AIIMS निदेशक गुलेरिया ने बताया कोरोना वैक्सीनेशन के बाद कितने दिनों तक शरीर में रहेगी एंटीबॉडी
नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार 12 फरवरी को कहा कि टीका लगाने के बाद कोविड के खिलाफ एंटीबॉडी आठ महीने या इससे अधिक समय तक रह सकती हैं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक वैक्सीन से लंबे समय की सुरक्षा के लिए आक्रामक रूप से अध्ययन कर रहे हैं। कोविड -19 पर नेशनल टास्क फोर्स के सदस्य गुलेरिया ने ट्विटर पर टीकों से संबंधित प्रश्नों की एक श्रृखंला का जवाब दिया।
उन्होंने कहा, दूसरे शॉट् के लगभग 14 दिनों बाद एंटीबॉडी विकसित होगी। यह स्पष्ट नहीं है कि इससे मिली सुरक्षा कितनी देर तक चलेगी, लेकिन यह माना जाता है कि यह कम से कम 8 महीने तक प्रभावी होगा, या लंबे समय तक प्रभावी रह सकता है।
यह पूछे जाने पर कि शरीर में टीकों का प्रभाव कब तक बना रहेगा, पर गुलेरिया ने कहा, "वर्तमान में, वैज्ञानिक आक्रामक रूप से टीकों द्वारा प्रदान की जाने वाली दीर्घकालिक सुरक्षा का अध्ययन कर रहे हैं।"
16 जनवरी को टीकाकरण शुरू होने के बाद से भारत में 'कोविशील्ड' और 'कोवैक्सीन' की लगभग 75,05,010 खुराकें दी गई हैं। गुलेरिया ने कहा कि 50 वर्ष से ऊपर की आबादी को मार्च 2021 से टीका मिलना शुरू हो जाएगा। उन्होंने घोषणा की, 'इसमें 20 साल से 50 साल के बीच की पहले से बीमार आबादी भी शामिल होगी।'
नागरिकों में से एक ने पूछा कि पशु चिकित्सकों को उच्च जोखिम वाले वर्कर्स की सूची में शामिल क्यों नहीं किया गया है, जिस पर उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि वे कोविड -19 के रोगियों का इलाज नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "उम्र और कॉमरेडिटीज की उपस्थिति के आधार पर, अधिक गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को वैक्सीन मिलेगा।"
एक नागरिक द्वारा यह पूछने पर कि सरकार अन्य देशों को वैक्सीन निर्यात करकेअपनों को वैक्सीन से क्यों वंचित कर रही है, गुलेरिया ने जवाब दिया, "चूंकि लोग यात्रा करते हैं और वायरस के वाहक बनते हैं, इसलिए प्रसार को नियंत्रित करने के लिए सभी को विश्व स्तर पर टीका लगाया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा, "इसलिए, सभी देशों को टीकों का अपना हिस्सा प्राप्त करने की आवश्यकता है।"