीरों से अपनी पोल खुलने से सरकार इतनी दहशतजदा है कि इसरो की वेबसाइट से इन तस्वीरों को हटवाने के लिए उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री को दखल देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
गौरतलब है कि भूस्खलन के लिहाज से विस्फोट के मुहाने पर बैठे जोशीमठ में तबाही का पहला संकेत अक्टूबर 2021 के आस पास देखने को मिला। लेकिन राज्य सरकार ने इसका कोई नोटिस नहीं लिया। बाद के दिनों में कुछ घरों में दरारें आने का सिलसिला शुरू हुआ तो चिंतित लोगों ने सरकार की ओर उम्मीद की नजरों से देखना शुरू किया। लेकिन सरकार ने अब भी कोई ध्यान नहीं दिया। बीते साल उत्तरार्ध में जब समस्या धरातल पर ही दिखने लगी तब भी सरकार ने उसका संज्ञान लेना तो दूर, सरकार को आईना दिखाने की कोशिश करने वालों को ही भय का वातावरण बनाने वाले कहना शुरू कर दिया। इस दौरान जोशीमठ के लोग चीख चीखकर अपनी पुकार सरकार के विभिन्न मंचों पर उठाते रहे, लेकिन सरकार का व्यवहार कुछ इस तरह का रहा जैसे वह जोशीमठ के लोगों से खुद ही कोई बदला लेने पर उतारू हो।
लेकिन इस साल के दूसरे दिन जोशीमठ के घरों में आई दरारों के खौफनाक स्तर पर पहुंच जाने के बाद मजबूरन सरकार को तब दखल देने के लिए मजबूर होना पड़ा जब जोशीमठ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खबरों का हिस्सा बन चुका था। अभी तक जोशीमठ की कोई सुध न लेने वाली सरकार को जब तक जोशीमठ की गंभीरता समझ में आई तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि जोशीमठ को बचाने का कोई भी प्रयास मुमकिन नहीं रह गया था। अपनी इस विफलता को छिपाने के लिए सरकार ने न केवल अब अधिकारियों की फौज को जोशीमठ में उतारकर अपनी सक्रियता दिखाने की कोशिश की, बल्कि खुद मुख्यमंत्री ने तीन दिन में दो बार जोशीमठ का दौरा कर डाला।
खुद भारतीय जनता पार्टी के वह प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट जो औली में पर्यावरण का सत्यानाश करने वाली गुप्ता बंधुओं की शादी का महिमामंडन करते हुए इस शादी का विरोध करने वालों को विकास विरोधी कहकर उनका उपहास उड़ा रहे थे, खुद जोशीमठ के जख्म पर मरहम लगाने की नियत से जोशीमठ पहुंच गए। यह बात अलग है कि यहां इनका स्वागत इनके विरोध प्रदर्शन से हुआ, जिसके बाद इन्हें अपना सा मुंह लेकर यहां से लौटना पड़ा।
जोशीमठ में इसी आपातकालीन परिस्थितियों के बीच जब कई विशेषज्ञ अपनी अपनी नजर से इस समस्या के तार जोड़ने में लगे थे तो जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) की ओर से भी एक रिपोर्ट जारी गई थी, जिसमें बताया गया था कि 12 दिन में जोशीमठ की जमीन 5.4 सेंटीमीटर धंसी है। इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर की ओर से सैटेलाइट इमेज जारी की गई थी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) की ओर से जारी इन सैटेलाइट तस्वीर और रिपोर्ट से पता चल रहा था कि जोशीमठ शहर 27 दिसंबर से 8 जनवरी के बीच ठीक उस समय ही जब राज्य सरकार लोगों की चीख पुकार के बाद भी जोशीमठ पर ध्यान नहीं दे रही थी, तब की इस अवधि में 5.4 सेमी नीचे की ओर धंसा है। यानी कुल इन 12 दिनों के अंदर ही शहर 5.4 सेंटीमीटर नीचे चला गया।
इस रिपोर्ट में उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित शहर जोशीमठ की गंभीर स्थिति को बताते हुए कहा गया था कि यह जगह कुछ दिनो के अंदर 5 सेमी के आसपास धंस गयी है। लेकिन इससे जुड़ी यह रिपोर्ट अब एनआरएससी की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है। इस पीडीएफ रिपोर्ट का लिंक अब काम नहीं कर रहा है। नेशनल रिमॉट सेंसिंग सेंटर (NRSC) की वेबसाइट पर जारी इस रिपोर्ट में बताया गया था कि अप्रैल से नवम्बर के बीच 7 महीने की अवधि में जोशीमठ शहर के अंदर 9 सेमी तक की धीमी गिरावट दर्ज की गई, लेकिन इसरो (ISRO) की तरफ से शुक्रवार को जारी उपग्रह तस्वीरों में जोशीमठ में बीते 12 दिनों में भूमि के धंसने की गति बेतहाशा बढ़ने की बात सामने आने से चिंता बढ़ गई थी।
इसरो की रिपोर्ट बताती थी कि मिट्टी धंसने से जोशीमठ में आर्मी हेलीपैड और नरसिंह मंदिर भी प्रभावित हुआ है। धंसने का केंद्र 2180 मीटर की ऊंचाई पर जोशीमठ-औली रोड के पास स्थित है। इसरो की इस तथ्यात्मक रिपोर्ट के खुलासे पर देश दुनिया की मीडिया ने कई खबरें की थी, जिनसे राज्य सरकार की लापरवाही की पोल तथ्यात्मक ढंग से खुल रही थी। जिसके बाद सरकार ने लगातार हो रही किरकिरी से बचने के लिए इसरो की इन तस्वीरों को ही हटवाकर अपना बदनुमा चेहरा साफ करने की कोशिश शुरू कर दी। जिसके चलते कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत जो पूर्व में बारिश को इधर से उधर करने वाले एप का निर्माण कर अपनी पर्याप्त जगहंसाई करवाकर प्रसिद्ध हो चुके हैं, के कहने पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने जोशीमठ भू-धंसाव की सेटेलाइट तस्वीरें और रिपोर्ट अपनी वेबसाइट से हटा दी हैं।
इसरो की वेबसाइट से तस्वीरें व रिपोर्ट हटाए जाने के बारे में कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने मीडिया को बताया कि जोशीमठ के धंसने के संबंध में इसरो की तस्वीरें वायरल होने और उससे जुड़े खबरें टीवी चैनलों में प्रसारित होने के बाद जोशीमठ शहर लोगों के बीच पैनिक की स्थिति बन गई थी। ऐसा होने पर उन्होंने इसरो के निदेशक से फोन पर बात की। उनसे अनुरोध किया कि तस्वीरों के संबंध में इसरो या तो अधिकृत बयान जारी करे या फिर ऐसा कुछ नहीं है तो वेबसाइट से तस्वीरें हटा दें।
धन सिंह रावत के मुताबिक उनके अनुरोध पर इसरो ने अब वेबसाइट से तस्वीरें हटा दी हैं। रावत ने बताया कि उन्होंने एनआरएससी-इसरो के निदेशक से बात करते हुए कहा था कि वह इस समय ऐसी रिपोर्ट कैसे जारी कर सकते हैं। यह लोगों में दहशत पैदा कर रही है। जिस पर उन्होंने मुझे बताया कि वह इस रिपोर्ट को अपडेट करेंगे। लेकिन अब मुझे जानकारी मिली है कि इन तस्वीरों और रिपोर्ट को हटा दिया गया है।