कोरोना को लेकर WHO ने दी चेतावनी, थोड़ी भी ढील दी तो तेजी से बढ़ेगा संक्रमण
केरल में कोरोना केसों की संख्या सर्वाधिक (प्रतीकात्मक तस्वीर)
जनज्वार। कोरोना महामारी से पूरी दुनिया तबाह है। भारत में अभी इसका प्रकोप काफी बढ़ा हुआ है। जहां दुनिया में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1करोड़ 60 लाख से ऊपर पहुंच गई है, वहीं भारत मे भी अबतक 14 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। अब WHO ने भी यह स्वीकार कर लिया है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का सामना पहले कभी नहीं किया।
भारत में पिछले छह दिनों से कोरोना के रोज 40-45 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। भारत में कोरोना से अबतक 33 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। वहीं कोरोना से दुनिया में साढ़े छह लाख से ज्यादा मौतें हो चुकीं हैं।
अब WHO ने भी स्वीकार कर लिया है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी का सामना पहले कभी नहीं किया है। WHO के महानिदेशक तेदरोस अदहानोम गेब्रेयस ने कहा 'कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी का सामना पहले कभी भी WHO ने नहीं किया।'
एक ऑनलाइन समाचार ब्रीफिंग में तेदरोस ने कहा 'मास्क पहनने,भीड़ से बचने जैसे स्वास्थ्य उपायों के ज़रिए ही इसे हराया जा सकता है।' कनाडा, चीन, जर्मनी और दक्षिण कोरिया द्वारा कोविड-19 को नियंत्रित करने के को लेकर उन्होंने कहा, 'जहां इन उपायों का पालन किया जाता है, वहां मामले कम होते हैं और जहां इनका पालन नहीं होता वहां मामले बढ़ते जाते हैं।'
सबसे चिंता की बात यह है कि कई देशों में कोरोनावायरस फिर से फैल रहा है, उन राष्ट्रों में भी जिन्हें लगा था कि उन्होंने इस पर काबू कर लिया है। ये देश अब दुनिया को अलार्म कर रहे हैं। कोरोनावायरस से 650,000 लोगों की मौतें हो चुकी हैं।
WHO एमरजेंसी प्रोग्राम के प्रमुख माइक रायन का कहना है कि सेकेंड वेव की परिभाषा ढ़ूढ़ने से पहले राष्ट्रों को उनके यहां पैदा हो रहे हॉटस्पॉट्स में फिज़िकल डिस्टेंसिंग जैसे स्वास्थ्य प्रतिबंध लगाने चाहिए। उन्होंने कहा, 'ये साफ है कि वायरस के ख़िलाफ जितना गंभीरता से काम करेंगे वायरस उतना नीचे जाएगा लेकिन जैसे ही आपने ढील दी तो वायरस फिर से बढ़ने लगेगा'
हालांकि वो ये स्वीकार करते हैं कि भविष्य में देशों के लिए अपनी सीमाएं बंद रख पाना लगभग असंभव होगा. तेदरोस ने इस बात पर जोर दिया कि हमारी प्राथमिकता जिंदगियों को बचाए रखने की है। जापान और ऑस्ट्रेलिया की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा, ' हमें ट्रांसमिशन को कम करना है, लेकिन साथ ही हमें कमजोर समूहों की पहचान करनी है और उनकी जान बचानी है, अगर संभव हो तो मृत्यु दर को शून्य पर रखना है '