Begin typing your search above and press return to search.
कोविड -19

फर्जी डॉक्टर बन सरकारी स्कूल टीचर कर रहा था कोरोना मरीजों से लाखों की वसूली, पॉजिटिव की मौत के बाद खुली पोल

Janjwar Desk
20 May 2021 7:21 AM GMT
फर्जी डॉक्टर बन सरकारी स्कूल टीचर कर रहा था कोरोना मरीजों से लाखों की वसूली, पॉजिटिव की मौत के बाद खुली पोल
x

कोरोना के नाम पर ठगी का धंधा फल-फूल रहा धड़ल्ले से : 'आपदा में अवसर' का लाभ उठाकर सरकार स्कूल शिक्षक ही बन बैठा डॉक्टर

खुशबू शिवेंद्र की पहली शिकार नहीं थी, इससे पहले भी वह कोरोना इलाज के नाम पर एक दर्जन से ज्यादा लोगों को ठग चुका था, कई होम आइसोलेशन में अच्छे से रहने की वजह से सही हो गये, मगर इसका क्रेडिट खुद लेते हुए उसने एक मरीज से लगभग 2 से 3 लाख रुपये तक वसूले...

जनज्वार। कोरोना की भयावहता के बीच हमारे देश में ऐसी ऐसी खबरें आती रहती हैं, जिनसे इंसानियत और ज्यादा शर्मसार होती है। आपदा में अवसर की ऐसी चाहत लोगों में पैठी है कि शिक्षक फर्जी डॉक्टर बनकर कोरोना मरीजों का इलाज कर रहा है कि पैसा कमाया जा सके।

जी हां, ऐसा ही मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से। अब तक झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा मरीजों का इलाज तो हमारे देश में बहुत आम था, मगर एक शिक्षक का लालच में फर्जी डॉक्टर बनकर इलाज की एक खबर अचंभित करती है। इस फर्जी डॉक्टर का खुलासा तब हुआ जब एक कोरोना मरीज की मौत हो गयी।

हिंदुस्तान में प्रकाशित खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के सफरदरगंज स्थित इंटर कालेज में तैनात 45 वर्षीय सरकारी अध्यापक शिवेन्द्र पटेल लखनऊ में फर्जी डॉक्टर बनकर कोरोना संक्रमित मरीजों को होम आइसोलेशन में रखकर बहुत दिनों से इलाज कर रहा था। उसने दस्तावेजों में बाकायदा नव्या क्योर मेडिक्स नाम से एक मेडिकल सेंटर रजिस्टर करवाया था, जिसका वह डॉक्टर होने का दावा करता था। उस फर्जी डॉक्टर के झांसे में आकर एक मरीज के परिजनों ने न सिर्फ लाखों रुपये गंवाये, बल्कि मरीज की जान भी नहीं बचायी जा सकी।

जानकारी के मुताबिक फर्जी डॉक्टर शिवेंद्र पटेल ने कोरोना पीड़ित मरीज की पत्नी से होम आइसोलेशन के दौरान इलाज के नाम पर दो लाख रुपये वसूल लिये थे। इस फर्जी डॉक्टर का भंडाफोड़ भी नहीं हो पाता अगर मरीज की पत्नी पति की हालत में सुधार न होता देख बल्कि और ज्यादा हालत बिगड़ने पर उसे डीआरडीओ अस्पताल ले गयी, जहां मरीज की मौत हो गयी। पति की मौत के बाद महिला ने चिनहट पुलिस को बताया कि होम आइसोलेशन में इलाज के नाम पर उससे लाखों की वसूली हुयी है, जिसके बाद पुलिसिया जांच में खुलासा हुआ कि फर्जी डॉक्टर बनकर सरकारी स्कूल का अध्यापक बहुत समय से कोरोना मरीजों को ठग रहा था।

पुलिस ने इस मामले में अध्यापक शिवेंद्र पटेल को गिरफ्तार कर लिया है और उस पर गैर इरादतन हत्या और धोखाधड़ी की धारा में एफआईआर दर्ज कर ली गयी है। पुलिस का कहना है कि उसके रैकेट में अन्य जो लोग शामिल हैं उनके बारे में छानबीन की जा रही है।

इस मामले की पड़ताल करने के बाद पुलिस ने बयान दिया है कि आरोपी शिक्षक उन्नाव के सफीपुर का रहने वाला है और यहां वह चिनहट के मटियारी इलाके में रह रहा है। चिनहट में ही रहने वाली खुशबू नाम की महिला ने पुलिस को फोन कर शिवेन्द्र पटेल के फर्जीवाड़े के बारे में पति की मौत के बाद जानकारी दी थी।

पीड़ित महिला खुशबू ने पुलिस को बताया कि उसके पति वीके वशिष्ठ कोरोना पॉजिटिव हो गये थे, तो इस बीच 3 मई को शिवेन्द्र पटेल ने उनके बारे में पता कर पति का हाल-चाल लिया। पहले शिवेंद्र पटेल ने खुद को स्वास्थ्य विभाग से संबद्ध बताया और उसके बाद जानकारी दी कि उसका अपना मेडिकल सेंटर भी है, जहां मौजूद डॉक्टरों की टीम होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों का बेहतर इलाज करती है। उसे खुशबू को आश्वस्त किया कि आपके पति का होम आइसोलेशन में बेहतर इलाज हो जायेगा। डॉक्टरों की टीम घर पर आकर रोज देख जायेगी और 3—4 दिन में वह ठीक हो जायेंगे। बावजूद इसके अगर मरीज की तबीयत बिगड़ती है तो हमारा एक अस्पताल भी है, जहां मेरी पत्नी डॉक्टर है।

खुशबू फर्जी डॉक्टर के नाम पर ठग रहे शिवेंद्र पटेल के झांसे में आ गयी और उसने शिवेंद्र के कहने पर 50 हजार रुपये जमा करा दिये। पैसा जमा कराने के बाद कुछ लोग खुशबू के घर आये और सामान्य दवा देकर चले गये।

बकौल खुशबू शिवेंद्र पटेल ने कहा कि आपके पति की हालत बिगड़ रही है, इसलिए घर को ही आईसीयू बनाया जायेगा। इसके बाद कुछ लोग ऑक्सीजन गैस के भरे दो सिलेण्डर घर लाये और खुशबू से डेढ़ लाख रुपये और वसूल लिये गये। खुशबू का कहना है कि जो टीम उसके घर पर आती थी वह बुखार नापती, ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल देखती और चलते बनती। हालांकि खुशबू को दूसरे दिन घर आये लोगों का इलाज देखकर कुछ शक भी हुआ, मगर पति की बिगड़ती हालत देखकर उसने कुछ विरोध नहीं जताया।

पुलिस का कहना है कि कोरोना का सही इलाज नहीं मिलने की वजह से खुशबू के पति वीके वशिष्ठ की तबीयत बजाय सुधरने के 3 दिन में और ज्यादा खराब हो गयी। जब मरीज का ऑक्सीजन लेवल 80 से भी नीचे रहने लगा तो फर्जी डॉक्टर शिवेन्द्र ने खुशबू से कहा कि इन्हें किसी अस्पताल में भर्ती करा दीजिये, उस समय वह अपने हॉस्पिटल की बात भी भूल गया। पीड़िता ने किसी तरह अपने परिचितों के माध्यम से पति को डीआरडीओ अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन पहले से ही हालत काफी बिगड़ जाने की वजह से वीके वशिष्ठ की जान नहीं बच पायी।

इस मामले में पड़ताल कर रहे डीसीपी संजीव सुमन ने मीडिया को बताया कि शिवेन्द्र पटेल माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग की परीक्षा पास करने के बाद शिक्षक नियुक्त हुआ था। शिवेंद्र सफदरगंज के फतेहचन्द्र जगदीश राय इण्टर कालेज में जीव विज्ञान का सहायक अध्यापक है। जब पुलिस ने उससे खुशबू के पति की मौत के बाद पूछताछ की तो पहले वह सबको उलझाता रहा, मगर बाद में सख्ती से पूछताछ के बाद बताया कि ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में उसने यह सब किया और फर्जी डॉक्टर बना।

ताज्जुब की बात यह है कि खुशबू शिवेंद्र की पहली शिकार नहीं थी, इससे पहले भी वह कोरोना इलाज के नाम पर एक दर्जन से ज्यादा लोगों को ठग चुका था। शिवेंद्र ने पुलिस के सामने कबूला कि जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं थे लेकिन उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव थी, वह उन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी दवाईयां दे देता था। इनमें से कई होम आइसोलेशन में अच्छे से रहने की वजह से सही हो गये, मगर इसका क्रेडिट खुद लेते हुए उसने एक मरीज से लगभग 2 से 3 लाख रुपये तक वसूले।

Next Story

विविध