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अंधविश्वास

महिला ने 4 माह तक घर में रखी बेटे की लाश, जादू-टोने से जब नहीं हुआ जिंदा तो खुद भी कर ली खुदकुशी

Janjwar Desk
30 July 2021 1:19 PM GMT
झारखंड के गुमला में भतीज ने चाचा चाची की हत्या की
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अंधविश्वास में भतीजे ने चाचा-चाची और भाभी को उतारा मौत के घाट (प्रती​कात्मक तस्वीर)

प्यार देई और बेदव्यास के जवान बेटे प्रेमजीत की लाश भी बरामद की गयी, लाश को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि उसकी कई महीने पहले मौत हो चुकी थी...

जनज्वार। समाज में अंधविश्वास की ऐसी-ऐसी घटनायें सामने आती हैं, जिन पर सहज विश्वास करना मुश्किल होता है। ऐसा ही एक मामला हिमाचल प्रदेश के चंबा से सामने आया है। यहां एक मां ने अपने बेटे की लाश को 4 माह तक जादू-टोने से जिंदा करने के अंधविश्वास के साथ घर में रखा और जब बेटे की लाश लगभग गल चुकी थी तो घटना का खुलासा हुआ। दो ​बेटियों में से एक बेटी की भी इलाज के दौरान मौत हो चुकी है, जबकि दूसरी की हालत भी गंभीर बनी हुयी है। माना जा रहा है कि बेटियों की ये हालत भी अंधविश्वास के कारण हुयी है।

जानकारी के मुताबिक गुरुवार 29 जुलाई को जब बेदव्यास अपने घर लौटा तो पत्नी का शव फंदे पर झूलता पाया। जब पड़ोसियों ने इस मामले में पुलिस को सूचना दी तो घर से प्यार देई और बेदव्यास के जवान बेटे प्रेमजीत की लाश भी बरामद की गयी। लाश को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि उसकी कई महीने पहले मौत हो चुकी थी।

जानकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के चंबा स्थित पांगी के मुख्यालय किलाड़ से 40 किलोमीटर दूर रेई पंचायत में 42 वर्षीय प्यार देई दावा करती थीं कि वह माता का रूप हैं। जानकारी के मुताबिक 26 जुलाई को चंबा मेडिकल कॉलेज में उसकी 19 साल की लड़की सुनीता की मृत्यु हो गई थी। बेटे की मौत चार माह पहले हो गई थी, जिसकी लाश उसने​ जिंदा करने के अंधविश्वास के साथ घर में रखी हुयी थी। जब अस्पताल में बेटी की भी मौत हो गयी तो खुद को देवी का रूप बताने वाली प्यार देई ने फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।

स्‍थानीय लोगों ने पुलिसिया छानबीन में बताया कि प्यार देई के बेटे प्रेमजीत की मौत चार-पांच महीने पहले हो गई थी, लेकिन उसका अंतिम संस्कार नहीं किया गया। अंधविश्वास के कारण प्यार देई बेटे की लाश घर में रखी हुयी थी। अंधविश्वास के चलते परिवार तीन चार साल से गांव से पूरी तरह कटा हुआ था। यहां तक कि इस परिवार का पूरी रेई पंचायत में किसी भी घर में आना जाना नहीं था।

प्रभात खबर में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक मझरौऊ के रहने वाला बेदब्यास 25 जुलाई को अपनी दो बेटियों को इलाज के लिए चंबा लेकर गया था। 26 जुलाई को मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान एक बेटी की मौत हो गयी, जिसका अंतिम संस्कार किसी सामाजिक संगठन ने करवाया। दूसरी बेटी का इलाज मेडिकल कॉलेज में चला रहा था।

इस मामले में जांच कर रही पुलिस का कहना है पोस्टमार्टम से पता चल पायेगा कि प्रेमजीत की मौत कब और कैसे हुयी। पुलिस ने मां-बेटे की लाश को पोस्टमार्टम के लिए चंबा मेडिकल कॉलेज भेज दिया है। मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान मरने वाली बेदव्यास की 19 वर्षीय लड़की का भी पोस्टमार्टम करवाया गया है, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी है।

स्थानीय लोगों द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक प्यार देई खुद को देवी का रूप बताती थीं और उसने अपने परिवार को गांव में अन्य लोगों के साथ मिलने-जुलने पर रोक लगा रखी थी। ग्रामीणों की मानें तो पूरा परिवार घर में ही रहता और प्यार देई के कहे अनुसार ही सारे काम किये जाते थे।

पड़ोसियों ने यह भी दावा किया है कि प्यार देई के बेटे की मौत कई दिन पहले हो चुकी थी और बेटे की लाश का अंतिम संस्कार करने की बजाय उसे दोबारा जीवित करने के लिए वह तंत्र साधना कर रही थी। अनुमान लगाया जा रहा है कि जब व​ह तंत्र-मंत्र साधना से बेटे को जीवित करने में असफल हो गयी तो ​हताशा में उसने आत्महत्या कर ली होगी। प्यार देई की बेटियां भी बीमार थीं, जिनको पिता इलाज के लिए अस्पताल ले गया था। पड़ोसियों की मानें तो लड़की की भी मौत अंधविश्वास में ही अस्पताल पहुंचने में देर होने का नतीजा हो सकती है।

इस मामले में डीएसपी चंबा अभिमन्यु का कहना है कि महिला प्यार देई और उसके बेटे की लाश बरामद की गयी है। लड़के के शव को देख लग रहा है कि वह कई दिन पुराना है। कितने दिन पहले उसकी मौत हुई थी, इसका पता पोस्टमार्टम के बाद ही लगेगा। मौत के सही कारणों का भी पता तभी चलेगा, पुलिस मामले की जांच-पड़ताल कर रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद कार्रवाई होगी, पिता से पूछताछ की जा रही है।

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